स्कूल की छुट्टी के बाद जरूरतमंद बच्चों को ढूंढ कर पढ़ाते हैं शिक्षक
संवाद सहयोगी, पिहोवा : विद्या का हक सबको। कोई भी बच्चा शिक्षा से वंचित न रहे। गरीबी उसके अ
संवाद सहयोगी, पिहोवा : विद्या का हक सबको। कोई भी बच्चा शिक्षा से वंचित न रहे। गरीबी उसके आड़े न आ सके। हर बच्चा शिक्षित हो और समाज के विकास का हिस्सा बने। कुछ ऐसी ही सोच के साथ पिछले करीब आठ साल से डीएवी पब्लिक स्कूल के शिक्षक कार्य कर रहे हैं। शिक्षक स्कूल समय के बाद शहर तथा आसपास के गांवों से उन बच्चों को ढूंढ कर पढ़ाते हैं जो गरीबी के कारण स्कूल नहीं जा पाते।
करीब आठ वर्ष पूर्व 2009 में स्कूल के प्रधानाचार्य एनसी ¨बदल ने एक नई सोच के चलते जरूरतमंद बच्चों के बारे में सोचा और विद्या का हक सबको नामक अभियान चलाया। जिसमें बच्चों को उनके घर पर ही शिक्षित करने के लिए योजना बनाई गई। स्कूल की ओर से प्रतिनिधि ईट भट्ठों व उन स्थानों पर जाते हैं जहां मजदूर कार्य करते है, उनके बच्चों को इकट्ठा कर वहीं पर पढ़ाते हैं। ¨बदल ने बताया कि आठ साल में संस्थान द्वारा सैकड़ों बच्चों को शिक्षित किया गया। उन्होंने कहा कि शिक्षा के प्रति बच्चों को जागरूक करने के साथ समय-समय पर स्कूल के विभिन्न कार्यक्रमों में उन्हें बड़ी हस्तियों से सम्मानित भी करवाया जाता। ताकि बच्चों का मनोबल निरंतर बढ़ता रहे। आधुनिकता के दौर में डीएवी पब्लिक स्कूल पिहोवा जहां गरीब बच्चों को शिक्षित कर रहा है वहीं संस्कारित शिक्षा प्रदान करने में डीएवी ने अपनी अलग ही एक पहचान बनाई है।