हरियाणवी संस्कृति वैज्ञानिकता की कसौटी पर खरी : डॉ. पूनिया
जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र : हरियाणवी संस्कृति का इतिहास हजारों वर्ष पुराना है। यह वैज्ञानिकता की
जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र : हरियाणवी संस्कृति का इतिहास हजारों वर्ष पुराना है। यह वैज्ञानिकता की कसौटी पर खरी उतरती है। आवश्यकता है इसकी पारंपरिकता को बचाए रखने की, ताकि युवा पीढ़ी उससे जुड़ सके। यह उद्गार युवा एवं सांस्कृतिक विभाग के निदेशक एवं धरोहर हरियाणा संग्रहालय के क्यूरेटर डॉ. महा¨सह पूनिया ने शुक्रवार को कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में आयोजित राष्ट्रीय सेवा योजना प्रशिक्षण शिविर द्वारा आयोजित ओरियंटेशन कोर्स में एनएसएस अधिकारियों को संबोधित करते हुए कहे।
उन्होंने कहा कि ¨सधू घाटी की सभ्यता से जुड़े पुरातात्विक स्थलों से मिले प्रमाणों से यह सिद्ध होता है कि हरियाणा की सांस्कृतिक विरासत का इतिहास हजारों वर्ष पुराना है। वेदों में प्रचलित असंख्य ऐसी परंपराएं लोकजीवन में विद्यमान हैं, जो हरियाणवी लोकजीवन का हिस्सा हैं। इससे सिद्ध होता है कि हरियाणा की संस्कृति का सीधा संबंध वेदों से है। सरस्वती तट के आस-पास जिस सभ्यता का विकास हुआ, वह हरियाणवी संस्कृति का ही स्वरूप है। धरोहर हरियाणा संग्रहालय में हरियाणवी संस्कृति के जिस लोक पारंपरिक स्वरूप को दिखाया गया है। वह सांस्कृतिक धरोहर का ही हिस्सा है। उन्होंने कहा कि हरियाणा की संस्कृति का स्वरूप बन चुका धरोहर संग्रहालय पूरे भारत में अनूठा संग्रहालय है। डॉ. पूनिया ने कहा कि भारत के किसी भी राज्य में इस तरह के संग्रहालय का निर्माण नहीं किया गया है। कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय ने हरियाणवी संस्कृति के क्षेत्र में जो पहचान बनाई है। वह दूसरे विश्वविद्यालयों के लिए मील के पत्थर का काम कर रही है। आने वाले दिनों में युवा पीढ़ी कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के इस योगदान को इतिहास के रूप में परिवर्तित करेगी। उल्लेखनीय है कि कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में एनएसएस के 55 से अधिक कार्यक्रम अधिकारी शामिल हैं। इनमें उत्तरभारत के राज्यों के अधिकारियों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इस अवसर पर कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के एनएसएस को-आर्डिनेटर डॉ. तजेंद्र शर्मा, कार्यक्रम संयोजक डॉ. सीडीएस कौशल व भारत सरकार की ओर से डॉ. सत्यवान सहित अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।