Move to Jagran APP

भगवान शिव को सबसे प्रिय है श्रावण मास

कुरुक्षेत्र : गायत्री ज्योतिष अनुसंधान केंद्र के संचालक पं. बलराज कौशिक का कहना है कि श्रावण मास में

By Edited By: Published: Fri, 31 Jul 2015 08:49 PM (IST)Updated: Fri, 31 Jul 2015 08:49 PM (IST)

कुरुक्षेत्र : गायत्री ज्योतिष अनुसंधान केंद्र के संचालक पं. बलराज कौशिक का कहना है कि श्रावण मास में आसुतोष भगवान शंकर अपने भक्तों की हर मनोकामना पूरी कर देते हैं, क्योंकि ये मास भगवान शिव का सबसे प्रिय मास है। ये माह भगवान शिव को इतना प्रिय है कि अपने भक्तों की थोड़ी सी भक्ति से ही प्रसन्न हो जाते हैं। श्रावण मास की महत्ता बताते हुए उन्होंने कहा कि समुद्र मंथन के समय जब समुद्र के गर्भ से विष निकला तो भगवान शिव ने इस विष को अपने कंठ में धारण कर लिया, जिस कारण उनके शरीर का ताप अत्याधिक बढ़ गया। इस ताप को शांत करने के लिए सभी देवी देवताओं ने प्रयास किए, इस दौरान इंद्र देवता ने भी भारी वर्षा की, लेकिन जब भगवान शिव ने चंद्रमा को अपने सिर पर धारण किया इसके बाद ही उनको शीतलता मिली। उसी समय से भगवान शिव इस माह में अपने भक्तों की हर मनोकामना पूरी करते हैं। पंडित बलराज कोशिश ने बताया कि ये मास उन जातकों के लिए भी विशेष महत्व रखता है जिनकी कुंडली में कालसर्प दोष है। वो भी इस मास में भगवान शिव की पूजा कर अपने इससे मुक्ति पा सकते हैं। उन्होंने बताया कि जो व्यक्ति इस माह में हर दिन शिव पूजा नहीं कर सकते उनको सोमवार के दिन व्रत रखकर भगवान शिव की पूजा करनी चाहिए। जो लोग शिव मंदिर में नहीं जा सकते उन्हें अपने घर में ही पार्थिव शिव¨लग का निर्माण कर पूजा करनी चाहिए। उन्होंने बताया कि भक्तों को बेलपत्र पंचामृत जल, गंगा जल, दूध, अक्षत चावल, पुष्पों से फलों के शिव पूजा करनी चाहिए और ऊँ नम: शिवाय के पंचाक्षर मंत्र का जाप करना चाहिए। श्रावण मास में शिव महापुराण का नित्य पाठ करने से भी पुण्य की प्राप्ति होती है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.