दिल्ली रैली के लिए कांग्रेसी नेताओं ने झोंकी ताकत
संवाद सहयोगी, लाडवा दिल्ली में भूमि अधिग्रहण बिल के विरोध में 19 को प्रस्तावित काग्रेस की रैली को
संवाद सहयोगी, लाडवा
दिल्ली में भूमि अधिग्रहण बिल के विरोध में 19 को प्रस्तावित काग्रेस की रैली को सफल बनाने के लिए बड़े नेताओं के बाद अब छोटे नेता भी मैदान में सक्रिय नजर आ रहे है। चुनाव के बाद से अभी तक शात नजर आ रहे इन नेताओं में अचानक यह सक्रियता देख कर न केवल दूसरी पार्टियों के नेता हैरान है, बल्कि काग्रेसी कार्यकर्ता भी इसको लेकर चर्चा कर रहे है। यह तो कहा नहीं जा सकता कि ऐसा हाईकमान से आए किसी आदेशों के कारण दिख रहा है या ये नेता खुद अपने क्षेत्र में अपनी प्रतिष्ठा बनाए रखने के लिए कर रहे है, लेकिन कार्यकर्ताओं को इकट्ठा करने में इनको जरूर कामयाबी मिल रही है। शुक्रवार को लाडवा अनाज मंडी में जहा पूर्व सासद कैलाशो सैनी ने कार्यकर्ताओं की बैठक ली और रैली के लिए कार्यकर्ताओं को न्यौता दिया। उन्होंने इसके लिए कार्यकर्ताओं की डयूटिया भी लगाई।
कैलाशो सैनी हाल ही में हुए विधान सभा चुनावों में लाडवा से काग्रेस की उम्मीदवार थी, लेकिन वह हार के बाद से लगभग चुप ही नजर आ रही थी। इसके अलावा पूर्व विधायक रमेश गुप्ता ने उनसे पहले बृहस्पतिवार को ही कार्यकर्ताओं की बैठक लेकर न केवल दूसरीं पार्टियों में खलबली मचा दी थी, वहीं अभी तक निष्क्रिय नजर आ रहे काग्रेसियों को भी सक्रिय होने के लिए मजबूर कर दिया। उन्होंने भी इसमें कार्यकर्ताओं की रैली के लिए ड्यूटिया लगाईं। दोनों ने ही भाजपा सरकार पर भी जमकर भड़ास निकाली और कहा कि केंद्र व प्रदेश में झूठे वादे कर भाजपा सरकार तो बनाने में कामयाब रही, लेकिन अभी तक एक भी वादा पूरा नहीं कर पाई। ऐसे में हर वर्ग हताश है और किसान तो आत्महत्याएं कर रहे है।
उन्होंने मंडियों में किसानों की दुर्दशा व बुजुर्गो को पेंशन न मिलने पर भी रोष प्रकट किया। शुक्रवार को बैठक में अश्वनी शर्मा, मा. दलबीर सिंह, बलदेव दहिया, बलबीर सैनी, डॉ. बरखा राम, धर्मपाल मंगला, अमरजीत बड़शामी, रौनकी राम सैनी, स. प्यारा सिंह लोहाड़ा, जंगशेर सिंह जैनपुर सहित भारी संख्या में कार्यकर्ता उपस्थित थे।
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नेताओं के अलग-अलग सुर, कार्यकर्ताओं में टीस
पहले लोकसभा और फिर विधान सभा चुनावों में मिली हार के बावजूद भी काग्रेस के बड़े नेता जहा अभी भी एक दूसरे की खिलाफत करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे है तो ऐसा ही हाल छोटे नेताओं का भी देखने को मिल रहा है। सभी एक दूसरे की टाग खिचाई का काम कर रहे है और एक दूसरे को नीचा दिखाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे है। वहीं काग्रेस के कार्यकर्ता में अपने नेताओं के अलग-अलग सुरों से टीस नजर आ रही है।
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साढ़े चार साल पहले ही कैलाशो ने अपनी टिकट की घोषणा की
शुक्रवार को कार्यकर्ता बैठक में कैलाशो सैनी ने तो अपनी अगली विधान टिकट की भी घोषणा कर दी और कहा कि चाहे वह दो बार हार गई है, लेकिन काग्रेस टिकट लाना उनके बाए हाथ का काम है और अगली विधान सभा की टिकट भी उनकी ही होगी।