बाबा फरीद सर्वधर्म सद़्भावना सोसायटी ने दिया सालाना इफ्तार
जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र : शेख चेहली मकबरा के पीछे स्थित पीर हजरत जलालुद्दीन थानेसरी (रह.) की दरगाह पर 21 रमजान बतारीख यौमे शहादत हजरत मौला अली मुश्किल कुशा शेरे खुदा (रजि.) के अवसर पर बाबा फरीद सर्वधर्म सद्भावना सोसायटी द्वारा सालाना अफ्तार व कुलशरीफ की रस्म हुई। दरगाह के खादिम धूप शाह साबरी ने बताया कि उम्मते मोहम्मदी में पैगंबर साहब के बाद सबसे बड़े ईमाम हजरत मौला अली है। उन्होंने अपने आखिरी हज के बाद गदीर नामक स्थान पर मोहम्मद (सल्ल) साहब ने अपने हजारों साथियों के बीच में हजरत अली का हाथ थामकर फरमाया था कि जो मुझसे मोहब्बत रखते है, वे अली शेरे खुदा से भी मोहब्बत करे तो सभी ने एक आवाज से मौला अली को ईमाम माना था। उन्होंने बताया कि सूफिया इकराम चाहे चिश्ती हो, कादरी हो, सोहरवर्दी या नक्शबंदी हो सभी की बुनियादी जड़ें मौला अली से ही जुड़ी है। इस्लाम को दृढ़ता प्रदान करने में हजरत अली का अद्वितीय योगदान है। उनकी जिंदादिली और जाबाजी के कारण उन्हें शेरे खुदा, मुश्किल कुशा और सैयदे अरब आदि खिताबों से नवाजा गया है। रमजान 21 को कुफे की मस्जिद में नमाज पढ़ते वक्त उन्हे दुश्मनों ने धोखे से हमला करके शहीद किया। उन्हीं की याद में आज मस्जिद में कुरान शरीफ का पाठ करके दुआ की गई और सालाना अफ्तार दिया गया। इस अवसर पर सोसायटी के अध्यक्ष मंजूर सिंह, सचिव बाबू राम तुषार, गुलाम जिलानी, मुबारक, अफजाल, हनीफ, शरीफ, तस्लीम, मुश्ताक, साजिद, आबिद अली अंसारी, वेद प्रकाश, राकेश, सुदेश, विजय राव आदि मौजूद रहे।