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श्री घंटाकर्ण देव भाग्य की रेखा बदल देते हैं : महासाध्वी

जागरण संवाददाता, करनाल श्री घंटाकर्ण महावीर देव तीर्थस्थान पर विशेष कृपा दिवस कृष्ण चौदस

By JagranEdited By: Published: Wed, 20 Sep 2017 03:01 AM (IST)Updated: Wed, 20 Sep 2017 03:01 AM (IST)
श्री घंटाकर्ण देव भाग्य की रेखा बदल देते हैं : महासाध्वी
श्री घंटाकर्ण देव भाग्य की रेखा बदल देते हैं : महासाध्वी

जागरण संवाददाता, करनाल

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श्री घंटाकर्ण महावीर देव तीर्थस्थान पर विशेष कृपा दिवस कृष्ण चौदस के उपलक्ष्य में प्रत्येक महीने आयोजित होने वाले श्रद्धालु संगम में भक्ति, समर्पण तथा अटूट विश्वास का एक अनूठा तथा भाव-विभोर करने वाला मंजर दिखाई दिया। जैन भक्तों के अलावा अन्य वर्गों से जुड़े श्रद्धालुओं की भी भारी उपस्थिति रही। सूर्योदय से पहले ही भक्तों की रौनक लग गई थी जो देर सांझ तक बढ़ती ही रही। श्री घंटाकर्ण देवता की रहमत तथा न•ार-ए-इनायत से अपनी समस्याओं के समाधान और अपने मन में संजोए सपनों को साकार करने हेतु स्थानीय तथा दूर-दराज से आशा की डोरी से बंधे भक्तों की खूब चहल-पहल दिन भर रही। श्री घंटाकर्ण बीजमंत्र का सामूहिक सस्वर जाप कर देवता का आह्वान करते हुए सभी के मंगल और कल्याण के लिए उनके आशीर्वाद तथा प्रसन्नता की याचना की गई। साध्वी जागृति, अजय गुप्ता, अनिता जैन, सुनीता, जयपाल ¨सह, मनीषा-रितु, निशा, नीलू, प्रवीण जैन आदि ने अपने भजनों से देव-गुणगान करते हुए सभी को भक्ति-भाव से झूमने के लिए मजबूर कर दिया।

घंटाकर्ण दादा ने जबसे पकड़ा है मेरा हाथ बदली है मेरी तकदीर और बदले हालात, मेरे घर के आगे दादा तेरा मंदिर बन जाए, मेरा आपकी कृपा से सब काम हो रहा है, जब कोई नहीं आता मेरे दादा आते हैं, मेरे दुख के दिनों में वे बड़े काम आते हैं आदि भजनों ने सभी को भक्ति रस से सराबोर कर दिया।

महासाध्वी श्री प्रमिला जी महाराज ने कहा कि श्री घटाकर्ण महावीर देव सारी अड़चनों को दूर करने वाले, भय का निवारण करने वाले, शारीरिक तथा मानसिक संकटों का निवारण करने वाले, प्रेत-बाधा और बुरी नजर के दुष्प्रभाव से छुटकारा दिलाने वाले, सभी इच्छाओं को पूरा करने वाले, अपने भक्तों की पुकार सुनकर उनकी सहायता हेतु तत्काल कुछ न कुछ साधन करने वाले, वात्सल्य भाव से ओतप्रोत प्रभावशाली एवं शक्ति सम्पन्न देवता हैं। महाप्रभावी बृहत घण्टाकर्ण स्तोत्र सुनाया गया। आरती तथा प्रीतिभोज का लाभ पानीपत के आयुष जैन ने लिया। श्री घंटाकर्ण देवता के जयघोषों से सारा मंदिर परिसर गूंजता रहा और घंटे बजाने की मधुर ध्वनि अलौकिक दिव्य वातावरण का सृजन करती रही।


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