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अभिभावक ही बने बच्चों की जान के दुश्मन

जागरण संवाददाता, करनाल : अभिभावक ही बच्चों की जान के दुश्मन बने हुए हैं। सुबह बच्चों को स्

By Edited By: Published: Sat, 21 Jan 2017 08:30 PM (IST)Updated: Sat, 21 Jan 2017 08:30 PM (IST)
अभिभावक ही बने बच्चों की जान के दुश्मन
अभिभावक ही बने बच्चों की जान के दुश्मन

जागरण संवाददाता, करनाल : अभिभावक ही बच्चों की जान के दुश्मन बने हुए हैं। सुबह बच्चों को स्कूल भेजते हुए वह यह नहीं सोचते हैं कि जिस वाहन में वह बच्चों को भेज रहे हैं वह सभी यातायात नियमों पर खरा भी उतरते हैं या नहीं। वाहन ओवरलोड है ठीक है। इस बात की ¨चता तब की जाती है जब कोई बड़ा हादसा होता है।

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हादसों की संख्या में कमी लाने के लिए उत्तर प्रदेश के ऐटा में हुए भयानक हादसे में मारे गए स्कूल बच्चों की दर्दनाक मौत के बाद राज्य परिवहन आयुक्त सुप्रभा दहिया व डीसी मंदीप ¨सह बराड़ के निर्देशों पर चे¨कग अभियान चलाया। आरटीए प्रद्युमन ¨सह ने अलग-अलग टीम बनाकर करनाल में कई जगह विभिन्न स्कूलों के बच्चों को ले जा रहे ऑटो चालकों पर शिकंजा कसते हुए पांच ऑटो इंपाउंड किया व 10 के चालान किए गए।

प्रशासन की इस कार्रवाई से क्षेत्र में हड़कंप मच गया। जिन ऑटो को इंपाउंड किया गया उनमें 17 से 20 बच्चे सवार थे। जिसके बाद परिवहन विभाग ने बिना कोई देरी किए सभी ऑटो को इंपाउंड कर लिया। ऑटो को लेकर अधिकारी बच्चों सहित अपने कार्यालय में ले गए, जहां हर बच्चे को समझाया गया कि इस तरह ऑटो में निर्धारित क्षमता से अधिक बच्चे बैठने का अंजाम कितना खतरनाक हो सकता है। विभाग के अधिकारियों ने ऑटो चालकों के साथ-साथ बच्चों के अभिभावकों को भी कार्यालय में बुलाकर उन्हें एहसास करवाया कि जब भी कोई बड़ी घटना घटती है तो उसमे हमेशा प्रशासन को ही जिम्मेदार माना जाता है, जोकि गलत है जबकि अभिभावक खुद अपने बच्चों को मौत के ऑटो में बैठने के लिए जिम्मेदार होते हैं, क्योंकि वो बच्चे को बैठाते समय अच्छे से जानते है कि वो अपने बच्चों को निर्धारित क्षमता से अधिक सवारियों की जगह बैठा रहे हैं, वो भी केवल कुछ पैसे बचाने के लिए।

आरटीए प्रद्युमन ¨सह को विश्वास दिलाया कि वो अब इस तरह ऑटो में स्कूल नहीं जाएंगे। जब इन बच्चों के अभिवावक आरटीए कार्यालय पहुंचे तो कई बच्चो ने अपने माता पिता से कहा कि वो जीना चाहते हैं तथा उनकी ¨जदगी से खिलवाड़ ना किया जाए। आरटीए प्रद्युमन ¨सह द्वारा शुरू की गई इस पहल का स्वागत लगभग सभी अभिभावकों ने किया। अपनी गलती को स्वीकार करते हुए परिवहन विभाग के अधिकारियों को विश्वास दिलाया कि वो अपने बच्चों को सही परिवहन साधन से ही स्कूल भेजेंगे। इस मौके पर आरटीए प्रद्युमन ¨सह के साथ निरीक्षक राजेश मालिक व जोगेंद्र ढुल भी मुख्य तौर से शामिल थे।


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