सदमे में परिवार, ढांढस बंधाने पहुंच रहे लोग
संवाद सूत्र, नि¨सग : ब्रास गांव के एक ही परिवार के छह लोगों की मौत से बाद धैर्य खो चुके परि
संवाद सूत्र, नि¨सग : ब्रास गांव के एक ही परिवार के छह लोगों की मौत से बाद धैर्य खो चुके परिवार को ढांढस बंधाने के लिए दूर-दराज से लोग पहुंच रहे हैं। हादसे ने किसी का भाई तो किसी का बेटा छीन लिया। जबकि किसी ने अपना पति तो किसी ने पिता को खो दिया। परिजनों को फफक फफक कर रोते बिलखते देख हर किसी का दिल पसीज रहा है। महिलाएं रो-रो कर अचेत हो रही थी। हृदय विदारक दृश्य को देख हर कोई रो रहा था।
ज्यादातर घरों में नही जला चूल्हा
गांव के गममीन माहौल से हर वर्ग आहत है, सभी गांव के लोग इस सदमे को सहन नहीं कर पा रहे हैं। मौत से गांव के अधिकतर घरों में चूल्हा तक नहीं जला। गम में डूबे परिवार को रह रह कर उनकी याद आ रही थी। परिवार एक मार्च का दिन जीवन में कभी भुला नहीं पाएगा।
बिलखते रहे महिलाएं व बच्चे
जब उनके घर से छह सदस्यों की अर्थी उठाई गई, तो महिलाएं व बच्चे बिलखकर बेहोश हो रहे थे। जिनको ग्रामीण दिलासा दिला रहे थे, लेकिन उनको फिर भी अपने परिजनों की मौत का संतोष नहीं हो पा रहा था। उनकी अंतिम शव यात्रा में सैंकड़ों लोग शामिल हुए।
विवाह के दौरान नहीं बजा डीजे
बुधवार को पिलनी गांव से संजू प्रजापत अपनी बारात लेकर ब्रास गांव में हंसी खुशी से लेकर अपने परिजनों व संबंधियों के साथ पहुंचा था, लेकिन जैसे ही उनको इस दर्दनाक हादसे के बारे में सूचना मिली तो उन्होंने डीजे नहीं बजाने का फैसला किया। बारात को चुपचाप तरीके से ही लिया गया और काम पूरा किया गया।
बच्चों के सिर से उठा सहारा
सड़क हादसे में मरने वालों में सोनू सबसे छोटी आयु का है। करीब सात साल पहले उसकी शादी हुई थी। वह अपने दो छोटे-छोटे बच्चों को इस दुनिया से छोड़कर विदा हो गए। इसी प्रकार अंग्रेज ¨सह के पास दो लड़के पांच से सात साल की हैं, इन बच्चों के सिर से पिता का सहारा उठ गया। मृतक काम ¨सह भी अपने पीछे दो लड़कों व दो लड़कियों को छोड़ गए हैं। हुकम ¨सह की दो लड़कियां व एक लड़का व मन्नू उर्फ अभिमन्यु के तीन लड़के व दो लड़कियां है। वह परिवार को छोड़कर सांसारिक यात्रा पूरी कर चले गए हैं। स्थानीय लोग छोटे बच्चों को देखकर कह रहे हैं कि मानवीय नुकसान की भरपाई नहीं की जा सकती है।
खेतीबाड़ी से कर रहे थे जीवन-यापन
स्थानीय लोगों के मुताबिक मृतक गरीब परिवार से हैं। खेतीबाड़ी कर अपना जीवन यापन करते थे। खुद की जमीन कम होने के कारण वह ठेके पर जमीन लेकर अपना परिवार का भरण-पोषण करते थे। परिवार के मुखिया हादसे में चले जाने के कारण अब परिवार का सहारा कौन बनेगा यह सभी के जहन में सवाल है