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गेंद हाथ में हो तो बल्लेबाज का नाम नहीं देखता : यजुवेंद्र

मनोज राणा, जागरण संवाददाता, करनाल जब गेंद हाथ में हो तो सामने वाले बल्लेबाज का नाम नहीं

By JagranEdited By: Published: Sun, 28 May 2017 03:00 AM (IST)Updated: Sun, 28 May 2017 03:00 AM (IST)
गेंद हाथ में हो तो बल्लेबाज का नाम नहीं देखता : यजुवेंद्र
गेंद हाथ में हो तो बल्लेबाज का नाम नहीं देखता : यजुवेंद्र

मनोज राणा, जागरण संवाददाता, करनाल

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जब गेंद हाथ में हो तो सामने वाले बल्लेबाज का नाम नहीं देखता। बल्लेबाज चाहे दिग्गज हो या फिर पहली बार बल्ला लेकर मैदान में उतरा खिलाड़ी सब बराबर हैं। किसी को भी हल्के में नहीं लेना चाहिए। जुनून के साथ ही आत्मविश्वास भी होना जरूरी है। इरादे बुलंद होंगे तो दुनिया के किसी भी बल्लेबाज को आप पैवेलियन भेज देंगे। जितनी ज्यादा मेहनत करोगे उतनी ही तेजी से मंजिल आपके पास खुद चलकर आएगी। यह कहना है आईपीएल में छह विकेट लेकर सबको चौंका देने वाले यजुवेंद्र चहल का। जींद का यह बेटा आज किसी परिचय का मोहताज नहीं। टी-20 जैसे तेज तर्रार खेल में भी हरियाणा के लाल ने खुद को साबित किया। यजुवेंद्र जब मैदान में होता है तो छोटे से छोटा लक्ष्य भी विरोधी टीम के लिए पहाड़ बन जाता है। 2009 में रणजी में चुने जाने के बाद आज तक यजुवेंद्र के कदम नहीं रुके। 2011 में मुंबई इंडियंस की टीम में जींद के लेग स्पीनर गेंदबाद की गेंदों ने जमकर कहर बरपाया। करीब चार साल से रॉयल चैलेंजर बैंगलोर की टीम में अपनी सेवाएं दे रहा है। महज 26 साल की उम्र में गेंदबाजी में अलग पहचान बनाने वाले यजुवेंद्र ने दैनिक जागरण से अपने अनुभव साझा किए।

सवाल : टी-20 ने प्रतिभाओं को नया आया आयाम दिया है। इसने गेंदबाजों की मुश्किलें कहां तक बढ़ा दी हैं?

जवाब : आईपीएल खुद को साबित करने का अच्छा अवसर है। इससे प्रतिभाओं को नया मंच मिला है। विश्व के धुरंधर क्रिकेटरों के साथ खेलकर उनसे सीखने का मौका मिलता है। यह जीवन में आगे चलकर बेहद काम आएगा। इसने गेंदबाज की मुश्किलें बढ़ाई नहीं बल्कि उन्हें विकट स्थिति में अपनी प्रतिभा दिखाने का मौका दिया है।

सवाल : लगातार चार बॉल पर बाउंड्री लगने के बाद गेंदबाज के सामने क्या चुनौती होती है। इससे कैसे निपटते हैं?

जवाब : फंसे मैच में एक के बाद एक बाउंड्री लगने से निश्चित रूप से दबाव आ जाता है। इस तरह की स्थिति से बाहर आने और विरोधी पर दबाव बनाने के लिए विकेट जी जरिया है।

सवाल : क्रिकेट में पदार्पण कैसे और कब हुआ, आपका रोल मॉडल कौन हैं?

जवाब : सात साल की उम्र में अपने सीनियर को क्रिकेट खेलते देखने जाया करता था। 2000 में खेलना शुरू कर दिया। गेंदबाजी में शेन वार्न मेरे आदर्श हैं। विराट कोहली और एबी डिविलियर्स की बल्लेबाजी बेहद पसंद है।

सवाल : समय के साथ क्रिकेट का स्वरूप बदल रहा है। क्या आने वाले दिनों में टी-10 आ सकता है?

जवाब : आज लोगों के पास इतना समय नहीं है। पहले टेस्ट क्रिकेट को जितनी तवज्जो दी जाती थी उतनी आज नहीं। इसमें कोई शक नहीं की टी-20 की तरफ लोगों का रुझान तेजी से बढ़ रहा है। लेकिन टी-10 का तो सवाल ही पैदा नहीं होता। इससे तो क्रिकेट खत्म हो जाएगा।

सवाल : क्रिकेट के अलावा किस अन्य खेल में रुचि है?

जवाब : बचपन में टेनिस भी काफी खेला। वर्ष 2003 में ग्रीस में आयोजित चैस व‌र्ल्ड कप में भी हिस्सा लिया। अंडर-12 में देश का प्रतिनिधित्व किया।

सवाल : युवाओं को क्या संदेश देना चाहेंगे?

जवाब : जिस भी क्षेत्र से जुड़ें उसमें खूब मेहनत करें। किसी भी खेल में एक दिन में नाम नहीं होता। लेकिन जो मेहनत करता है उसे मंजिल जरूर मिलती है। क्रिकेट में आगे बढ़ना है तो आपमें हर परिस्थिति से पार पानी की क्षमता लाजिमी होनी चाहिए।


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