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मेडिकल कॉलेज में मानवता से बड़ी चिकित्सकों की मनमानी

जागरण संवाददाता, करनाल कल्पना चावला राजकीय मेडिकल कॉलेज में चिकित्सकों द्वारा अपने पेशे

By JagranEdited By: Published: Sun, 23 Apr 2017 03:01 AM (IST)Updated: Sun, 23 Apr 2017 03:01 AM (IST)
मेडिकल कॉलेज में मानवता से बड़ी चिकित्सकों की मनमानी
मेडिकल कॉलेज में मानवता से बड़ी चिकित्सकों की मनमानी

जागरण संवाददाता, करनाल

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कल्पना चावला राजकीय मेडिकल कॉलेज में चिकित्सकों द्वारा अपने पेशे को शर्मशार करने वाली घटना सामने आई है। मानवता पर चिकित्सकों की मानमानी भारी पड़ती दिखी। एक गरीब अपने प्री-मेच्योर नवाजत को लेकर मेडिकल कॉलेज पहुंचा तो उसे केवल इसलिए भर्ती करने से इनकार कर दिया गया, क्योंकि चिकित्सकों ने बाहर पैदा हुए बच्चे को भर्ती न करने के नियम बना डाला। जब बच्चे के माता-पिता की कोई भी अर्जी का असर चिकित्सकों पर उन्हीं हुआ तो उसे चंडीगढ़ पीजीआई रेफर कर दिया गया। बच्चे का पीजीआई में चेकअप किया तो स्थानीय चिकित्सक ने परिजनों को कहा कि करनाल में मेडिकल कालेज में सुविधा है, वहां पर इलाज हो जाएगा वह फोन कर देते हैं। चिकित्सक की बात मानकर परिजन बच्चे को वापस मेडिकल कॉलेज ले आए, लेकिन वापस आने के बाद उनकी सुनने वाला कोई नहीं था। अब गरीब मां-बाप कर्ज लेकर लेकर निजी अस्पताल में बच्चे का इलाज कराने को मजबूर हैं, लेकिन मेडिकल कॉलेज में चिकित्सकों का दिल नहीं पसीजा।

13 अप्रैल को तरावड़ी सीएचसी में लिया था बच्चे ने जन्म

इंद्री के कुड़क जागीर गांव निवासी सुरेंद्र बच्चे के पिता के मुताबिक 13 अप्रैल को तरावड़ी के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में उसकी पत्नी ने लड़के को जन्म लिया था। सीएचसी स्टाफ ने बताया कि बच्चे का वजन काफी कम है और सांस लेने में तकलीफ है। उसे कल्पना चावला राजकीय मेडिकल कालेज में रेफर कर दिया गया। मेडिकल कालेज में बच्चे को दाखिल तो कर लिया, लेकिन एनआईसीयू में रखने से मना कर दिया। आखिरकार उन्हें चंडीगढ़ भेज दिया गया। वहां पर भी स्थानीय चिकित्सकों ने उसे टाल दिया और वापस केसीजीएमसी में भेज दिया। वापस आकर भी कोई सुनवाई नहीं हुई। फिर उधार पैसे उठाकर बच्चे का इलाज निजी अस्पताल में करवाना पड़ रहा है।

सिविल अस्पताल में थी एसएनसीयू की व्यवस्था

नवजात शिशुओं की देखरेख के लिए सिविल अस्पताल में एसएनसीयू की व्यवस्था की गई थी। यहां पर कभी इस प्रकार का केस सामने नहीं आया। लेकिन मेडिकल कॉलेज शिफ्ट होने के बाद इस प्रकार का फरमान जारी किया गया है कि उसी बच्चे को एनआईसीयू में दाखिल किया जाएगा जिस बच्चे ने यहां जन्म लिया है। ऐसे में सवाल यही खड़ा होता है कि जिले में सिविल अस्पताल नहीं है, गरीब व्यक्ति आखिर कहां जाए।

क्या है एनआईसीयू (निक्कू)

एनआईसीयू नवजात इंटेंसिव केयर यूनिट होती है। इस यूनिट में जो प्री मैच्योर डिलीवरी के केस होते हैं, यानि शिशु का जन्म समय से पहले हो तो या फिर जन्म के बाद वह अस्वस्थ हो तो उसे विशेष चिकित्सकीय सुविधाओं की जरूरत होती है। ऐसी स्थिति में एनआईसीयू इंटेंसिव केयर यूनिट की जरूरत होती है। जिसमें बच्चे को रखा जाता है। एनआईसीयू में विशेष चिकित्सकीय उपकरण जैसे कि इनक्यूबेटर, फी¨डग ट्यूब, फोटोथैरेपी लाइट, रेस्पिरेटरी मॉनीटर और कार्डिएक मॉनीटर होते हैं। शिशुओं या बीमार शिशुओं की देखभाल में प्रशिक्षित स्टाफ होता है। जो शिशुओं की पल-पल की मॉनीट¨रग रखता है।

वर्जन

अगर किसी चिकित्सक ने ऐसा किया है तो गलत है, ऐसा नहीं होना चाहिए था। मेरे संज्ञान में यह मामला नहीं है। मै इस मामले को देखता हूं। इस मामले की जांच की जाएगी। मेडिकल कॉलेज हर वर्ग के व्यक्ति के इलाज के लिए तत्पर है।

--डॉ. सुरेंद्र कश्यप, निदेशक कल्पना चावला राजकीय मेडिकल कॉलेज करनाल।


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