ऐसे तो मानसूनी बारिश में डूब जाएंगे ड्रेनेज सुधार के दावे
जागरण संवाददाता, करनाल सीएम सिटी में सीवरेज व नालों की सफाई का जिम्मा तीन विभागों के पा
जागरण संवाददाता, करनाल
सीएम सिटी में सीवरेज व नालों की सफाई का जिम्मा तीन विभागों के पास है। हुडा, नगर निगम व जनस्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का दावा है कि मानसून से पहले शहर में नालों व सीवरेज की सफाई का काम पूरा कर लिया जाएगा। लेकिन ओवरफ्लो सीवरेज व नालों की स्थिति शहर की स्थिति बयां कर रहे हैं। शहर में नालों व सीवरेज की सफाई का काम तो चल रहा है, लेकिन कछुआ चला से चल रहा है। ऐसे में इन दावों के बारिश के साथ ही बह जाने की आशंका भी बनी है। हालांकि तीनों विभाग ड्रेनेज सिस्टम सुधारने के लिए प्राइवेट लेबर से काम लेने का दावा भी कर रहे हैं।
इस समय प्री मानसून सीजन की बारिश होती है, जबकि एक जून से प्री-मानसून शावर शुरू हो जाएगी। मौसम विभाग की मानें तो 20 जून या उसके बाद बंगाल की खाड़ी से उठने वाला मानसून दस्तक दे सकता है। ऐसे में नालों व सीवरेज की सफाई नहीं होती है तो शहर की सड़कें पानी से लबालब होंगी। मानसून की तेज बारिश में शहर डूबता है तो जनस्वास्थ्य विभाग के पास समाधान नहीं है। विभागीय अधिकारी बरसाती नालों और सीवर की सफाई के काम में तीव्रता का दावा कर रहे हैं, लेकिन बहुत काम अभी पड़ा है।
बरसात में डूब जाती शहर की सड़कें
जन स्वास्थ्य विभाग ने शहर का बरसाती पानी निकालने के लिए जहां-जहां डिस्पोजल बनाए हैं, उन पर मोटरें लगाई गई हैं। ये मोटरें बिजली कनेक्शन से जुड़ी हैं। बिना बिजली डिस्पोजल पर पं¨पग करने वाले मोटरें बंद हो जाएंगी और पूरे शहर की सड़कों पर पानी भर जाएगा। पिछले साल जून में आई बारिश में शहर को इस समस्या से जूझना पड़ा था। शहर की मुख्य सड़कें पानी से लबालब हो गई थी। जिसमें सब्जी मंडी, फव्वारा चौक, सिविल अस्पताल एरिया, पुरानी अनाज मंडी एरिया, रेलवे स्टेशन, रामनगर, बसंत विहार तथा पुराना शहर सहित कई क्षेत्र शामिल हैं।
रैंप के वजह से नाली हो जाती अवरुद्ध
शहर में बारिश के पानी की निकासी के लिए जो नालियां बनाई जाती हैं, वह नियमित सफाई के अभाव में अवरुद्ध हो जाती हैं। वहीं घरों के सामने पड़े अवैध रैंप डाले हुए हैं, जिनके लिए तीन-चार वर्षो में नगर निगम ने एक-दो बार ही इस प्रकार का अभियान चलाया। वह भी केवल मुख्य बाजारों तक सीमित रहा। कुछ दिन बाद ही दोबारा वही हालत हो जाती है।
पोलिथिन से हो जाते नाले जाम
नालों व नालियों के जाम होने का एक प्रमुख कारण बड़े पैमाने पर पोलिथिन का इस्तेमाल भी है। लोग पोलिथिन व अन्य कचरा यहा-वहा डाल देते हैं। कुछ तो नालों में ही कचरा डाल देते हैं। जिससे नाले व नालियां जाम हो जाते हैं। सड़क किनारे बने नालों में तो रेहड़ी व पटरी वाले भी अपना कचरा डालते रहते हैं। सफाई होने के कुछ दिन बाद ही उतना ही कचरा फिर जमा हो जाता है। हालात फिर पहले जैसे हो जाते हैं। यही नहीं सफाई करके कर्मचारी गंदगी को सर्विस रोड पर डाल देते हैं, जो दोबारा नालों में चली जाती है।
इन जगहों पर चल रहा है काम
भगवाड़िया गैस एजेंसी से राजीव कालोनी रेलवे लाइन तक नाले की सफाई की जा रही है। शमशान घाट से लेकर भगवाड़िया गैस एजेंसी तक वाले नाले पर काम चल रहा है। खेड़ा कालोनी के पास मशीन से सीवरेज की सफाई की जा रही है। हांसी चौक पर सीवरेज साफ करने के लिए मशीन लगाई गई है।
तय समयानुसार पूरा कर लेंगे काम
विभाग के पास सफाई कर्मचारियों की कमी होने के दिक्कतें जरूर आती हैं, लेकिन प्राइवेट लेबर से काम लिया जा रहा है। फिलहाल 40 सफाई कर्मचारियों को क्षेत्र में जुटा रखा है। मानसून से पहले शहर में सफाई का काम पूरा कर लिया जाएगा।
--एके तनेजा, एसडीओ जनस्वास्थ्य विभाग करनाल।