संग्राम के अधूरे ख्वाब में बच्चे भरेंगे हकीकत के रंग
जागरण संवाददाता, करनाल सपना था कि ओलंपिक में मेडल जीतूं। यह ख्वाब तो पूरा नहीं हो सका।
जागरण संवाददाता, करनाल
सपना था कि ओलंपिक में मेडल जीतूं। यह ख्वाब तो पूरा नहीं हो सका। अब ख्वाहिश है कि अब बच्चों का जरिया बनूं, ताकि वह ओलंपिक में मेडल जीतें। इससे मेरा सपना खुद व खुद पूरा हो जाएगा। अपना पेट तो सभी भरते हैं। दूसरों के लिए कुछ कर पाया तो असल ¨जदगी वही है। यह कहना है कुश्ती में देश को नई पहचान दिलाने वाले पहलवान संग्राम ¨सह का।
शुक्रवार को अपने जन्मदिन पर सीएम मनोहर लाल से चंडीगढ़ मिलने जा रहे यह पहलवान दैनिक जागरण के कार्यालय पहुंचे। ¨जदगी में पग-पग पर परीक्षा देने वाले संग्राम ¨सह एक बार फिर जंग लड़ रहे हैं। देश को नई पहचान दिलाने वाले महान खिलाड़ी की अनदेखी के खिलाफ। फिल्म के जरिये इस पर चोट भी की जाएगी। उन्होंने बताया कि केडी जाधव पर बनाई जा रही फिल्म से वह महान पहलवान के संघर्ष को पर्दे पर जीवंत करेंगे। एक ऐसा शख्स जिसने भारत को ओलंपिक में पहला व्यक्तिगत पदक दिलाया, लेकिन विडंबना है कि उन्हें आज तक सही पहचान नहीं मिल पाई। पहला आदमी जिसे मौत के 15 साल बाद अर्जुन अवार्ड मिला। पदमश्री अवार्ड आज तक नहीं मिल पाया, जबकि एशियन में खेलने वाले खिलाड़ी इससे नवाजे जा चुके हैं। दुख है कि लोगों ने भी जाधव को भुला दिया।
सवाल : आपको क्या लगता है। कहां चूक है, कैसे सुधार होगा?
जवाब : सेना व स्पोर्ट्स की देश की ताकत होते हैं। गांवों के खिलाड़ियों को पता नहीं होता कि खेल योजनाओं का कैसे लाभ उठाएं। 80 प्रतिशत प्रतिभाएं गांवों में ही हैं। ऐसी कमेटी बने, जिसकी पहुंच ग्रामीण क्षेत्र की गली कूचों तक हो। इस बारे में सीएम मनोहर लाल से बात करूंगा। दो दिन पहले ही यूपी के सीएम योगी से भी मिला था। पहले नेताओं को खुश करने के लिए खेल मंत्री बना देते थे, अब हालात बदल रहे हैं।
सवाल : जन्म के समय बीमारी, जवानी में आठ साल व्हील चेयर पर काटे, डेथ वारंट पर साइन कर कॉमनवेल्थ हेवीवेट चैंपियनशिप में विदेशी खिलाड़ी को धूल चटा दी, कैसे?
जवाब : सब कुछ माता-पिता के आशीर्वाद से है। मेरी मां ने जीवन में कभी हिम्मत नहीं हारी। शिक्षा के साथ ही संस्कार भी जीवन में मायने रखते हैं। मेरा मानना है कि मैं आज भी जीरो पर हूं। बस कोशिश कर रहा हूं, करता रहूंगा कि कुछ अच्छा करूं और किसी का जरिया बन सकूं।
सवाल : मेडल जीतने के बाद कई खिलाड़ी कमाई में जुट जाते हैं। तंबाकू व गुटखे के विज्ञापन में उन्हें देखकर युवा भटक रहे हैं?
जवाब : पैसा कमाना बड़ी बात नहीं, इज्जत की रोटी कमाना मायने रखता है। मेरा मानना है कि खिलाड़ी को कभी तंबाकू, गुटखा, कोल्ड ¨ड्रक व शराब का विज्ञापन कतई नहीं करना चाहिए। शुरुआत में मैंने भी कोल्ड ¨ड्रक का विज्ञापन किया, लेकिन जब इसके नुकसान के बारे में पता चला तो तौबा कर ली। जन्मदिन पर पौधे लगाएं। मैंने इस बार 1100 लगाकर अपना जन्मदिन मनाया।