दिव्यागों को फें¨सग के गुर सिखाने लंदन से आए बलदीप
फोटो----22 नंबर है। 10 सालों से ब्रिटिश व्हील चेयर फैं¨सग टीम को दे रहे हैं प्रशिक्षण,
फोटो----22 नंबर है।
10 सालों से ब्रिटिश व्हील चेयर फैं¨सग टीम को दे रहे हैं प्रशिक्षण, कनाडा में हुई थी भारतीय खिलाड़ियों से मुलाकात
जागरण संवाददाता, करनाल
लंदन में करीब 10 सालों से ब्रिटिश व्हील चेयर फैं¨सग टीम को को¨चग दे रहे भारतीय मूल के कोच बलदीप ¨सह को फिर देश की माटी खींच लाई। 28 सालों से इंग्लैंड रह रहे बलदीप दूसरी बार करनाल पहुंचे और दिव्यांगों को प्रशिक्षण देना शुरू किया। वह करीब 10 दिन तक यहां रहेंगे। इससे पहले अक्टूबर 2016 में उन्होंने 15 दिन तक दिव्यांगों को प्रशिक्षण दिया था। लंदन से करनाल प्रशिक्षण देने आने की उनकी कहानी भी दिलचस्प है। दरअसल बलदीप ¨सह की भारतीय दिव्यांग फैं¨सग टीम से कनाडा में मुलाकात हुई थी। अपने देश के दिव्यांग खिलाड़ियों की प्रतिभा को देखकर वह इतने प्रभावित हुए कि अपने वतन आने का निर्णय लिया। कर्ण स्टेडियम में व्हील चेयर फैं¨सग का अभ्यास करवा रहे कोच सत्यवीर पोसवाल से मेल के जरिये संपर्क हुआ और करनाल में पहुंच गए। तीन दिन से वह कर्ण स्टेडियम में दिव्यांग तलवारबाजों को प्रशिक्षण देने में जुटे हैं। कर्ण स्टेडियम में अभ्यास करने वाले दिव्यांग फैं¨सग खिलाड़ी इसे लेकर काफी उत्साहित हैं। अभिमन्यु हॉल में इन दिनों आम दिनों से कई घंटे अधिक प्रैक्टिस हो रही है। दिव्यांग बेटियां भी खूब मेहनत कर रही हैं। लंदन के कोच ने दैनिक जागरण से अपने विचार साझा किए।
सुविधाओं के अभाव में पिछड़ रही प्रतिभाएं
इंग्लैंड के लिए रियो ओलंपिक 2016 में इंग्लैंड के लिए सिल्वर मेडल जीत चुके बलदीप ¨सह दिव्यांगों की अनदेखी से काफी आहत हैं। उन्होंने कहा कि भारत में सुविधाओं के अभाव के कारण प्रतिभाएं पिछड़ रही हैं। इंग्लैंड में दिव्यांग फैं¨सग खिलाड़ियों को सरकार की ओर से पूरी मदद मिलती है। राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में जाने से लेकर दूसरे देशों में लगने वाले प्रशिक्षण शिविर का पूरा खर्च सरकार उठाती है। लेकिन भारत में ऐसा नहीं है। दिव्यांग तलवारबाजों को राष्ट्रीय स्तर पर जीतने के बाद भी कुछ नहीं मिलता। सरकार को दिव्यांगों के लिए कुछ करना चाहिए।
भारतीय दिव्यांग तलवारबाजों में गजब का हुनर
पंजाब के फगवाड़ा जिले के गांव मेहल में जन्में बलदीप ¨सह ने कहा कि भारत के दिव्यांग तलवारबाजों में गजब का हुनर है। सुविधा कम मिलने के बावजूद यहां के फैं¨सग खिलाड़ी अपने खेल को लेकर काफी संजीदा हैं। यही बात उन्हें दूसरी बार करनाल खींच लाई। लंदन में ब्रिटिश व्हील चेयर फें¨सग टीम को रविवार को छोड़कर सप्ताह में छह दिन वह प्रशिक्षण देते हैं। हरियाणा में केवल करनाल में दिव्यांगों को व्हील चेयर फें¨सग का प्रशिक्षण दिया जाता है। यहां कई जिलों के खिलाड़ियों को ट्रे¨नग देने से उन्हें काफी सुकून मिलता है। कहा कि कोच सत्यवीर पोसवाल और विकास काफी अच्छा काम कर रहे हैं।