अपने ही नियमों में आग लगा रहा प्रशासन
जागरण संवाददाता, करनाल 100 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर से अधिक प्रदूषण मतलब सेहत से सीधा
जागरण संवाददाता, करनाल
100 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर से अधिक प्रदूषण मतलब सेहत से सीधा खिलवाड़। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अप्रैल के आंकड़ों के अनुसार कर्णनगरी में यह मात्रा 80 से 90 माइक्रोग्राम तक पहुंच चुकी है। फिलहाल तो यहां की आबो हवा सही है, लेकिन हम संकट के मुहाने पर हैं। केवल 10 माइक्रोग्राम का फासला है। समय रहते नहीं चेते तो जल्द ही यहां भी सांस लेना दूभर हो जाएगा। एनसीआर क्षेत्र में बढ़ते प्रदूषण के स्तर को ही देखते हुए बीते वर्ष नवंबर में एनजीटी ने कड़ा संज्ञान लिया था। इसके बाद शहरी स्थानीय निकाय ने भी फरमान जारी कर दिए कि कचरे को आग लगाई तो पांच हजार रुपये जुर्माना लगेगा। इसके लिए बकायदा कमेटी गठित की गई, लेकिन नियम को सरकारी विभागों ने ही ठेंगा दिखा दिया। सबसे पहले स्वास्थ्य विभाग ने ही लोगों की सेहत से खिलवाड़ किया। 25 जनवरी को सिविल सर्जन कार्यालय में सफाई के बाद कचरे में आग लगा दी गई, लेकिन नगर निगम नोटिस से आगे नहीं बढ़ पाया। इसके बाद कुछ सफाई कर्मचारियों ने भी कचरे को आग लगाकर प्रदूषण को खतरनाक स्तर तक पहुंचाने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी।
28 के चालान काटे, जुर्माना देने से इंकार
नगर निगम ने प्रदूषण के स्तर को कम करने के लिए एनजीटी के निर्देशों के तहत दुकानदारों के धड़ाधड़ चालान काटे। सेनेटरी इंस्पेक्टर सुरेंद्र चोपड़ा ने कचरे को जलाने पर 28 दुकानदारों के चालान काटे। जुर्माना भरने के लिए उन्हें नगर निगम में बुलाया गया, लेकिन किसी ने आने की जहमत नहीं उठाई। हारकर नगर निगम ने चालान को एनजीटी के पास भेज दिया। अब इन दुकानदारों पर एनजीटी की गाज गिरना तय है। दुकानदारों के साथ ही सरकारी विभागों पर भी कमेटी नकेल कसे तो सही मायने में बात बनेगी।
झाड़ू से सफाई भी बढ़ाती है प्रदूषण
शहरी स्थानीय निकाय निदेशालय के माध्यम से आए एनजीटी के आदेशों में साफ कहा गया था कि कचरे को आग के हवाले करने के साथ ही झाडू से सफाई भी नहीं होगी, क्योंकि इससे धूल उड़ती है जो सेहत के लिए खतरनाक है। इसलिए सुनिश्चित किया जाए कि स्वी¨पग मशीन से ही सफाई हो। सड़कों पर पानी का छिड़काव तक करने की हिदायत पत्र में दी गई थी। लेकिन अभी इस पर संज्ञान नहीं लिया गया।
सख्त फरमान, 20 ¨बदुओं पर दें ध्यान
एनजीटी के आदेश के बाद शहरी स्थानीय निकाय निदेशालय हरियाणा ने 8 नवंबर को प्रदेश के सभी नगर निगम, नगर परिषद व नगर पालिकाओं को इस संबंध में पत्र जारी कर आगाह किया था। कहा गया था कि 20 ¨बदुओं पर कागजों के साथ ही धरातल पर भी काम हो। कमेटी बनाकर क्षेत्र में कचरे व फसलों के अवशेष जलाने वालों पर नकेल कसी जाए। निर्माण कार्य के समय उड़ने वाली धूल व वाहनों के कारण हो रहे प्रदूषण पर भी कमेटी को नजर रखनी है। अपनी हर कार्रवाई का कमेटी को रिकार्ड भी रखना होगा।
मई की रिपोर्ट पर निगाह
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के एसडीओ वीरेंद्र पुनिया के अनुसार दीवाली व फसल के सीजन में करनाल में प्रदूषण का स्तर 140 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर तक पहुंच जाना आम बात थी लेकिन इस बार अप्रैल की रिपोर्ट ने राहत दी। अबकी बार यह 80 से 90 माइक्रोग्राम के बीच रहा। फसल अवशेष मई में जलाए गए और इसकी रिपोर्ट अभी दो-चार दिन में आनी है। इस पर सभी की निगाहें हैं। एनसीआर क्षेत्र में बढ़ते खतरे को कम करने के लिए ही एनजीटी ने सख्त कदम उठाने के निर्देश दिए थे। 100 माइक्रोग्राम से अधिक प्रदूषण से श्वास, लीवर, हृदय व रक्त संबंधी बीमारी का खतरा बढ़ जाता है।
वर्जन
एनजीटी के आदेश मिलते ही नगर निगम ने कमेटी गठित कर दी थी। नगर निगम के टोल फ्री नंबर 18001802700 पर भी इसकी शिकायत की जा सकती है। कचरे को आगे लगाने पर करीब 28 दुकानदारों के चालान किए गए हैं। सफाई कर्मचारी या कोई सरकारी विभाग भी यदि ऐसा करता पाया गया तो उसे भी बख्शा नहीं जाएगा।
धीरज कुमार, ईओ, नगर निगम, करनाल