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गांव पोलड़ में जलभराव की समस्या विकराल

संवाद सहयोगी, सीवन : ऐतिहासिक गांव पोलड़ में मूलभूत सुविधाओं का अभाव है। गांव के नजदीक से

By JagranEdited By: Published: Mon, 27 Feb 2017 12:46 AM (IST)Updated: Mon, 27 Feb 2017 12:46 AM (IST)
गांव पोलड़ में जलभराव की  समस्या विकराल
गांव पोलड़ में जलभराव की समस्या विकराल

संवाद सहयोगी, सीवन : ऐतिहासिक गांव पोलड़ में मूलभूत सुविधाओं का अभाव है। गांव के नजदीक से सरस्वती नदी निकल रही है, लेकिन इसमें गंदा पानी पूरी तरह से सड़ चुका है जो कि बीमारियों को न्यौता दे रहा है। पीने के पानी की भी समस्या है। वहीं प्राचीन गांव होने के कारण पुरातत्व विभाग द्वारा बार-बार गांव को खाली करने के नोटिस भी दिए जा रहे हैं, इससे ग्रामीण हर समय भय के साये में जीवन व्यतीत करते हैं।

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कई बार खुदाई हो चुकी है अब तक कुछ भी नहीं मिला है। करीब 70-80 सालों से बसे लोगों को आज भी भूमि का अधिकार नहीं मिला जबकि उन्होंने ऊंचे नीचे टीलों को समतल करके अपने आशियाने बनाए हुए हैं।

ग्रामीणों ने बताया कि रामायणकाल से इस गांव का इतिहास जुड़ा है। एक किदवंति के अनुसार यहां पर पुलस्तमुनि का आश्रम होने से उसका नाम पुलस्तमुनी से बिगड़ कर पोलड़ पड़ा। पुलस्तमुनि लंकेशपति रावण का वंशज थे।

सीवन ग्राम पंचायत से अलग हुई पंचायत पोलड़ में बड़ा डेरा हिम्मतपुरा सहित दर्जनों डेरे हैं। गांव में शहनशाह नौ गजा पीर की दरगाह व सरस्वती मंदिर हैं। गांव में जन सुविधाओं का टोटा है। पानी की निकासी, पीने का पानी, सफाई व्यवस्था बदहाल है। कई बार इस बारे में ग्रामीण अपनी मांगों को लेकर आवाज उठा चुके हैं, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही है।

मूलभूत सुविधाओं की कमी :

श्रवण कुमार ने बताया कि गांव में बुनियादी सुविधाओं की कमी है बिजली के आने जाने का कोई समय नहीं है। पेयजल की किल्लत दूर दराज की बस्ती में पानी न पहुंचने की है। उन्हें दूर दराज के क्षेत्र से पानी लाना पड़ता है। कई बार समस्याओं को लेकर अवगत करवा चुके हैं, लेकिन कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है।

गंदा पानी पीने को मजबूर

जगदीप ¨सह ने बताया कि पीने का पानी स्वच्छ न होने के कारण लोग बीमारियों का शिकार हो रहे हैं। इस बारे में पानी की जांच कई बार की जा चुकी है, लेकिन कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। गांव की अधिकतर गलियां कच्ची है। पेयजल नलकूप की आवश्यकता है। इसके साथ गांव के नजदीक से गुजर रही प्राचीन सरस्वती नदी को पर्यटन के रूप में विकसित किया जाए। इसका विकास होने से गांव के लोगों को तो फायदा होगा ही साथ में सरकार को भी इसका लाभ मिलेगा।

लोगों को मिले मालिकाना हक :

विमल नंबरदार ने बताया कि गांव के लोगों को मुख्य समस्या है कि गांव में बार बार पुरातत्व विभाग की तरफ से नोटिस आते हैं कि वह गांव को खाली करवा लेंगे। इस कारण से लोग हमेशा ही भय के साये में रहते हैं। गांव में कई बार पुरातत्व विभाग की ओर से खुदाई करवाई जा चुकी है परंतु उसमें विभाग को कुछ हासिल नहीं हुआ है। ऐसे में सरकार को चाहिए कि वह इस मामले में हस्तक्षेप करते हुए लोगों को इस समस्या से निजात दिलाई जाए। गांव के लोगों को भूमि का मालिकाना हक मिले।

करवाए जा रहे विकास कार्य :

सरपंच गगनदीप कौर कहा कि गांव में ग्रामीणों के सहयोग से विकास कार्य करवाए जा रहे हैं। पीने के पानी, गंदा पानी की निकासी सहित कुछेक मुख्य समस्या है, जिसे प्रशासनिक अधिकारियों से मिलकर दूर किया जाएगा। गांव में विकास कार्य करवाना ही पंचायत का मुख्य लक्ष्य है।


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