कोर्ट के आदेशों को दरकिनार कर बेची गई जमीन
संवाद सहयोगी, कलायत: पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के आदेशों को दरकिनार कर तालाबों के दायरे की जमी
संवाद सहयोगी, कलायत: पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के आदेशों को दरकिनार कर तालाबों के दायरे की जमीन को बेचने की उजागर हुई परतों से मुनाफाखोरों की नींद उड़ गई है। पूरे पैसे की अदायगी व अन्य माध्यमों से रजिस्ट्री का इकरार कर गरीब लोगों से मोटी रकम ऐंठने पर राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग अलग से संज्ञान लेने की तैयारी में है। आयोग सदस्य ईश्वर ¨सह को कलायत के प्रभावित परिवारों ने स्थिति से अवगत करवाया है।
इस मामले में सबसे ज्यादा गंभीर स्थिति मजदूर परिवार जयभगवान व अन्य अनुसूचित जाति परिवारों की है। इन्होंने पसीना बहाते हुए मुश्किल से पाई-पाई जोड़ जमीन खरीदी। दर्शना देवी का कहना है कि न्यायालय के आदेशों की वे पालना करते है। उन्हें नहीं मालूम था कि जिस जमीन को उन्हें स्वयं की मिलकीयत बताकर बेचा गया वह मामला न्यायालय से जुड़ा था।
उन्होंने न केवल मुंह मांगी कीमत जमीन की चुकाई, बल्कि गहने बेचकर घर बनाया, बिजली व पानी के कनेक्शन लिए। उन्हें इस झांसे में फंसाने वाले लोगों को समाज सेवी संगठन मुख्य रूप से जिम्मेवार ठहरा रहे है। सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि दलाली के लालच में जिन लोगों ने गरीबों को तबाही के मुंह में धकेला उनके खिलाफ विभिन्न धाराओं के तहत मामले दर्ज किए जाने जरूरी है।
उक्त परिवारों के अलावा सामान्य वर्गाें से जुड़े प्रभावितों की सूची लंबी है। ये बार-बार दोहराते आ रहे है कि वे कब्जाधारी नहीं, पैसे चुकाकर जमीन खरीदी। रजिस्ट्री करने वाले अधिकारी इसके लिए ज्यादा जिम्मेवार है। उस दौरान जिला प्रशासन ने स्पष्ट किया था कि राजस्व विभाग का रिकार्ड हर बात की गवाही दे रहा है।
अनाधिकृत कब्जे हटाने के थे आदेश
हरियाणा सरकार को कलायत नगर में जोहड़ों और तालाबों से अनधिकृत कब्जों को हटाने के आदेश कई वर्ष पहले दिए गए थे। मुख्य न्यायाधीश टीएस ठाकुर और न्यायाधीश जसवीर ¨सह की खंडपीठ ने छह वादियों द्वारा डाली गई जनहित याचिका पर यह फैसला सुनाया था। न्यायालय में पक्ष रखा था कि कलायत नगर पालिका क्षेत्र में 121 कनाल में गैर मुमकिन जोहड़ के अधिकतर भाग पर अवैध कब्जे हैं। इनकी देखरेख की जिम्मेवारी नगर पालिका पर है।
जनहित याचिका की सुनवाई करते चीफ जस्टिस टीएस ठाकुर और जस्टिस जसवीर ¨सह ने फैसले में कहा कि अहम सवाल यह है कि उपरोक्त भूमि को कलायत नगर पालिका ने अधिकृत करने के लिए अब तक प्रयास क्यों नहीं किए। इस मुद्दे पर जिला प्रशासन की ओर से नायब तहसीलदार कलायत ने न्यायालय में शपथ पत्र प्रस्तुत किया था। वहीं नगर पालिका की ओर से दिए गए शपथ पत्र में बताया गया कि नगर पालिका गठन के बाद यह भूमि उसके अधिकार क्षेत्र में आ गई। हरियाणा पालिका एक्ट-1973 के सेक्सन 2 (22-बी और सेक्सन 61) के तहत इस प्रकार की भूमि की मिलकियत नगर पालिका की है। इस पर भी कोई कदम न उठाने से स्पष्ट कोताही जाहिर होती है।