बजरंग बली की जन्म स्थली माना जाता कपिस्थल
पंकज आत्रेय, कैथल: कैथल शब्द का उल्लेख प्राचीन इतिहास में मिलता है। इसको कपिस्थल के नाम से भी
पंकज आत्रेय, कैथल: कैथल शब्द का उल्लेख प्राचीन इतिहास में मिलता है। इसको कपिस्थल के नाम से भी जाना जाता है। किवंदती है कि महाभारत युग के दौरान कैथल की स्थापना राजा युधिष्ठिर ने की थी। इतिहासकारों का मानना है कि कैथल को प्राचीनकाल में कपिस्थल के नाम से जाना जाता था। कपिस्थल'का अर्थ है Þबंदरों का स्थान'। पहले यहां काफी बंदर पाए जाते थे। हमारे पुराणों में उल्लेख है कि भगवान हनुमान का जन्म भी इसी स्थान पर हुआ था। यहाँ पर Þअंजनी का टीला'है, यहीं पर हनुमान का जन्म हुआ बताया जाता है।
यहां के पुराने ऐतिहासिक स्थल, धार्मिक स्थन और जगह-जगह सदियों पूर्व बने भवनों के खंडहर अतीत की महत्वपूर्ण यादें संजोए हुए हैं। इसके विभिन्न हिस्सों में खंडहरनुमा प्राचीन स्थलों को देखकर पता चलता है कि जिला-मुख्यालय ÞकैथलÞ कभी एक समृद्ध नगर रहा होगा।
कैथल 1 नवंबर 1989 में हरियाणा के एक जिले के रूप में अस्तित्व में आया। इससे पूर्व यह करनाल जिले और फिर कुरूक्षेत्र जिले का उपमंडल भी रहा। राज्य के गठन के समय कैथल एक तहसील थी। यह तहसील भी जिला करनाल के अंतर्गत थी। वर्ष 1973 के प्रारंभ में जब कुरूक्षेत्र जिले को अलग जिले का दर्जा दिया गया तो यह क्षेत्र कुरूक्षेत्र में चला गया।
इसलिए कैथल तहसील के अलावा गुहलाचीका सब-तहसील भी कुरूक्षेत्र में चली गई। बाद में जिला बनने के बाद कैथल तथा गुहला तहसीलों के अलावा फतेहपुर-पुंडरी व कलायत भी उप-तहसीलों के रूप में अस्तित्व में आये। गुहला चीका और कलायत अब सब डिविजन बन चुके हैं। उत्तर-पश्चिम दिशा में जिले की लंबी सीमा पंजाब के साथ सटी हुई है।
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दस साल ने बढ़ाया जिले का दर्जा
जितनी तेजी से कैथल का स्वरूप बदला है, शायद ही प्रदेश के किसी दूसरे जिले का बदला हो। नई सदी की शुरुआत इस शहर व जिले के लिए वरदान के रूप में हुई। खासतौर पर 2004 से 2014 तक का दशक विकास की ²ष्टि से यादगार रहेगा। इस अवधि में नए बस अड्डा, आधुनिक आइटीआइ, राजकीय कॉलेज, प्राइवेट यूनिवर्सिटी, ड्राइ¨वग एंड ट्रे¨नग स्कूल, ओवरब्रिज, सड़कें, सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट्स, बिजली व जनस्वास्थ्य विभागों की नई डिविजन, हांसी-बुटाना जल परियोजना, चिल्ड्रन पार्क, खनौरी-पटियाला रोड नया बाइपास, विभिन्न विभागों के नए भवन, बिजली एकल ट्रांसफार्मर योजना की शुरुआत भी यहीं से हुई थी।
इतिहास के झरोखे से
इस जिले में स्थित कैथल, पूंडरी, सीवन व कलायत जैसे क्षेत्र इस बात का प्रमाण हैं कि यह भूमि धर्म और संस्कृति की सदा ही धनी रही है। इसके चारों ओर सात सरोवर और आठ गेट थे।
शहर के भीतर हर ग्रह के नाम एक कुंड की स्थापना महाभारतकाल में महाराजा युधिष्ठिर ने युद्ध में अपने पित्तरों की आत्मा की शांति के लिए कराई थी।
भारत की पहली मुस्लिम महिला शासिका रजिया सुल्तान की कब्रगाह भी यहीं बनी हुई है। 13 नवंबर 1230 को पिता इल्तुतमिश और पति के साथ यहां उनकी हत्या कर दी गई थी। सिखों के गुरु हरि राय ने यहां के राजा देसू ¨सह को भाई की उपाधि प्रदान की थी, जिसके बाद यहां के शासक भाई कहलाए।
1843 तक भाई उदय ¨सह ने कैथल रियासत पर हुकूमत की। 14 मार्च 1843 को उनकी मौत हो गई। उनकी मौत के करीब एक माह बाद 10 अप्रैल को अंग्रेजों ने इसे अपने साम्राज्य में मिलाने के लिए आक्रमण कर दिया। यहां के लोगों ने 1857 की क्रांति में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया।
यह हैं कुछ खास
कैथल का चावल देश भर में मशहूर है। यहां के चावल निर्यातकों ने खाड़ी देशों में अपना झंडा बुलंद किया हुआ है। धान उत्पादन में अग्रणी होने के चलते यह धान के कटोरे में शामिल है। यहां की फिरनी की दूसरे देशों तक धूम है। सावन माह से पहले ऑर्डर शुरू हो जाते हैं। यहां की बेटियां पर्वतारोहण में अपनी धाक जमाई है। पद्मश्री ममता सौदा और सीमा गोस्वामी इसी मिट्टी में पली हैं। कबड्डी में पाई, देबन, कुराड़, जाखौली और दुब्बल के खिलाड़ियों ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनाई है। अनाज मंडी प्रदेश की चु¨नदा बड़ी मंडियों में शुमार है।
ये हैं पर्यटन स्थल
कैथल में धार्मिक और ऐतिहासिक पर्यटन स्थल हैं। शहर में भाई उदय ¨सह का किला, प्राचीन बावड़ी, महाभारतकालीन नवग्रह कुंड, बिदक्यार झील, गुरुद्वारा नीम साहिब, श्रीग्यारह रुद्री मंदिर, अंबकेश्वर मंदिर, हजरत बाबा शाह कमाल कादरी, डेरा बाबा शीतल पुरी, पूंडरी के पास विश्व प्रसिद्ध फल्गु तीर्थ, माता मनसा देवी मंदिर, कलायत में कपिलमुनि मंदिर, खड़ालवा शिव मंदिर, गुहला में यक्ष अरंतुक स्थल दर्शनीय हैं।
एक नजर
जनसंख्या- 1074304
क्षेत्रफल -2317 वर्ग किलोमीटर
सबडिविजन -03, कैथल, कलायत एवं गुहला
खंड - सात: गुहला, कैथल, कलायत, पूंडरी, राजौंद, सीवन और ढांड
तहसील - चार: कैथल, गुहला, कलायत व पूंडरी
उप तहसील - तीन : राजौंद, सीवन, ढांड
कुल गांव -276
ग्राम पंचायत - 268
साक्षरता - 70.6 प्रतिशत