बार एसोसिएशन की अब अपनी मोबाइल एप
जागरण संवाददाता, कैथल: जिला बार एसोसिएशन में साजन ने मंगलवार को ही पंजीकरण कराया और प
जागरण संवाददाता, कैथल: जिला बार एसोसिएशन में साजन ने मंगलवार को ही पंजीकरण कराया और पहले ही दिन उनके हाथों से बार का मोबाइल एप लॉंच हुआ। बार रूम में एक कार्यक्रम का आयोजन किया था, जिसमें जिला एवं सत्र न्यायाधीश शालिनी ¨सह नागपाल बतौर मुख्यातिथि उपस्थित हुई। अध्यक्षता बार के प्रधान अशोक गौतम ने की। न्यायालय के तमाम न्यायाधीश विशिष्ट अतिथि के रूप में पहुंचे थे।
कार्यक्रम की शुरुआत में कैथल बार एसोसिएशन के नाम से मोबाइल एप्लीकेशन लांच किया गया। सेशन जज शालिनी ¨सह ने इसमें कुछ और चीजें भी जोड़ने का सुझाव दिया। उन्होंने वकीलों को बधाई देते हुए कहा कि वर्तमान युग तकनीक का है। यह सराहनीय कदम है कि सभी वकीलों की जानकारी, न्यायालय और प्रशासन के अधिकारियों के संपर्क व गतिविधियों का ब्यौरा अब एक ही क्लिक में उपलब्ध हो गया है। किसी भी वकील से संपर्क करना हो, कोई कानूनी जानकारी चाहिए या फिर वकीलों की गतिविधियों के बारे में जानना हो तो एक मोबाइल ऐप आपकी मदद करेगा।
बार एसोसिएशन के प्रधान अशोक गौतम ने बताया कि इस एप्लीकेशन को बनवाने में साढ़े 37 हजार रुपये की लागत आई है और हर साल नवीनीकरण के लिए दो हजार रुपये का खर्च रहेगा। नए जुड़ने वाले वकीलों या और कई तरह की अपडेट के लिए यह शुल्क रखा गया है।
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850 वकील पंजीकृत
जिला बार एसोसिएशन में इस समय 850 वकील हैं। इस मोबाइल एप में सभी का ब्यौरा रहेगा। गौतम ने बताया कि वकीलों की फोटो, चैंबर नंबर, मोबाइल नंबर, पते आदि सब अपलोड कर दिए गए हैं। इसकी लॉं¨चग के बाद किसी को भी अब टेलीफोन डायरेक्टरी उठाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। यह एक पेपरलेस डायरेक्टरी ही होगी। इसे आफलाइन मोड में भी प्रयोग किया जा सकेगा।
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डीजे ने दिए सुझाव
जिला एवं सत्र न्यायाधीश शालिनी ¨सह नागपाल ने कि एप्लीकेशन को और उपयोगी बनाने के लिए इसमें अपडेट करने के सुझाव दिए।
- मोबाइल ऐप को केस इन्फारमेशन सिस्टम से जोड़ा जाए ताकि हर वकील और क्लाइंट्स को उनके केस के संदर्भ में इसके जरिए जानकारी मिल सके।
- हर कोर्ट के लिए एक वकील को आधिकारिक रूप से नियुक्त कर दिया जाए जो महत्वपूर्ण केसों की सूचना और विवरण अपलोड कर सकें। इसके लिए वह रीडर कोर्ट के संपर्क में होगा।
- महत्वपूर्ण केसों के निर्णय भी इसमें अपलोड किए जा सकते हैं ताकि उनकी कॉपी लेने में आसानी हो।
- वकीलों को वैवाहिक मामलों में एडीआर मध्यस्थ केंद्र के जरिए निपटान पर जोर देना चाहिए।