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मूंदड़ी ने लौटाया तो प्यौदा ने मांगा संस्कृत विवि

पंकज आत्रेय, कैथल: महर्षि वाल्मीकि की तपोस्थली गांव मूंदड़ी में उनके नाम पर बनने वाला प्रदेश क

By Edited By: Published: Sat, 14 Jan 2017 03:00 AM (IST)Updated: Sat, 14 Jan 2017 03:00 AM (IST)
मूंदड़ी ने लौटाया तो प्यौदा ने मांगा संस्कृत विवि
मूंदड़ी ने लौटाया तो प्यौदा ने मांगा संस्कृत विवि

पंकज आत्रेय, कैथल: महर्षि वाल्मीकि की तपोस्थली गांव मूंदड़ी में उनके नाम पर बनने वाला प्रदेश का पहला संस्कृत विश्वविद्यालय यहां से लौट गया है। सरपंच के हठ के कारण अब यह संस्थान गांव प्यौदा में बनेगा। प्यौदा के ग्रामीणों और पंचायत ने इसकी अहमियत को समझते हुए प्रस्ताव पास कर दिया है। इस पर जिला उपायुक्त संजय जून ने भी सहमति की मुहर लगा दी है। इस प्रस्ताव को सरकार के पास भेज दिया गया है। बता दें कि दैनिक जागरण ने सात जनवरी के अंक में मूंदड़ी में नहीं बनेगी संस्कृति यूनिवर्सिटी शीर्षक से समाचार प्रकाशित किया था। इसके बाद गांव प्यौदा की पंचायत ने पहल की और प्रशासन को जमीन देने का प्रस्ताव तत्काल पास किया।

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24 अक्टूबर 2015 को हरियाणा के सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्य मंत्री कृष्ण बेदी ने महर्षि वाल्मीकि प्रगट दिवस पर समागम का आयोजन किया था, जिसमें मुख्यमंत्री मनोहर लाल गांव मूंदड़ी में महर्षि वाल्मीकि संस्कृत विश्वविद्यालय बनाने की घोषणा की थी। इसके लिए पंचायत ने 20 एकड़ जमीन देने का प्रस्ताव पास किया था, लेकिन नई पंचायत ने जमीन देने से पहले कई शर्तें रख दी थी। इन शर्तों को पूरा करना प्रशासन के अधिकार क्षेत्र में नहीं था। लिहाजा कई बार की वार्ता विफल होने के बाद विश्वविद्यालय के गांव ही बदल देने का निर्णय लिया गया।

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यह थी मूंदड़ी की शर्तें

गांव की सरपंच बाला देवी व उनके पति सुभाष ने सरकार के सामने कुछ शर्तें रखी थी। इनमें तृतीय और चतुर्थ श्रेणी की नौकरियां गांव के युवाओं को मिलें। दाखिलों में गांव के बच्चों के लिए दस प्रतिशत आरक्षण दिया जाए। इसके अलावा कुछ शर्तें रखी गई, जिसे स्वीकार करना प्रशासन के बूते से बाहर था। सुभाष ने उल्टा प्रशासन पर भी प्रताड़ना का आरोप लगाया था। उसका कहना है कि पिछले डीसी ने तो नोटिस भी जारी कर दिया था। इसमें चूल्हा टैक्स न भरने, विकास के लिए ग्रांट में रुचि न लेने और समिति के ड्यूज नहीं भरने की बात कही गई थी।

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प्यौदा का प्रस्ताव सरकार को भेजा

डीसी संजय जून ने बताया कि गांव मूंदड़ी की सरपंच को बुलाया गया था। उनके विश्वविद्यालय की स्थापना के संदर्भ में बातचीत हुई थी, लेकिन वे अपनी शर्तों पर अड़े रहे। इसके चलते कई गांवों का दौरा भी किया गया। टीक में भी जगह देखी गई, लेकिन वह पर्याप्त नहीं थी। इस बीच गांव प्यौदा की पंचायत ने 20 एकड़ जमीन देने का प्रस्ताव पास करके दिया है। यह सराहनीय कदम है। हमने सरकार को प्रस्ताव की सिफारिश कर दी है। चूंकि यह मुख्यमंत्री की घोषणा है तो दबाव भी आ रहा है। इतने बड़े प्रोजेक्ट को जिले से लौटने नहीं दे सकते, क्योंकि यह विकास की दृष्टि से अहम है। इसलिए प्यौदा में महर्षि वाल्मीकि संस्कृत विश्वविद्यालय की स्थापना की जाएगी।

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मूंदड़ी ही क्यों चुना गया:

गांव मूंदड़ी को लव-कुश की धरती माना जाता है। मान्यता है कि यह महर्षि वाल्मीकि की तपोस्थली रही है। भगवान श्रीराम से अलग होकर माता सीता महर्षि वाल्मीकि के आश्रम में इसी गांव में रही थी। यहीं लव कुश का जन्म और शिक्षा-दीक्षा हुई। लव-कुश के नाम से यहां तीर्थ भी है। इसलिए महर्षि वाल्मीकि के नाम से यहां संस्कृत विश्वविद्यालय स्थापित करने की घोषणा मुख्यमंत्री ने की थी।

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देशभर में होगा नाम

गांव प्यौदा की सरपंच सुदेश कुमारी और उनके पति राममेहर प्यौदा ने बताया कि पंचायत ने बिना कोई शर्त ही 20 एकड़ जमीन संस्कृत विश्वविद्यालय के लिए देने का प्रस्ताव पास किया है। यह गांव के लिए गौरव की बात है। प्रदेश का पहला संस्कृत विश्वविद्यालय अगर उनके गांव में बनेगा तो इसका नाम पूरे देश में होगा।


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