चीका में कड़ाके की ठंड के बावजूद गेहूं की बालियों में आया निसार
संवाद सहयोगी, गुहला-चीका : कड़ाके की ठंड पड़ रही है और किसान इस ठंड को गेहूं क
संवाद सहयोगी, गुहला-चीका : कड़ाके की ठंड पड़ रही है और किसान इस ठंड को गेहूं की फसल के लिए फायदेमंद मानकर चल रहे हैं। इसके विपरीत खेतों में खड़ी गेहूं की बालियों में न केवल निसार आना शुरू हो गया है। अलबत्ता गेहूं के पौधों में से पूरी बालियां निकलने के बाद वह अब पकने भी लगी है। किसानों के साथ-साथ आम लोग भी इसे कुदरत का हैरतअंगेज कारनामा बता रहे हैं। किसानों का कहना है कि इससे पहले कभी भी ऐसा नहीं हुआ कि जनवरी के पहले हफ्ते में गेहूं की बालियां निकलने लगी हों और दूसरे सप्ताह में बालियां पूरी तरह तैयार होकर गेहूं के पकने के रास्ते पर निकल पड़ी हों। किसान इसे मौसम का ध्रुवीकरण मानते हैं और उनका कहना है कि इससे गेहूं के झाड़ में तो कमी आएगी ही, गेहूं के दाने की गुणवत्ता पर भी इसका विपरीत प्रभाव पड़ेगा। बालियों का पकना कहीं एक गांव में न होकर इसका कई गांवों में असर दिखाई दे रहा है। यदि गेहूं के पकने का सिलसिला इसी तरह से जारी रहा तो फिर अनुमान लगाया जा सकता है कि फरवरी के शुरू में ही गेहूं की फसल मंडियों में आ जाएगी जबकि अमूमन अप्रैल के दूसरे सप्ताह में गेहूं मंडियों में आती है।
गर्म मौसम रहने का पड़ा है असर : कृषि विभाग
कृषि विज्ञान केंद्र के विज्ञानी रमेश वर्मा ने बताया कि कड़ाके की ठंड पड़ रही है जो कि गेहूं की फसल के लिए काफी अच्छी है। गेहूं की फसल में जहां बालियां निकलने लगी हैं, वह पीछे कई दिनों तक पड़ी गर्मी का नतीजा हैं। उन्होंने बताया कि दिसंबर के अंत व जनवरी के प्रथम सप्ताह में कुछ दिन गर्म व उमस वाले रहे जिसका अब असर दिखाई दे रहा है। गेहूं की बालियों में स्वयं ही ठहराव आ जाएगा और गेहूं अपने समय पर ही पक कर तैयार होगी।