शहीद के परिवार भी याद नहीं
जागरण संवाददाता, कैथल: देश के लिए न्यौछावार होने वाले गांव रसीना के शहीद भीम ¨सह के परि
जागरण संवाददाता, कैथल: देश के लिए न्यौछावार होने वाले गांव रसीना के शहीद भीम ¨सह के परिवार को सरकार, जिला प्रशासन और ग्राम पंचायत पूरी तरह से भूल चुकी है। वर्ष 2002 में शहीद हुए भीम के परिवार के लिए अनेक वादे किए थे, लेकिन कोई भी पूरा नहीं कर सकी। आज उनका परिवार अपने आपको असहज महसूस कर रहा है। परिवार में दो लड़के हैं वो भी बेरोजगार। कुछ इसी तरह से कहना है कि शहीद भीम ¨सह की पत्नी सलमा देवी का।
उनका कहना है कि मेरे पति 26 अप्रैल 2002 को मणिपुर के जिला विष्णुपुर के साहित्य क्षेत्र में आतंकवादियों से मुठभेड़ करते हुए शहीद हो गए थे। इनका पार्थिव शरीर 29 अप्रैल को गांव में लाया गया, जहां पर उनका दाह संस्कार कर दिया गया। उस समय सरकार, जिला प्रशासन और हजारों ग्रामीण मौजूद थे। उस समय मुझसे यह वायदे किए गए थे कि आपके परिवार को नौकरी प्रदान की जाएगी तथा पति शहीद भीम ¨सह की गांव रसीना में मुख्य चौक पर प्रतिमा लगवाई जाएगी। इसके अलावा शहीद भीम ¨सह के नाम से पुस्तकालय बनाया जाएगा। पुस्तकालय तो बनाया, लेकिन महज खानापूर्ति के लिए। इसमें एक भी पुस्तक नहीं रखी है। न ही कोई प्रतिमा बनवाई ।
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स्मारक के आसपास सिर्फ गंदगी:
जिला प्रशासन और ग्राम पंचायत को शहीद भीम ¨सह के स्मारक के सामने तथा आगे व पीछे गंदगी नजर नहीं आ रही। यही नहीं परिवार के सदस्यों ने भी कई बार यह समस्या उनके सामने रखी, लेकिन सबने आंख बंद कर रखी है और हालात यह है कि वहां सिर्फ गंदगी है। भीम ¨सह 26 अप्रैल 2002 को शहीद हुए थे।
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बेटी की शादी भी करनी
सलमा देवी का कहना है कि उनके दोनों बेटे बेरोजगार हैं और कमाई का कोई भी साधन नहीं है। बेटी नूतन की भी शादी करनी है। सरकार, जिला प्रशासन और ग्राम पंचायत से उन्होंने मांग की है कि उनके पति द्वारा देश के लिए दी गई कुर्बानी के लिए जो वादे किए थे, उनको पूरा किया जाए तथा आर्थिक स्थिति को मजबूत करने के लिए उनके बेटों को नौकरी दी जाए। शहीद भीम ¨सह के बने स्मारक के आसपास भी सफाई की जाए।