Move to Jagran APP

जमीन की बोली में खूनी संघर्ष, छह घायल

संवाद सहयोगी, गुहला चीका : नगरपालिका की कृषि योग्य भूमि की वार्षिक बोली को लेकर शुक्रवार

By Edited By: Published: Sat, 30 Jul 2016 01:48 AM (IST)Updated: Sat, 30 Jul 2016 01:48 AM (IST)
जमीन की बोली में खूनी  संघर्ष, छह घायल

संवाद सहयोगी, गुहला चीका : नगरपालिका की कृषि योग्य भूमि की वार्षिक बोली को लेकर शुक्रवार को दो गुट भिड़ गए। इस दौरान जमकर लाठी व हॉकियां चली जिसमें छह लोग घायल हो गए। उन्हें सरकारी अस्पताल में भर्ती करवाया गया है। विवाद के कारण बोली को भी रद करना पड़ा। पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।

loksabha election banner

जानकारी के अनुसार जिस गुट के नाम पिछले साल जमीन का पट्टा छूटा था, उस गुट के लोग बिना बोली दिए पुराने रेट पर ही दोबारा जमीन का पट्टा चाहते थे। वहीं, दूसरा गुट उक्त जमीन पर बोली देकर इस बार पट्टा अपने नाम करवाना चाहता था। इसके चलते दोनों पक्षों में विवाद हो गया। दोनों ही गुटों के लोग पहले से ही तैयारी करके आए थे जिस कारण उनके हाथों में लाठियां व हॉकियां थी। हालांकि मौके पर पुलिस तैनात थी परंतु उसकी तैयारी ज्यादा नहीं थी। पुलिस अधिकारियों को इस बात का अंदेशा नहीं था कि बोली को लेकर खूनी संघर्ष भी हो सकता है। अचानक दोनों पक्षों के भिड़ने के चलते एक बार तो पुलिस कर्मचारियों के भी हाथ व पांव फूल गए, लेकिन बाद में डीएसपी गुहला सुल्तान ¨सह ने भारी पुलिस बल के साथ मौके पर पहुंचकर स्थिति को काबू किया।

क्या है यह मामला

नगरपालिका अपनी करीब 500 एकड़ कृषि भूमि की हर साल बोली करती है। जिस व्यक्ति के नाम बोली छूटती है तो उससे शपथ पत्र ले लिया जाता है कि वह गेहूं कटाई के बाद 15 जून तक जमीन को खाली कर देगा ताकि नपा जमीन की अगले वर्ष के लिए फिर बोली करवा सके। इससे नपा को हर वर्ष सैकड़ों रुपये की आमदनी होती है, लेकिन इस बार ऐसा नहीं हुआ और निर्धारित तिथि के डेढ़ महीना निकल जाने के बावजूद नपा ने न तो जमीन का कब्जा लिया और न ही जमीन की दोबारा बोली ही करवाई जिसके चलते पुराने पट्टेदारों ने जमीन में धान की रोपाई कर दी।

प्रशासन सुस्त, पट्टेदार चुस्त

जमीन की बोली को लेकर'प्रशासन सुस्त पट्टेदार चुस्त'वाली कहावत चरितार्थ हो रही है। नपा प्रशासन आज जिस भूमि की बोली करने जा रहा था, वहां पट्टेदारों ने पिछले डेढ़ महीने से धान उगाई हुई है, लेकिन प्रशासन इस बात से बेखबर बोली करवाने पर उतारू था। पट्टेदारों का पट्टा 15 जून को समाप्त हो गया था, परंतु प्रशासन कुंभकर्णी नींद सोता रहा। वहीं

बोली रद होने के बाद अखिल भारतीय किसान सभा के जिला प्रधान महेंद्र ¨सह ने कहा कि प्रशासन पुराने पट्टेदारों को ही दोबारा जमीन अलाट करे, चाहे इसके लिए वह पट्टेदारों से एक निर्धारित लीज ले ले। उन्होंने चेताया कि प्रशासन चाहे लाख कोशिश कर ले, परंतु किसान सभा जमीन की बोली नहीं करवाने देगी। महेंद्र ¨सह ने कहा कि उन्होंने एक सप्ताह पहले ही एसडीएम को ज्ञापन देकर बोली न करवाने की मांग की थी। इसके बावजूद प्रशासन ने लापरवाही बरती जिसके चलते ही पट्टेदारों में खूनी संघर्ष हुआ।

प्रशासनिक कार्यों के कारण

हुई बोली रद : एसडीएम

बोली रद करने के बाद एसडीएम गुहला कमलप्रीत कौर ने बताया कि प्रशासनिक कार्यों के कारण बोली को रद करना पड़ा है। इससे पहले भी प्रशासन प्रशासनिक कार्यों का हवाला देकर दो बार बोली रद कर चुका है। हालांकि एसडीएम ने बोली रद होने के पीछे प्रशासनिक कार्यों का हवाला तो दिया परंतु वे यह नहीं बता सकी कि वे कौन से प्रशासनिक कार्य हैं जिनके कारण बोली बार-बार रद करनी पड़ रही है। बहरहाल बोली की अगली तिथि भी निर्धारित नहीं की गई है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.