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नौनिहालों की सुरक्षा को ठेंगा दिखा रहे निजी स्कूल संचालक

जागरण संवाददाता, कैथल : सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के आदेश के बावजूद निजी स्कूल संचालक चंद पैसे बचाने

By Edited By: Published: Tue, 09 Feb 2016 12:58 AM (IST)Updated: Tue, 09 Feb 2016 12:58 AM (IST)
नौनिहालों की सुरक्षा को ठेंगा दिखा रहे निजी स्कूल संचालक

जागरण संवाददाता, कैथल : सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के आदेश के बावजूद निजी स्कूल संचालक चंद पैसे बचाने के चक्कर में स्कूल बस के लिए लागू किए गए सेफ्टी रूल की धज्जियां उड़ा रहे हैं। बच्चों की सुरक्षा से खिलवाड़ न हो इसके लिए हाईकोर्ट ने स्कूलों बसों के लिए 21 सेफ्टी रूल बनाए हैं। उन्हें लागू करना आवश्यक है, लेकिन जिले में ऐसा कोई स्कूल नहीं है, जो सेफ्टी रूल को सौ फीसद लागू कर रहा है। नियमों की धज्जियां उड़ाने में छोटे ही नहीं बल्कि शहर की नामी गिरामी स्कूल भी शामिल है। ऐसे स्कूल जो अभिभावकों से मोटी फीस तो वसूल रहे हैं, लेकिन सुरक्षा के नाम पर ठेंगा दिखाने में भी पीछे नहीं है। पिछले सप्ताह बृहस्पतिवार को हाईकोर्ट के आदेश पर गठित टीम ने शहर के कई स्कूल में जांच की तो पूरे मामले की पोल खुल गई, क्योंकि लागू किये गए सिक्योरटी रूल की परीक्षा में स्कूल सिरे से फेल हो गए। टीम की ओर से बनाई गई रिपोर्ट 15 फरवरी को हाईकोर्ट में पेश की जाएगी।

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पैसे बचाने का खेल

नियमों के मुताबिक स्कूल बस चालक और परिचालक पूरी तरह प्रशिक्षित व अनुभवी होने चाहिए, लेकिन प्रशिक्षित व अनुभवी चालक ज्यादा वेतन मांगते हैं, इसलिए ज्यादातर संचालक पैसे बचाने के चक्कर में अनुभवहीन चालक को लगा लेते हैं। इनमें से कुछ चालकों के पास तो ड्राइ¨वग लाइसेंस तक नहीं होते। हर तीन साल में चालकों की एक बार ट्रे¨नग होने की बात केवल कागजों तक ही सिमटकर रह गई है।

नहीं लगे स्पीड गवर्नर

ज्यादातर स्कूल बसों में अभी भी हाई सिक्योरटी नंबर प्लेट व स्पीड गवर्नर नहीं लगे हैं। जिस कारण चालक समय बचाने के चक्कर में स्कूल बस को निर्धारित की गई गति सीमा से अधिक दौड़ाते हैं। इस कारण हादसे होने का डर बना रहता है। काफी स्कूलों ने बच्चों को लाने ले जान के लिए ऑटो लगाए हैं। ऑटो चालक नियमों को ताक पर रखकर कट मारते हुए दौड़ते हैं। स्कूल वाहन चालक या परिचालक बच्चों को वाहन से उतारकर आगे चले जाते हैं। जिस कारण सड़क क्रॉस करते समय बच्चों के साथ सड़क हादसा होने का डर बना रहता है।

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नहीं लगे सीसीटीवी कैमरे

हाईकोर्ट के आदेश के बावजूद अभी तक सभी स्कूल बसों में सीसीटीवी कैमरे नहीं लग पाए हैं। सरकार ने भी स्कूल संचालकों को बस में हाई क्वालिटी के सीसीटीवी कैमरे लगाने के आदेश दिए थे, लेकिन निजी स्कूल संचालकों ने सरकार के इस आदेश का यह कहते हुए जमकर विरोध किया कि सरकार पहले रोडवेज की बसों में कैमरे लगाए। संचालकों का कहना है कि स्कूल बस में हाई क्वालिटी सीसीटीवी कैमरे लगाना काफी महंगा पड़ता है।

ये हैं सेफ्टी रूल

1. स्कूल बस या वाहन पर पीले रंग का पेंट और खिड़की के नीचे चारों ओर 254 मिलीमीटर चौड़ी नीले रंग की पट्टी हो।

2. स्कूल बस पर 50 मिलीमीटर चौड़ी सफेद व लाल चमकीली टेप लगी हो।

3. स्कूल बस की स्पीड 50 किलोमीटर प्रति घंटा से अधिक न हो। इसके लिए बसों में स्पीड गवर्नर लगाए जाएं।

4. बस के आगे पीछे स्कूल का नाम लिखा होना चाहिए। अगर बस किराये पर है तो ऑन स्कूल ड्यूटी लिखना चाहिए।

5. बसों की अच्छी हालत के लिए प्रमाण पत्र व बीमा होना चाहिए और साथ ही ट्रेंड चालक व कंडेक्टर होना चाहिए। बस में धूम्रपान की मनाही है।

6. स्कूल बस का परमिट होना चाहिए और हाई सिक्योरटी नंबर प्लेट लगी हो।

7. बस चालक के पास कम से कम पांच साल का अनुभव होना चाहिए।

8. स्कूल बस चालक का तीन बार से अधिक यातायात नियमों के उल्लंघन करने का चालान न कटा हो।

9. लड़कियों के लिए स्कूल बस में एक महिला शिक्षक या सहायक होनी चाहिए।

10. हर स्कूल या शिक्षण संस्थान के अंदर ही बसों की पाíकंग और बच्चों को उतारने चढ़ाने की व्यवस्था होनी चाहिए।

11. हर स्कूल बस में अग्नि शमक व प्राथमिक चिकित्सा बॉक्स होना जरूरी है।

12. स्कूल बस के आगे बोर्ड पर स्कूल का नाम, रूट और समय लिखे होने के अलावा स्कूल बस के अंदर बस मालिक व पुलिस कंट्रोल रूम का टेलिफोन नंबर लिखा होना चाहिए।

13. हर तीन वर्ष में एक बार चालक और परिचालक की ट्रे¨नग होनी जरूरी है।

14. बस चालक की फिटनेस के लिए तीन वर्ष में एक बार जिले के सिविल सर्जन द्वारा मेडिकल प्रमाण पत्र जारी हो।

15. हर चालक और परिचालक को वर्दी, वर्दी पर नेम प्लेट व लाइसेंस नंबर लिखा होना चाहिए। हर बच्चे के बैठने के लिए सीट हो।

16. बस से उतारते समय बच्चों को सड़क पार कराने की जिम्मेदारी स्कूल प्रशासन की होगी।

17. स्कूल बस की शीशे पारदर्शी और पर्दे रहित होने चाहिए।

18. एक अप्रैल 2014 से पहले रजिस्टर्ड हुई स्कूल बसों में जीपीएस सिस्टम लागू होना जरूरी है।

19. हर बस के पीछे चाइल्ड हेल्प लाइन नंबर 1098 लिखा होना चाहिए।

20. बसों में ऐसे सीसीटीवी कैमरे लगाए जाए जिसमें 15 दिनों की रिकॉíडंग स्टोर हो सके। इसके अलावा स्कूल के पास तीन माह तक की रिकॉíडंग का बैकअप होना चाहिए।

21. बस की लंबाई छह मीटर है तो एक सीसीटीवी कैमरा और छह मीटर से अधिक है तो एक कैमरा आगे व एक कैमरा पीछे लगा होना चाहिए।

वर्जन-

सभी स्कूलों को तय किये गए नियमों का पालन करना चाहिए। यूनियन स्तर पर सभी स्कूलों को बच्चों की सुरक्षा पुख्ता करने के लिए जोर दिया जाता है। बड़े स्कूल तो नियमों का पालन करते ही हैं छोटे स्कूलों को भी नियम लागू करने के लिए यूनियन मैसेज देती है।

रवि भूषण गर्ग, जिला प्रधान, प्राइवेट स्कूल वेलफेयर एसोसिएशन

वर्जन-

कुछ समय पहले अतिरिक्त उपायुक्त व शिक्षा विभाग की ओर से निजी स्कूल संचालकों की बैठक ली गई थी। बैठक में संचालकों को सभी रूल बताए गए थे और उन्हें लागू करने पर भी जोर दिया था। अगर कोई स्कूल संचालक नियमों का पालन नहीं कर रहा है तो इसकी रिपोर्ट तैयार की जाएगी।

शमशेर ¨सह सिरोही, उप जिला शिक्षा अधिकारी।


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