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जापान के वैज्ञानिकों ने भारत में संरक्षण खेती की संभावनाओं को तलाशा

संवाद सहयोगी, पूंडरी : संरक्षण खेती में भारत और जापान की सहभागिता की संभावनाओं को तलाशने हेतु अन्तर्

By Edited By: Published: Fri, 19 Dec 2014 08:04 PM (IST)Updated: Fri, 19 Dec 2014 08:04 PM (IST)
जापान के वैज्ञानिकों ने भारत में संरक्षण खेती की संभावनाओं को तलाशा

संवाद सहयोगी, पूंडरी : संरक्षण खेती में भारत और जापान की सहभागिता की संभावनाओं को तलाशने हेतु अन्तर्राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान केंद्र(जीरकास) जापान के वैज्ञानिकों ने शुक्रवार को पूंडरी क्षेत्र के हजवाना में प्रगतिशील किसान अमरीक सिंह के फार्म का दौरा किया।

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जापान से आए कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर हिदे ओमाय व डॉक्टर मसेतो ओदा ने प्रगतिशील किसान अमरीक सिंह फार्म पर लगाई गई गेहूं की खेती व पानी की बचत तकनीकों की जानकारी ली। जापान के इन कृषि वैज्ञानिकों के साथ भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान केंद्र के वैज्ञानिक डॉक्टर आरकेशर्मा व डॉक्टर अनिल खिप्पल तथा केंद्रीय मृदा लवणता अनुसंधान संस्थान करनाल के डाक्टर गजेंद्र यादव भी मौजूद रहे। हजवाना के अमरीक फार्म के बाद दोनों देशों के कृषि वैज्ञानिकों का ये दल पूंडरी के रसीना में प्रगतिशील किसान महेंद्र सिंह के फार्म पर गए और वहां भी खेती बाड़ी की उन्नत तकनीकों का जायजा लिया। भारत में खेती की उन्नत तकनीकों को देखकर जापान के कृषि वैज्ञानिक काफी उत्साहित दिखाई दिए। पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने कहा कि भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान द्वारा किसानों के खेतों पर संरक्षण खेती(पानी की बचत व लवणता) का प्रदर्शन देखकर हमें बेहद खुशी हुई है तथा खेती के इन प्रयासों में हम भारत के साथ मिलकर काम करना चाहते है। उन्होंने कहा कि दोनों देश खेती संबंधी जानकारियों को इसलिए भी सांझा करने की जरूरत है ताकि भविष्य में खेती में आने वाली समस्याओं का समाधान हो सके। दोनों जापानी वैज्ञानिकों ने डाक्टर अनिल खिप्पल द्वारा किसान के खेत पर किए गए संरक्षित खेती के प्रयासों की सराहना भी की। इसके अलावा जापानी वैज्ञानिकों ने अमरीक सिंह की विजिटर बुक पर अपना नोट भी छोड़ा। जिसमें उन्होंने हरियाणा की कृषि तकनीक से प्रभावित होने की बात भी कही है। डाक्टर आर.के.शर्मा ने कहा कि संरक्षण खेती से पराली जलाने से होने वाले प्रदूषण से बचाव होता है, खेत की उर्वरता ताकत बढ़ाने, पानी की बचत, लवणों से ग्रसित मृदा को ठीक करने तथा टरमीनल हीट स्ट्रैस से बचाव होता है तथा इससे किसानों की उपज में बढ़ोतरी होती है और खेती में आने वाले खर्च में भी कमी आती है। इस अवसर पर जापानी वैज्ञानिकों ने अमरीक फार्म पर खेती बाड़ी की नए उपकरणों का भी जायजा लिया। इस मौके पर प्रगतिशील किसान अमरीक सिंह, महेंद्र रसीना, ललित कुमार, राजेश सिकंदर खेड़ी आदि उपस्थित थे।


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