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आटो में ठूंसे जा रहे हैं नौनिहाल

जागरण संवाददाता, कैथल : प्राइवेट स्कूलों में आने वाले नौनिहालों की सुरक्षा राम भरोसे है। इन स्कूलों

By Edited By: Published: Fri, 28 Nov 2014 07:55 PM (IST)Updated: Fri, 28 Nov 2014 07:55 PM (IST)
आटो में ठूंसे जा 
रहे हैं नौनिहाल

जागरण संवाददाता, कैथल : प्राइवेट स्कूलों में आने वाले नौनिहालों की सुरक्षा राम भरोसे है। इन स्कूलों में बच्चे घर से स्कूल तक आटो से पहुंचते हैं। आटो चालक सरेआम बच्चों की सुरक्षा मानकों ठेंगा दिखा रहे हैं। इस ओर न तो पुलिस प्रशासन ध्यान दे रहा है, न स्कूल प्रशासन और न ही अभिभावक। स्कूली बच्चों के अभिभावक पांच-सात एकत्रित होकर बच्चों के लिए अपने स्तर पर ही आटो बुक कर लेते हैं। कम किराया के चक्कर में न तो कोई आटो चालक की ओर ध्यान देता और न ही आटो की ओर। ऐसे में कई बार खस्ता हालत के आटो घटना को अंजाम दे सकते हैं। सबसे खास बात यह है कि यह इन आटो में निर्धारित मानकों से अधिक बच्चे ठूंसे जा रहे हैं। एक आटो में 20-20 बच्चों को ठूंसा जा रहा है।

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गौरतलब है कि जिले में करीब 400 प्राइवेट स्कूल हैं जिनमें लाखों बच्चे प्रतिदिन आटो से आना जाना करते हैं। इतने बड़े पैमाने पर प्रतिदिन कोई न कोई हादसा होने की संभावना बनी रहती है। आंकड़ों पर नजर दौड़ाई जाए तो अब तक इस वर्ष कई हादसे सामने आ चुके हैं। इन सबके बावजूद प्रशासन इस ओर से आंखें बंद किए हुए है।

अभिभावकों की जिम्मेवारी

नाम न छापने की शर्त पर एक स्कूल संचालक ने बताया कि बच्चों को स्कूल तक छोड़ना व ले जाने के लिए अभिभावक स्वयं जिम्मेवार हैं। बच्चे आटो से आएं या बस से इससे हमें क्या लेना देना है।

स्कूली बसों से वसूला

रहे मुंह मांगे किराया

जिले में चलाए जा रहे प्राइवेट स्कूलों में सैकड़ों बस प्रतिदिन हजारों बच्चों को अप-डाउन करती हैं। प्राइवेट स्कूल संचालक अभिभावकों की मजबूरी का जमकर फायदा उठा रहे हैं। जहां ये स्कूल संचालक मोटी फीस वसूल रहे हैं तो वहीं बसों के नाम पर भी मोटा किराया वसूला जा रहा है।

स्कूल संचालक और

अभिभावक जिम्मेवार

उप जिला शिक्षा अधिकारी शमशेर सिंह सिरोही ने बताया कि जो स्कूल संचालक बच्चों से स्कूल तक लाने के लिए किराया वसूलते हैं तो वे बच्चों की सुरक्षा के लिए पूरी तरह से जिम्मेवार हैं। ऐसे में यदि बच्चों के साथ कोई भी अनहोनी होती है तो इसके लिए वे पूरी तरह से जिम्मेवार हैं।

जैसे भी बच्चा स्कूल के लिए निकलता है तो अभिभावक बेफिक्र हो जाता है। उसी समय से स्कूल संचालक व अध्यापकों की जिम्मेवारी शुरू हो जाती है। यदि अध्यापक को किसी बच्चे के साथ रास्ते में अनहोनी की सूचना मिलती है तो ऐसे में अध्यापक की भी पूरी जिम्मेवारी बनती है।

अभिभावक नहीं दे

रहे हैं सहयोग

जिला यातायात पुलिस प्रभारी इंस्पेक्टर रमेश चंद्र ने बताया कि यातायात पुलिस द्वारा प्रतिदिन स्कूली बच्चों को लाने वाले वाहनों की जांच की जाती है। इस माह में भी स्कूली बस और आटो का चालान किया गया है। किसी को भी कानून को हाथ में लेने की इजाजत नहीं है। आटो चालकों पर कार्रवाई को लेकर अभिभावक सहयोग नहीं दे रहे हैं। वे समय-समय पर जागरूकता अभियान चलाकर स्कूली बच्चों और अभिभावकों को यातायात नियमों की पालना करने बारे टिप्स बताते हैं।


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