भगवान भी प्राप्त नहीं कर सकता मां का दर्जा
संवाद सहयोगी, गुहला-चीका : महाराजा अग्रसेन ट्रस्ट के तत्वाधान में अग्रवाल धर्मशाला चीका में चल रही श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के दूसरे दिन प्रमुख कथावाचक कौशिक जी महाराज ने मा की महिमा की जिक्र करते हुए कहा कि इस चराचर जगत का आधार यदि कोई है तो उसका वर्णन केवल मा शक्ति के रूप में ही किया जा सकता है।
कौशिक महाराज ने कहा कि ईश्वर के अधिकार को मा ही धारण कर सकती है। परतु मा के अधिकार की महिमा तो यह है कि उसे भगवान भी ग्रहण नहीं कर सकते। उन्होंने कहा कि सावन के महीने में श्री मद देवी भागवत सुनने का अपना ही महत्व है क्योंकि इसे सुनने मात्र से नवरात्र से भी ज्यादा पुण्य की प्राप्ति होती है। महाराज ने कहा कि कथा अथवा सत्संग में जाना पूरी तरह श्रद्धा के ऊपर निर्भर है क्योंकि कथा को जो लोग श्रद्धा से सुनकर उसे अपने जीवन में उतारते है उनका यह जीवन तो सुधर ही जाता है, अलबत्ता वे अपना परलोक भी सुधार लेते है।
महाराज ने कहा कि इतिहास गवाह है कि जिन लोगों ने श्रद्धा से कथा को नहीं सुना, उनके पल्ले कथा में जाकर भी कुछ नहीं पड़ा और जिन लोगों ने श्रद्धापूर्वक कथा का श्रवण किया उनके अगले-पिछले सारे पाप धुल गए। कौशिक जी महाराज ने नसीहत दी कि वे कभी सच का साथ न छोड़ें क्योंकि सच हमेशा सच ही रहता है और झूठ को यदि हम सौ बार भी रट लें तो भी वह पकड़ में आ जाता है। उन्होंने कहा कि हमें हमेशा धार्मिक प्रवृति का बना रहना चाहिए क्योंकि ऐसी प्रवृति एक ऐसी आयुर्वेदिक औषधि है जिसके कोई साइड इफेक्ट नहीं होते। उन्होंने कथा के दौरान श्रद्धालुओं से संकल्प लिया कि वे हमेशा ही गायों व बुजुर्गो की सेवा करेगे क्योंकि ऐसा करने से न केवल हमारे समाज में फैली कुरीतिया समाप्त होती है, अलबत्ता समाज में शुद्धता भी फैलती है। बार ऐसोसिएशन के प्रधान देव राज शर्मा ने दीप प्रज्ज्वलित करके कथा का शुभारभ किया।
इस अवसर पर रविंद्र कंसल, परमानन्द गोयल, प्रकाश गर्ग, मोती लाल गर्ग, भूपेंद्र बिन्दलिश, जय भगवान ¨सघल, राजेंद्र ¨सगला, धर्मपाल गर्ग, हरमेश मित्तल, अनिल ¨सगला, राजकुमार, नोनू राम मित्तल, रमणीक, सोम प्रकाश जिन्दल, मीशू कंसल आदि उपस्थित थे।