अनाज मंडी में फिर से चला रिश्वत का खेल
जागरण संवाददाता, कैथल : पिछले वर्षो की तर्ज पर कैथल की अनाज मंडी में गेहूं का सीजन शुरू होते ही गेहूं लदान को लेकर रिश्वत का खेल शुरू हो गया है। नियम कायदों को दरकिनार कर सरकारी खरीद एजेंसियों का लदान नाममात्र ही है। इस समय गेहूं सीजन चरम पर पहुंच गया है। प्रतिदिन करीब 40-50 हजार क्विंटल की आवक हो गई है। ऐसे में धीमे लदान के चलते मंडी गेहूं के कट्टों से भर गई है। गेहूं पिछले वर्ष की तर्ज पर सड़कों व मंडी से बाहर तक पहुंच गई है। किसान ट्रैक्टर-ट्रालियों में भरकर गेहूं ला रहे हैं। मंडी में जगह न होने के कारण किसान मजबूरन मंडी के बाहर गेहूं उतारने लगे हैं।
कहां गए लदान के दावे
उपायुक्त एनके सोलंकी ने गेहूं सीजन से पूर्व ही मंडी में खरीद एजेंसियों को गेहूं उठान के पर्याप्त प्रबंध करने के आदेश दिए थे लेकिन अभी ठीक से गेहूं सीजन को शुरू हुए पांच दिन भी नहीं हुए कि लदान कम होने से मंडी पूरी तरह से गेहूं से भर गई।
7 रुपये प्रति कट्टा तक पहुंचे रेट
मंडी में इस समय ट्रक चालकों
द्वारा चोरी छिपे 7 रुपये प्रति कट्टा तक की रिश्वत वसूली जा रही है। जो रिश्वत देता है ट्रक चालक उसी दुकान का माल लोड करते हैं। अपनी दुकान के सामने गेहूं डलवाने के लिए आढ़तियों को मजबूरन रिश्वत देने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है क्योंकि यदि बाहर के स्थानों पर गेहूं उतरवाते हैं तो उसके लिए मजदूर व अन्य कई प्रकार के प्रबंध करने पड़ते हैं।
नहीं हैं पर्याप्त ट्रक
अनाज मंडी के आढ़तियों ने बताया कि जिला प्रशासन द्वारा जिस ट्रांसपोर्टर को मंडी से गेहूं उठान का ठेका दिया गया है, उनके पास पर्याप्त संख्या में ट्रक नहीं हैं। ट्रकों की कमी के कारण ही रिश्वत की समस्या बनी है।
उच्चाधिकारियों को करवाया अवगत : प्रधान
अनाज मंडी के आढ़तियों ने 20 वर्ष के लंबे इतिहास में इस बार दोनों मंडियों के लिए सुरेश मित्तल को प्रधान बनाया था ताकि एकजुटता का परिचय देकर रिश्वत को रोका जा सके लेकिन ऐसा नहीं संभव हो पाया। अनाज मंडी आढ़ती एसोसिएशन के प्रधान सुरेश मित्तल ने बताया कि वे ट्रक चालकों द्वारा रिश्वत मांगने की बात का स्वीकारते हैं। मित्तल ने बताया कि वे मामले में पूरी तरह से गंभीर हैं और उच्चाधिकारियों से संपर्क साध रहे हैं।
ट्रक चालकों को ही देनी पड़ती रिश्वत : सुरजीत सिंह
ट्रांसपोर्टर व ठेकेदार सुरजीत सिंह ने बताया कि ट्रक चालकों द्वारा रिश्वत मांगने का आरोप पूरी तरह से गलत है। ट्रक चालकों को खुद ही विभिन्न अधिकारियों को चप्पे-चप्पे पर रिश्वत देनी पड़ती है। रिश्वत देने के कारण ही आज के युवा व व्यवसायी ट्रक के धंधे से मुंह मोड़ रहे हैं।
केवल ट्रैक्टर-ट्रॉलियां ही एकमात्र समाधान
यदि अनाज मंडी व खरीद केंद्रों से गेहूं उठान का उचित प्रबंध करना है और आढ़तियों को रिश्वत से बचाना है तो इसके लिए प्रशासन को गेहूं उठान के लिए रेहड़े व ट्रैक्टर-ट्रॉलियों चलाने का प्रबंध करना होगा। हालांकि ट्रैक्टर-ट्रालियों पर न्यायालय द्वारा प्रतिबंध लगाया गया है लेकिन वैकल्पिक तौर पर इसका प्रबंध किया जाना अनिवार्य है। यदि ऐसा नहीं हुआ तो एक दो दिन में ही मंडी पूरी भरने के बाद किसानों का सोना मंडी से बाहर कच्चे फीड तक पहुंच जाएगा। ऐसे में यदि बरसात होती है तो खरीद एजेंसियों और आढ़तियों का करोड़ों का गेहूं खराब होगा।