मैं भारत भाग्य विधाता हू..
साहित्य गोष्ठी
जागरण संवाददाता, कैथल :साहित्य सभा की काव्य गोष्ठी रविवार को आरकेएसडी कॉलेज के सभागार में हुई। गोष्ठी की अध्यक्षता प्रोफेसर अमृत लाल मदान ने की और संचालन ईश्वर गर्ग ने किया। तेजिन्द्र ने कहा कि कहने को मैं भारत भाग्य विधाता हू, कहने को मैं ही सरकार बनाता हू पर अनुभव मेरा मुझको बतलाता है, पगला मत बन, तू केवल मतदाता है। सुबे ¨सह राविश ने यूं ब्या की अकेले राही की पुकार को, ये राही अलबेला है बिल्कुल पड़ा अकेला है। रोहताश ने अंदाजे ब्या यूं था कि रामचन्द्र के प्यार ने दशरथ का निभाया वचन, पिता पुत्र के प्रेम की अति होती है, अति बुरी होती है। रवीन्द्र ने अपनी गजलों के माध्यम से कहा कुछ तनकर कुछ झूक कर रहना, जीवन में यूं डटकर रहना, सीने में है जो मोम का दिल तो, फिर सुरज से बचकर रहना। अनामिका वालिया ने देश की बेबस और लाचार स्थिति की व्याख्या इस प्रकार की, मैं अपाहिज और बीमार, मै बेबस और लाचार, पहचानों मैं कौन हू, मैं तुम्हारा हिन्दुस्तान हू। डा. चतुरभुज बंसल ने कहा सुनो बुजुर्गो बात मेरी, कदे कोई सा गलती खावै, एक बार चुक्के पाच्छै फेर हाथ नहीं आवैं। सतपाल शास्त्री ने मतदाताओं स्थिति पर कहा किसपै गैरे वोट, गली मै चर्चा थी, सबके भीतर खोट गली मै चर्चा थी। रिसाल जागडा ने कहा सियासत के बहुरूपिया का हाल देख तो, नकली बाणा, भाषा टेड़ी चाल देख तो, नीत बिगड़ी मंतरी अर ठेकेदार की, होया कती खस्ता हाल देख तो। सरोज जोशी ने कहा सोच नहीं सकते हो जाएगा, विवेक का इतना दिवालियापन, छ: इच पेट के लिए, मानवता का इतन पतन। रामफल गौड़ ने हरियाणवीं अंदाज में कहा दलदल पहाड़ धणे जीवन में, एक आध बगीचे आये सैं। ईश्वर चन्द गर्ग ने कहा कि कर्मवीर नर के आगे नतमस्तक होती मंजिल, कर्महीन नर इस दुनिया मे सदा हाथ अमावस की काली रात का सन्नाटा। कमलेश शर्मा ने कहा अमावसी रात, उस पर काले बादलों से सटा आकाश, सुनसान जगह पर, आगे पिछे, दूर-दूर तक कोई राहगीर तो क्या, अपनी परछाई तक नहीं। प्रोफेसर अमृत लाल मदान ने कहा ये कैसी सूचना क्राति न दिल में, न दिमाग में शाति। इस अवसर पर सतीश शर्मा, सतबीर जागलान, उषा गर्ग, राजीव शर्मा, श्याम सुंदर शर्मा, राम कुमार, तेजिंद्र आदि उपस्थित थे।