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आबादी 1.85 लाख, 39 जवान, ट्रैफिक बेलगाम

जागरण संवाददाता, जींद : सड़कों पर होने वाली दुर्घटनाओं को रोकने के लिए पुलिस प्रशासन स

By Edited By: Published: Sun, 15 Jan 2017 01:47 AM (IST)Updated: Sun, 15 Jan 2017 01:47 AM (IST)
आबादी 1.85 लाख, 39 जवान, ट्रैफिक बेलगाम

जागरण संवाददाता, जींद : सड़कों पर होने वाली दुर्घटनाओं को रोकने के लिए पुलिस प्रशासन सड़क सुरक्षा सप्ताह मना रहा है। छह दिन से अलग-अलग जगहों पर कार्यक्रमों का आयोजन कर लोगों को ट्रैफिक नियमों का पाठ पढ़ाया जा रहा है। बच्चों से लेकर बड़ों तक को इसमें शामिल किया जा रहा है लेकिन इस पूरी कवायद का कोई असर नहीं दिख रहा है। तू डाल-डाल मैं पात की तर्ज पर लोग ट्रैफिक रूल्स को जेब में डालकर घूम रहे हैं। सबसे बड़ी कमी ट्रैफिक पुलिस के पास सुविधाओं का अभाव है। न ट्रैफिक पुलिस के पास पर्याप्त स्टाफ है और जरूरी संसाधन। पूरे शहर का ट्रैफिक कंट्रोल करने के लिए 39 कर्मचारी हैं। शहर में मात्र एक चौराहे पर रेड लाइट है। इस कारण ज्यादातर चौक-चौराहों पर हर समय हादसों और जाम की स्थिति बनी रहती है।

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वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार शहर की आबादी 1.67 लाख थी, जो अब दो लाख का आंकड़ा छूने वाली है। आबादी बढ़ने के साथ सड़कों पर ट्रैफिक भी लगातार बढ़ता जा रहा है। शहर की सड़कों पर हर रोज करीब 50 हजार से ज्यादा वाहन गुजरते हैं लेकिन विडंबना है कि इतनी ट्रैफिक को संभालने के लिए यातायात पुलिस में मात्र 39 जवान हैं जबकि डिमांड इसके दोगुने से भी ज्यादा है। अभी ट्रैफिक पुलिस एक इंस्पेक्टर, दो सब इंस्पेक्टर, छह एएसआइ व बाकी अन्य स्टाफ हैं, जिनमें हेडकांस्टेबल व कांस्टेबल शामिल हैं। शहर की आबादी को देखते हुए ट्रैफिक पुलिस को 100 से ज्यादा कर्मचारियों की जरूरत है। कर्मचारियों का टोटा होने के कारण ट्रैफिक पुलिस हाल ही में भर्ती किए 10 एसपीओ व 40 होमगार्ड की सहायता ले रही है। ट्रैफिक अधिकारियों का भी मानना है कि जो काम उनके कर्मचारी कर सकते हैं, वे दूसरे नहीं कर सकते। ऐसे में जैसे-तैसे काम चलाया जा रहा है।

सड़क सुरक्षा सप्ताह की कड़ी में सरकारी तौर पर खानापूर्ति करने का काम किया जा रहा है। असलियत में यह फौज के बिना हथियार लड़ने वाली बात है। शहर में पटियाला चौक पर ट्रैफिक सिग्नल सही तरीके से काम नहीं कर रहे हैं और न ही ट्रैफिक पुलिस चौराहों पर नजर आती है। ओवरलोड वाहनों को रोकना तो दूर, ऑटो चालक भी नियमों को ताक पर रखते हैं। प्रशासन की ओर से ट्रैफिक कंट्रोल को लेकर दो यूनिट बनाई हुई है, जिसमें से एक यूनिट शहर व दूसरी आउटर एरिया देखती है। ओवरलोड वाहनों पर आउटर ¨वग व शहर के अंदर दूसरी यूनिट देखती है।

कई बार मी¨टग, नहीं लगे संकेतक

डीसी विनय ¨सह ने धुंध को देखते हुए सड़कों पर संकेतक लगाने को कई बार प्रशासनिक अधिकारियों की मी¨टग ली है, लेकिन अब भी अधिकतर जगहों पर संकेतक नहीं लगाए जा सके हैं। सड़कों पर लगाई गई सफेद पट्टी धुंधली हो चुकी है। साथ ही, सड़कों तक पहुंचे पेड़ों की कटाई का काम भी नहीं हुआ है। अधिकारी सिर्फ फाइलों में ही यह सब काम करने में लगे हुए हैं और उनकी नींद केवल हादसे होने के बाद ही खुलेगी।

शहर में दौड़ रहे ओवरलोड वाहन

शहर के अंदर से गुजर रहे ओवरलोड वाहनों पर भी नकेल नहीं कसी जा रही है। इन दिनों गन्ना पेराई का सीजन चल रहा है। शहर के अंदर से ही ट्रैक्टर के पीछे दो से चार ट्रॉलियां जोड़कर किसान ले जा रहे हैं। इस वजह से कई बार हादसे हो चुके हैं। लगभग 15 दिन पहले हांसी ब्रांच नहर के पास गन्ने से भरा ट्रैक्टर असंतुलित होकर दुकान में जा घुस गया था। गनीमत थी कि उस समय दुकान बंद थी, लेकिन दुकान को नुकसान पहुंचा। इससे काफी समय पर रास्ता जाम रहा। यही स्थिति पूरा दिन देखने को मिलती है। इसके अलावा ओवरलोडेड ट्रक व कैंटर भी शहर के अंदर से गुजरते रहते हैं, लेकिन इन्हें कोई रोकने वाला नहीं है।

ऑटो चालक बन रहे परेशानी

प्रशासन ने एक दिन पहले आटो चालकों को ट्रैफिक रूल्स की जानकारी दी थी, लेकिन उसके बावजूद ऑटो चालक मनमानी करने पर लगे हुए हैं। सवारियों से भरे हुए ऑटो शहर की सड़कों पर दौड़ रहे हैं। कई ऑटो तो पूरी तरह से खराब हैं, लेकिन फिर भी दौड़ रहे हैं। प्रशासन की ओर से इनकी संख्या को देखते हुए सम व विषय किया था। तब ऑटो यूनियन ने पूरे कागजात वाले ऑटो सड़कों पर चलाने का वादा किया था। लेकिन अब वही ढाक के तीन पात वाली कहावत चरितार्थ हो रही है। बिना कागजात, जर्जर वाहन वाले भी ऑटो सड़क पर दौड़ रहे हैं। अधिकतर ऑटो नियमों का पालन नहीं करते और गाड़ी चलते समय धुआं छोड़ती रहती हैं।

बसों में रिफ्लेक्टर व स्पीड गवर्नर नहीं

आम आदमी रोडवेज की बसों में सुरक्षा को देखते हुए सवारी करता है, लेकिन रोडवेज की इन्हीं अधिकतर बसों में न तो रिफ्लेक्टर लगे हुए हैं और न ही स्पीड गवर्नर। ऐसे में कोहरे में कैसे सावधानी होगी, यह सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है। बसों में स्पीड गवर्नर भी नहीं लगे हैं, जिससे उनकी गति का पता लग सके। अधिकतर चालकों ने बसों को स्पीड में दौड़ाने के लिए स्पीड गवर्नर हटा दिए हैं। रोडवेज प्रशासन ऐसे बस चालकों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर रहा है। स्पीड गवर्नर हटाने के बाद तेज स्पीड में दौड़ रही बसें कई बार दुर्घटनाओं का सबब भी बनी हैं।


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