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बंद रहे बैंक, भटकते रहे कारोबारी

जागरण संवाददाता, जींद : यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन (यूएसबीयू) के आह्वान पर शुक्रवार

By Edited By: Published: Fri, 29 Jul 2016 10:50 PM (IST)Updated: Fri, 29 Jul 2016 10:50 PM (IST)

जागरण संवाददाता, जींद : यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन (यूएसबीयू) के आह्वान पर शुक्रवार को नौ बैंक यूनियनों से जुड़े जिले की 140 शाखाओं के कर्मचारी हड़ताल पर रहे। उपभोक्ता भी बैंकों के गेट पर लगे हड़ताल के बैनर देखने के बाद मायूस होकर लौट गए। हड़ताल का आह्वान करने वाले यूएसबीयू संगठन ने जहां हड़ताल से 200 करोड़ का लेनदेन प्रभावित होने का दावा किया है, वहीं लीड बैंक ने इसे 50 से 60 करोड़ रुपये आका है।

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यूएसबीयू ने मुख्य रूप से बैंकों के विलय, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का निजीकरण, लेबर एक्ट के उल्लंघन तथा कर्मचारी विरोधी नीतियों के विरोध व एनपीए मामले में कड़ी कार्रवाई करने की मांग को लेकर हड़ताल का आह्वान किया था। इससे पूर्व इसी वर्ष 13 जुलाई को बैंक कर्मचारियों की राष्ट्रीय हड़ताल का आह्वान किया था, परंतु कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद बैंक यूनियन ने हड़ताल वापस ले ली थी।

ये हैं मुख्य कारण

केंद्र सरकार द्वारा सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का एसबीआई में विलय का बैंक यूनियन शुरू से ही विरोध कर रही है। नौ बैंक संगठनों को मिलकर बनाए गए यूएसबीयू ने अपनी इस मांग के साथ तीन और प्रमुख मांगों को शामिल कर केंद्र सरकार पर दबाव बनाने के लिए 29 जुलाई को राष्ट्रीय व्यापी हड़ताल पर जाने का निर्णय लिया था।

एटीएम से आसान हुआ काम

सभी बैंकों के एटीएम चालू होने के कारण छोटे लेन-देन करने में उपभोक्ताओं को किसी प्रकार की परेशानी नहीं हुई। निजी बैंकों के खुले होने के कारण बैंक स्तर के लेन-देन पर सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक कर्मचारियों की हड़ताल पर अधिक असर नहीं हुआ।

सोहन लाल अग्रवाल, सीनियर बैंक मैनेजर, पीएनबी, जींद।

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केंद्र की हठधर्मिता के कारण हुई हड़ताल

केंद्र सरकार सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का निजीकरण, विलय व कर्मचारी विरोधी नीतियों को लागू करने पर अड़ी हुई है। बैंक यूनियन इस पर सरकार के सामने कई बार अपना विरोध दर्ज करवा चुकी हैं, परंतु केंद्र सरकार अपनी पालिसी बदलने को तैयार नहीं है। इसी कारण यूएसबीयू को राष्ट्रव्यापी हड़ताल करने का विवश होना पड़ा तथा हड़ताल से करीब 200 करोड़ रुपये का लेन-देन प्रभावित हुआ है।

-रणबीर ¨सह सिरोहा, यूनियन नेता।

रूटीन हो गई सरकारी कर्मचारियों की हड़ताल

सार्वजनिक क्षेत्र में कार्यरत कर्मचारियों को निजी क्षेत्र की तुलाना में अधिक सुविधाएं व वेतन मिलता है। इसके बावजूद कर्मचारी अपने हित साधने के लिए आए दिन हड़ताल कर जनता के लिए परेशानी खड़ी करते रहते हैं। अपनी मांगों को लेकर आवाज उठाना सही है, परंतु इसके लिए हड़ताल को किसी भी दृष्टि से सही नहीं ठहराया जा सकता।

-प्रेम ¨सह, उपभोक्ता अहिरका।

नहीं हुई परेशानी

जिले के अधिकतर बैंक कर्मचारी हड़ताल में शामिल रहे। बैंक कर्मचारियों की हड़ताल के कारण जिले में प्रारंभिक तौर पर करीब 50 से 60 करोड़ रुपये का लेनदेन प्रभावित होने का अनुमान है। आजकल एटीएम व ट्रांजंक्शन की अन्य तकनीकों के कारण केवल बड़े स्तर के लेन-देन ही सीधे बैंकों में होते हैं। हड़ताल की पहले से जानकारी होने के कारण भी उपभोक्ताओं को अधिक परेशानी नहीं हुई।

-एमके झा, लीड बैंक मैनेजर जींद।


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