विधायक और सांसद तक सिमटी गांव गोद लेने की योजना
जागरण संवाददाता, जींद : भाजपा को सत्ता में आए एक साल से अधिक समय हो चुका है। सरकार ने विधायकों, सांस
जागरण संवाददाता, जींद : भाजपा को सत्ता में आए एक साल से अधिक समय हो चुका है। सरकार ने विधायकों, सांसदों, यहां तक की अधिकारियों से भी गांव गोद लेकर विकास करने के निर्देश दिए थे, लेकिन जिले में सांसद व विधायकों के अलावा एक अधिकारी को छोड़कर किसी भी अधिकारी ने आज कोई गांव गोद नहीं लिया। हिसार लोकसभा क्षेत्र के सांसद तथा केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र ¨सह ने जरूर उचाना के दो गांवों मखंड तथा खटकड़ को गोद लेकर विकास कार्य के लिए जरूर कुछ संभावनाएं तलाशी है, लेकिन अब भी ये दोनों गांव भी विकास से कोसों दूर हैं। दोनों गांवों के लिए प्रशासनिक अधिकारियों की बैठक मंत्री व सांसद की मौजूदगी में हो चुकी है और मास्टर प्लान तक तैयार किए जा चुके हैं, लेकिन अब तक कोई काम शुरू नहीं हो सका है। वहीं जिले के विधायकों ने तो केवल बिजली निगम के फीडर गोद लिए हैं, लेकिन वहां भी कोई खास प्रगति नहीं दिख रही है।
बाक्स
बजट ही नहीं
गांव गोद लेने की अपील सरकार सांसदों, विधायकों और अधिकारियों से कर चुकी है। विधायक व सांसद तो अपने किसी कोष से किसी गांव को गोद लेकर विकास करवा सकते हैं, लेकिन अधिकारियों के पास तो यह भी संभव नहीं है। अधिकारियों के पास बजट की कोई पावर नहीं है, ऐसे में किसी गांव को गोद लेकर वहां होने वाले विकाय कार्यों या फिर अन्य समस्याओं को दूर करने के लिए वह बजट कहां से लाएंगे। इसी के चलते अधिकारियों द्वारा गांव गोद लिए जाने की योजना को अब तक अमलीजामा नहीं पहनाया जा सका है।
बाक्स
नहीं बदले हालात
दक्षिण हरियाणा बिजली वितरण निगम नगूरां के तत्कालीन एसडीओ अजीत ¨सह ने बधाना 33केवी को गोद लिया था। इसके तहत आने वाली समस्याओं को दूर करने, बिजली बिलों व मैनटेंनेस आदि की जिम्मेदारी उन्होंने ली थी। गांव गोद लिए जाने के बाद आज तक वहां कोई बदलाव महसूस नहीं किया गया है। जो समस्याएं पहले थी, वह आज भी मौजूद हैं।
बाक्स
सांसदों के गांवों में भी नहीं बदलाव
केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र ¨सह ने खटकड़ तथा हिसार लोकसभा क्षेत्र से सांसद दुष्यंत चौटाला ने मखंड गांव को गोद लिया हुआ है। दोनों ही गांव उचाना विधानसभा के तहत आते हैं। दोनों ही गांवों के लिए कई बार मंत्री, सांसदों की मौजूदगी में बैठक आयोजित करके विकास कार्यों का मास्टर प्लान भी तैयार किया गया, लेकिन अब तक जमीनी स्तर पर दोनों गांवों में कोई भी काम शुरू नहीं किया गया है। ऐसे में दोनों ही गांवों के लोगों को विकास की दरकार है, लेकिन यह कब तक शुरू हो पाएंगे, यह फिलहाल कोई नहीं जानता।
बाक्स
अन्य अधिकारी नहीं दिखा रहे रुचि
जिले में आज तक किसी अधिकारी ने गांव गोद नहीं लिया है। इसके पीछे मुख्य कारण बजट की उपलब्धता नहीं होना है। बजट नहीं होने के कारण अधिकारी किसी गांव को गोद लेने में रुचि नहीं दिखा रहे हैं। इतना जरूर किया गया था कि कई-कई गांवों पर नोडल अधिकारी जरूर नियुक्त किए गए थे, लेकिन वह भी उन पर कोई ध्यान नहीं दे रहे हैं। गांवों के निवर्तमान सरपंचों का यहां तक कहना है कि अधिकारियों ने आज तक उनके गांवों की तरफ कोई रुख तक नहीं किया है।
बाक्स
फीडर पर भी सुधार नहीं
जिले के सभी विधायकों ने अपने-अपने एरिया के फीडरों को गोद लिया हुआ है, जिसके तहत कई-कई गांव आते हैं, लेकिन इन फीडर के तहत आने वाले गांवों में कोई देखने को नहीं मिला।