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अनुशासहीनता पर जाताई चिंता

संवाद सूत्र, जुलाना : पूर्व डीजीपी डॉ. महेंद्र मलिक ने शनिवार को पुलिस विभाग में विशेष तौर पर सीनियर

By Edited By: Published: Sat, 03 Oct 2015 10:24 PM (IST)Updated: Sat, 03 Oct 2015 10:24 PM (IST)
अनुशासहीनता पर जाताई चिंता

संवाद सूत्र, जुलाना : पूर्व डीजीपी डॉ. महेंद्र मलिक ने शनिवार को पुलिस विभाग में विशेष तौर पर सीनियर आइपीएस अधिकारियों में लगातार बढ़ते हुए अनुशासहीनता की घटनाओं पर खेत व्यक्त करते हुए कहा कि प्रदेश के जिलों में केवल तीन जिलों में पुलिस कमिश्नरों की व्यवस्था है। गुड़गांव, फरीदाबाद व अंबाला में नियुक्त अधिकारियों को बाकी जिलों के लिए पुलिस कार्य प्रणाली की कुशलता एवं अनुशासन के लिए मार्ग होना चाहिए लेकिन दुर्भाग्य की बात है कि जहां सरकार की और से इन तीनों जगह पुलिस कमिश्नर गठित करके एक उच्च स्तरीय व्यवस्था कायम करने की कोशिश की लेकिन तीनों जिलों में सीनियर अधिकारियों में आपसी तकरार और अनुशासन हीनता का मीडिया के अंदर खुला प्रदर्शन सरकार की व्यवस्था के ऊपर सवालिया-निशान है। यह बात उन्होंने शनिवार को जारी प्रैस विज्ञप्ति में कही। उन्होंने कहा कि अंबाला, पंजकूला पुलिस कमिश्नर सिस्टम में दो के खिलाफ अभिनिष्ठ पुलिस अधिकारियों ने गहरे आरोप लगाएं हैं। हाल में ही गुडगांव में भी एक महिला ज्वाइंट कमिश्नर तथा पुलिस कमिश्नर गुड़गांव के बीच गतिरोध खाकी वर्दी के शोले के नाम से मीडिया में निरंतर चर्चा का विषय बन रहा है। डा. मलिक ने कहा कि पुलिस नियमावली एवं आईपीएस अधिकारियों की नियमावली आंचार संहिता के नियमों के अनुसार कोई भी पुलिस अधिकारी मीडिया व प्रैस में जाकर सरे आम आरोप-प्रत्यारोप की भाषा का इस्तेमाल नहीं कर सकता। क्प्रदेश के सीएम के पास गृह मंत्रालय होने के कारण पुलिस विभाग के प्रशासनिक मुखिया भी है लेकिन इतनी गंभीर अनुशासनहीनता के बावजूद आज तक न तो इन घटनाओं की जांच हुई और ना ही अनुशासनात्मक कार्रवाई की गई है। यह सरकार की ढुलमुल नीति का प्रतीक है।


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