खाप के दम पर विधानसभा नहीं पहुंचा कोई खाप नेता
जागरण संवाददाता, रवि हसिजा इस बार हुए विधानसभा चुनाव में खाप उम्मीदवार बेशक वोट हासिल करने में सफल
जागरण संवाददाता, रवि हसिजा
इस बार हुए विधानसभा चुनाव में खाप उम्मीदवार बेशक वोट हासिल करने में सफल रहा हो, लेकिन वह अबकी बार भी विधानसभा में पहुंचने में कामयाब नहीं हो सका और अपनी जमानत जब्त करा बैठा। जींद सीट से निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ रहे कंडेला खाप के प्रधान व सर्वखाप सर्व महापंचायत के संयोजक टेकराम कंडेला चुनाव हार गए। कंडेला खाप के करीब 28 गाव जींद हलके में होने के बावजूद आज तक कोई भी खाप नेता विधानसभा में नही पहुंच सका। इससे पूर्व भी वर्ष 1991 में टेकराम कंडेला ने इनेलो की टिकट पर चुनाव लड़ा था। उस समय भी टेकराम काग्रेस के उम्मीदवार मांगेराम गुप्ता से करीब 18 हजार मतों से पराजित हुए थे। अकेले खाप के दम पर कोई भी खाप नेता विधानसभा की दहलीज नहीं चढ़ सका। हालांकि इस बार खाप ने टेकराम कंडेला के अलावा अन्य सीट पर किसी को भी अपना समर्थन नहीं दिया था।
वर्ष 1991 में टेकराम कंडेला ने जो फिलहाल कंडेला खाप के प्रधान व सर्वखाप सर्व महापंचायत के संयोजक है, उन्होंने इनेलो की टिकट पर चुनाव लड़ा था। उस समय टेकराम काग्रेस के उम्मीदवार मांगेराम गुप्ता से करीब 18 हजार मतों से पराजित हुए थे। कंडेला खाप के करीब 28 गाव जींद हलके में होने के बावजूद आज तक कोई भी खाप नेता विधानसभा में नहीं पहुंच सका। वर्ष 1991 में ही चुनाव में तत्कालीन विधायक टेकचंद नैन ने बिनैन खाप के दम पर चुनाव लड़ा। चुनाव में उनकी जमानत तक जब्त हो गई थी। 1993 में नरवाना उपचुनाव में एचवीपी-बीजेपी गठबंधन ने इंद्र सिंह नैन को अपना उम्मीदवार बनाया था। नरवाना क्षेत्र की सबसे बड़ी बिनैन खाप से होने के बावजूद नैन चुनाव में जमानत नही बचा सके थे और वह चौथे स्थान पर रहे। इसी प्रकार कंडेला खाप के प्रताप रेढू 1977 मे जनता पार्टी की टिकट पर जींद से लड़े थे, लेकिन जनता पार्टी की आधी में भी वह हार गए थे।
खाप प्रभावित करती समीकरण
खापों ने अनेक बार अलग-अलग दलों को समर्थन देकर समीकरण जरूर प्रभावित किए है। जीत-हार में खापों की भूमिका को नकारा नहीं जा सकता। 1993 में नरवाना उपचुनाव में बिनैन खाप ने लोकदल उम्मीदवार ओमप्रकाश चौटाला का समर्थन किया था। इस चुनाव में चौटाला ने बिनैन खाप के समर्थन से रणदीप सुरजेवाला को करीब 18 हजार मतों से हराया था। उस समय बिनैन खाप ने सुरजेवाला का विरोध किया था। इसी प्रकार अनेक बार खाप ने जिस भी दल का विरोध किया उस दल का उम्मीदवार चुनाव नहीं जीत पाया।