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स्कूल बसों में महिला गार्ड की तैनाती हो रही मुश्किल

जागरण संवाददाता, बहादुरगढ़ : स्कूल बसों में बच्चों के सुरक्षित सफर को लेकर जिन नियमों पर पहले से प

By JagranEdited By: Published: Mon, 27 Feb 2017 01:01 AM (IST)Updated: Mon, 27 Feb 2017 01:01 AM (IST)
स्कूल बसों में महिला गार्ड की तैनाती हो रही मुश्किल

जागरण संवाददाता, बहादुरगढ़ :

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स्कूल बसों में बच्चों के सुरक्षित सफर को लेकर जिन नियमों पर पहले से प्रदेश सरकार और प्रशासन सख्त है, अब उन्हीं पर केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) ने भी सख्त हिदायत जारी की है। हालाकि जिस तरह की सुविधाएं मुहैया कराने के निर्देश, उनमें से ज्यादातर पर तो व्यवस्था पहले से होने का स्कूल दावा कर रहे हैं, मगर बसों में महिला सहायक या गार्ड की तैनाती मुश्किल हो रही है। अभी तक तो इक्का-दुक्का स्कूलों में ही ऐसी व्यवस्था है। बाकी स्कूल इस बिंदु पर किंतु-परतु की स्थिति में है। इस बीच बाल संरक्षण आयोग ने भी प्रदेश भर में स्कूल बसों की जाच की तैयारी कर रखी है। 1 से 15 मार्च के बीच 22 बिंदुओं पर स्कूल बसों की जाच की जाएगी।

वैसे तो स्कूल बसों के संचालन को लेकर काफी नियम है, मगर उनके अंदर सीसीटीवी कैमरे, जीपीएस, अग्निशमन यंत्र के अलावा महिला सहायक या गार्ड की तैनाती सबसे अहम है। तीन दिन पहले ही सीबीएसई की ओर से भी इन सभी बिंदुओं पर सभी स्कूलों को दिशानिर्देश जारी किए गए है। बहादुरगढ़ में ज्यादातर प्रमुख स्कूल सीबीएसई से ही जुड़े है। इन सभी पर ये नियम लागू होते हैं। इन सभी स्कूलों की मिलाकर 100 से ज्यादा बसें चलती है। जिले भर में तो सभी स्कूलों की 1100 बसें है। हालाकि स्कूल संचालक इस तरह के बिंदुओं को लेकर पहले से व्यवस्था होने की बात कह रहे है। विगत में परिवहन आयुक्त की ओर से दिए गए आदेशों के बाद ही यह व्यवस्था की गई थी, लेकिन बसों में महिला सहायक या गार्ड की तैनाती को लेकर स्कूल संचालक बैक फुट पर है। अधिकतर स्कूलों की बसों में महिला गार्ड नही है। स्कूल संचालक भी इस पर सहमत नही है। वे किंतु-परतु की स्थिति में हैं। बाकी बिंदुओं पर स्कूल संचालक पहले से सभी व्यवस्थाएं होने का दावा कर रहे है।

यह है स्कूल संचालकों का तर्क

बसों में महिला सहायक या गार्ड की तैनाती को लेकर स्कूल संचालको के अपने-अपने तर्क है। उनका कहना है कि इस तरह की जरूरत भी महसूस नही होती। दूसरा इसमें रिस्क भी है। बस में चालक-परिचालक भी होंगे। ऐसे में महिला सहायक के साथ कोई बात होती है तो उसके लिए कौन जिम्मेदार होगा? बच्चों को सुरक्षित ढग से स्कूल तक लाना और वापस छोड़ना ही अहम है, जो पुरुष परिचालक जिम्मेदारी के साथ कर रहे है।

समय-समय पर होती है जाच

स्कूल बसों की ट्रैफिक पुलिस की ओर से भी समय-समय पर जाच की जाती है। हाल ही में अभियान चलाकर 50 से अधिक बसों को चेक भी किया गया। इनमें से कई ऐसे चालकों के चालान भी काटे गए, जो ड्राइविंग के समय वर्दी में नही थे। ट्रैफिक पुलिस एसएचओ संदीप हुड्डा का कहना है कि स्कूल बसों पर बराबर नजर रखी जा रही है। सभी नियमों को लेकर उनमें चेकिंग होती है।

बाल संरक्षण आयोग भी करेगा जाच

प्रदेश भर में बाल संरक्षण आयोग की ओर से स्कूल बसों की जाच के लिए 1 मार्च से अभियान शुरू किया जाएगा, जो 15 मार्च तक चलेगा। इसमें 22 बिंदुओं को लेकर जाच की जाएगी। इस तरह की जाच पिछले साल भी हुई थी। मगर खास बात यह है कि पिछली बार चालान नहीं काटे गए थे। इस बार मौके पर ही चालान भी काटे जाएंगे। आयोग के सदस्य बी के गोयल ने बताया कि वे खुद चार जिलों में यह चेकिंग करेगे। यह कार्य गंभीरता से होगा। सीबीएसई की तरफ से जो दिशानिर्देश जारी किए गए है उस पर भी संज्ञान लिया जाएगा।


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