नशा हर बुराई की जननी : दहिया
जागरण संवाददाता, बहादुरगढ़: आधुनिकता के दौर में खुशी का अवसर हो या गम का, नशे का सेवन फैशन बन गया
जागरण संवाददाता, बहादुरगढ़:
आधुनिकता के दौर में खुशी का अवसर हो या गम का, नशे का सेवन फैशन बन गया है। किसी के लिए यह राजशाही ठाठ है तो किसी के लिए मौज-मस्ती का जरिया। यही फैशन कब मौत के समीप पहुंचा देता है पता ही नहीं चलता। जब पता चलता है दो बहुत देर हो चुकी होती है। जबकि सच यहीं है कि नशा किसी भी रूप में ठीक नहीं है। यह बात सर्वजातीय सर्वखाप महापंचायत की महिला विंग अध्यक्ष डॉ. संतोष दहिया ने शहर के झज्जर रोड पर आयोजित एक विचार गोष्ठी में कही।
युवाओं का आह्वान करते हुए अखिल भारतीय महिला शक्ति मंच की राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. संतोष दहिया ने कहा कि हर बुराई की जननी नशाखोरी है। नशा व्यक्ति, परिवार व समाज के साथ राष्ट्र के लिए किस तरह नुकसानदायक है। उन्होंने बताया कि 26 जून को अंतरराष्ट्रीय नशा मुक्ति दिवस है। इस दिन दुनिया भर में नशा उन्मूलन का संकल्प लिया जाएगा। उनका मानना है कि यूथ औरों की अपेक्षा जल्दी नशे का शिकार होता है। गनीमत है कि युवतिया अभी नशे से दूर हैं, लेकिन कुछ प्रमाण में उनकी भागीदारी भी सामाजिक दृष्टि से चौंकाने वाली है। नशे की जड़ें बच्चों से लेकर बुजुर्गो तक में फैली हैं।
उन्होंने कहा कि आज किशोर वर्ग मादक पदार्थो के आदी होते जा रहे हैं। इन दिनों बच्चे नशे के लिए नई-नई तरकीब अपनाते देखे जा रहे हैं। छोटी सी नाजुक उम्र में बच्चों को यूं नशे की लत में पड़ जाना उनके स्वास्थ्य के साथ साथ सामाजिक दृष्टिकोण से भी काफी खतरनाक है।
राष्ट्रपति द्वारा सम्मानित दहिया ने कहा कि जब देश के भावी कर्णधार नशे में डूब कर अपना बहुमूल्य जीवन बर्बाद करते हैं, तो समाज अंदर से खोखला होने लगता है। नशे में डूबा इंसान अच्छे-बुरे की पहचान खो देता है। कुछ लोग इसे शौक से पीते हैं। यह धीरे-धीरे उनकी आदत में शामिल हो जाता है और वे चाहकर भी इस आदत से छुटकारा नहीं पा सकते हैं। इससे पैसे और समय दोनों की बबार्दी होती है। इस कारण उन्हें कई तरह की आर्थिक और सामाजिक मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। यह परिवार की टूटन का कारण बन जाता है।
इस मौके पर अमित सहवाग, मोनू मातन, विनय, शुभम, सुरेंद्र, विक्रम, शेखर, सुनीता, प्रकाश, नवीन, दीपक, रवि, विजय, संदीप आदि ने नशा ना करने का संकल्प लिया।