बाजरे की बिजाई व धान की रोपाई की तैयारी शुरू
जागरण संवाददाता, झज्जर : क्षेत्र में मानसून की वर्षा जून में होती है। इसके साथ ही किसान धान की रोप
जागरण संवाददाता, झज्जर :
क्षेत्र में मानसून की वर्षा जून में होती है। इसके साथ ही किसान धान की रोपाई व बाजरे की बिजाई का कार्य शुरू कर देते हैं। इससे पहले पिछले सप्ताह हुई वर्षा के किसान वर्ग इन दिनों अपने खेतों में बाजरे की फसल की बिजाई के लिए खेतों को तैयार करने में जुटा हुआ है। हालांकि बाजरे की फसल में पानी की आवश्यकता कम होती है इस लिए इस सीजन की मुख्य फसल बाजरा ही है। वहीं पशु चारे के लिए करीब 20 हजार हेक्टेयर भूमि में ज्वार की फसल की बिजाई भी की गई है। कृषि विभाग के आंकड़ों को ही देखा जाए तो क्षेत्र में विभाग ने करीब 40 हजार हेक्टेयर भूमि में बाजरे की फसल की बिजाई करने का लक्ष्य निर्धारित किया हुआ है।
जिले में धान की रोपाई के लिए भी तैयारी शुरू की जा रह है। धान की रोपाई के सीजन में हर वर्ष नहरी पानी की चोरी के मामले बढ़ जाते हैं। जिले में कृषि विभाग ने धान की रोपाई के लिए भी 30 हजार हेक्टेयर भूमि का लक्ष्य निर्धारित किया हुआ है। जबकि अरहर, ज्वार, कपास आदि की बिजाई भी किसानों ने कर ली है। इन फसलों को भी वर्षा के पानी की आवश्यकता है।
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नहरों के आसपास होती है धान की रोपाई
जिले में बेरी, बहादुरगढ़, झज्जर, मातनहेल आदि क्षेत्रों में नहरों के आसपास लगती भूमि में धान की फसल की रोपाई अधिक की जाती है। क्योंकि नहरों से फसल की सिंचाई का कुछ हद तक काम चल जाता है। क्षेत्र का भूमिगत पानी खारा होने के कारण टयूबवेल से सिंचाई करने के कारण पानी के साथ साल्ट जमीन के उपर आ जाता है। जिसके कारण भूमि की उपजाऊ शक्ति कम हो जाती है।
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बाजरे की बिजाई के लिए किसान अपने खेतों को तैयार कर रहे हैं। मानसून की वर्षा शुरू होने के बाद क्षेत्र में बाजरे की बिजाई का कार्य शुरू हो जाता है और इसी के साथ धान की रोपाई का कार्य भी शुरू हो जाता है।
-डॉ. जगजीत सांगवान,
एचडीओ, कृषि विभाग, झज्जर।