स्मार्ट सिटी : शिकायतें तो आई सैंकड़ों समाधान के लिए तरसते रहे लोग
केंद्र सरकार की तरफ से देश के 100 शहरों को स्मार्ट सिटी बनाने की योजना के की घोषणा के बाद लोगों को उ
केंद्र सरकार की तरफ से देश के 100 शहरों को स्मार्ट सिटी बनाने की योजना के की घोषणा के बाद लोगों को उम्मीद है कि उनका शहर भी इस योजना में शामिल हो। शहर चाहे बेशक छोटो हो लोगों को आशाएं तो होती ही हैं। चाहे सरकार की तरफ से कोई भी योजना क्यों न शुरू की जाए। उसका लाभ तो हर कोई लेना चाहता है। हालांकि अभी तक सरकार की तरफ से स्मार्ट सिटी योजना में शामिल किए जाने वाले शहरों की घोषणा नहीं की गई है। प्रदेश में अनेक बड़े शहर हैं। लेकिन झज्जर भी अनेक बड़े प्रोजेक्टों की वजह से देश भर में अपनी पहचान बना चुका है।
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शहर की स्थिति :
-शहर : झज्जर
-फिलहाल जनसंख्या : 50469
-जनसंख्या वर्ष 2011 : 48424
-पुरूष : 25746
-महिला : 22746
-लिंगानुपात : 886
-शिक्षा का स्तर : कुल : 84.19 प्रतिशत
-शिक्षित पुरूष : 90.70 प्रतिशत
-शिक्षिक महिलाएं : 76.96 प्रतिशत
-रिहायसी मकान : 9162
-नगरपालिका के वार्ड : 19
-सामान्य श्रेणी : 8
-अनुसुचित जाति के लिए आरक्षित वार्ड : 2
-महिलाओं के लिए आरक्षित वार्ड : 6
-घनत्व : 522 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर
-समुद्र तल से ऊंचाई : 220 मीटर
-पिन कोड : 124103
-टेलिफोन कोड : 91-1251
-वाहन रजिस्ट्रेशन : निजी वाहन : एचआर-14
-व्यावसायिक वाहन रजिस्ट्रेशन : एचआर-63
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-पारदर्शिता के लिए नहीं कोई मासिक पत्रिका
-वेबसाइट पर नहीं बजट का ब्यौरा
जागरण संवाददाता, झज्जर :
केंद्र सरकार की तरफ से शुरू की जा रही स्मार्ट सिटी योजना के तहत अगर झज्जर को शामिल किया जाता है तो इसके विकास को पंख लगेंगे। लोगों को बेहतर सुविधाएं मुहैया होंगी। शहर का पिछड़ा पन दूर होगा और शहर नई बुलंदियों को छुएगा। फिलहाल शहर की स्थिति बदहाल है। लेकिन जिले को मिली अनेक राष्ट्रीय स्तर की परियोजनाओं के कारण झज्जर का नाम राष्ट्रीय स्तर पर है। चाहे वह खेलों को लेकर हो या फिर सेना में बहादुरी को लेकर हो। इतना ही नहीं देश के थल सेना अध्यक्ष भी झज्जर जिले से ही हैं। झज्जर शहर की पारदर्शिता को लोगों तक पहुंचाने के लिए शहर की मासिक पत्रिका तक नहीं है। जबकि वेब साइट पर शहर के विकास के लिए आए बजट व जन प्रतिनिधियों की तरफ से पारित किए गए प्रस्तावों का ब्यौरा तक दर्ज नहीं है। जबकि देश टेक्नोलोजी के क्षेत्र में दिन दो गुनी व रात चौगुनी तरक्की कर रहा है। लोगों की शिकायतों के लिए नगर पालिका कार्यालय में रजिस्टर अवश्य लगाया गया है। लेकिन लोगों की समस्याओं का समय पर समाधान नहीं हो पाया है। मात्र खानापूर्ति ही की जा रही है। हर माह करीब 80 से 100 लोगों की शिकायतें अवश्य आ रही हैं। अब नगर पालिका के पार्षदों का कार्यकाल भी पूरा हो चुका है और चुनाव की तैयारियां भी शुरू हो चुकी हैं।
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वार्ड बंदी में शहर की स्थिति
नई वार्डबंदी के तहत जो वार्ड एससी वर्ग के लिए आरक्षित हुए है उनमें वार्ड दो, पाच तथा बारह शामिल है। वार्ड पाच एससी वर्ग की महिला के लिए आरक्षित हुआ है। जनगणना 2011 के अनुसार झज्जार की पालिका की सीमा में आने वाली आबादी 48 हजार के आसपास है जबकि वर्तमान में यह आबादी पचास हजार के करीब पहुंच चुकी है। बढ़ी आबादी यदि पचास को पार करती तो वार्ड संख्या बढ़ जाती। जिसके चलते जनगणना के आंकड़ों के अनुसार ही झज्जार पालिका में इस बार भी 19 ही वार्ड रहेगे। शुक्रवार को हुई वार्डबंदी के हिसाब से वार्ड नंबर 15 व 16 बीसी वर्ग के लिए आरक्षित हुए है। जबकि सात वार्ड महिलाओं के लिए आरक्षित है। इनमें से एक वार्ड पाच एससी वर्ग की महिला के लिए आरक्षित है। बाकी छह वार्ड जो महिलाओं के लिए आरक्षित हुए है उनमें 4,7,9,11,17 व 18 शामिल है। सामान्य श्रेणी ओपन वार्ड जो रखे गए हैं उनमें वार्ड एक, तीन, छह आठ, दस, तेरह, चौदह व उन्नीस है।
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साढ़े तीन साल में जमीनी कार्रवाई भी नहीं हुई पूरी
कामनवेल्थ गेम हो या एशियाड गेम हो झज्जर जिले के खिलाड़ियों ने देश की झोली में पदक डालकर जिले की पहचान अतंरराष्ट्रीय स्तर पर बनाई है। लेकिन खेल सुविधाओं के नाम पर देखा जाए तो शहर में जहां आरा बाग स्टेडियम व बाइपास पर बनाए गए क्रिकेट स्टेडियम के अलावा कुछ भी नहीं है। खिलाड़ियों को जिला स्तर पर खेलों के प्रशिक्षण के लिए बेहतर सुविधाएं मुहिया करवाने के लिए प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुडडा ने झज्जर में स्पोर्टस कांपलेक्स का निर्माण करवाने के लिए घोषणा की थी। 15 जनवरी 2012 को राजकीय कन्या वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में आयोजित हुए समारोह के दौरान इसकी घोषणा की थी। इस घोषणा के बाद से आज तक इस स्पोर्टस कांपलेक्स की योजना फाइलों से बाहर नहीं निकल पाई है। जमीन का अधिग्रहण न होने के कारण फिलहाल तक इसके बजट को भी मंजूरी नहीं मिल पाई है।
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हुडा विभाग ने करना है निर्माण
झज्जर में स्पोर्टस कांपलेक्स की घोषणा के बाद इसके निर्माण का जिम्मा हुडा विभाग को सौंपा गया है। शहर के मास्टर प्लान के अनुसार सात सैक्टर के साथ स्थापित होने वाले सैक्टर दो में स्पोर्टस कांपलेक्स की स्थापना की जानी है। लेकिन भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया पूरी न होने के कारण इसका निर्माण कार्य शुरू नहीं हो पाया है।
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लोगों की उम्मीदों पर खरा नहीं उतरा अस्पताल
आज से करीब पांच साल पहले जब जिला मुख्यालय पर 100 बैड के अस्पताल के निर्माण के लिए योजना तैयार की गई तो लोगों ने सोचा था कि अब शायद उनको रोहतक पीजीआई के चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे। इस अस्पताल का नया भवन तैयार होने व चिकित्सकों की संख्या बढ़ने के बाद भी यह अस्पताल लोगों की उम्मीदों पर खरा नहीं उतर पा रहा है। पहले की तरह ही लोगों को आज भी रोहतक पीजीआई के चक्कर काटने पड़ रहे हैं। करोड़ों रुपये की लागत से अस्पताल का भवन तैयार होने के बाद भी यह अस्पताल सुविधाओं के अभाव में मात्र रेफरल सेंटर बन कर रह गया है। जिले में कोई सड़क दुर्घटना हो या फिर अन्य कोई घटना हो जाए और पीड़ित को सामान्य अस्पताल में लाया जाता है तो पहले की तरह ही पीडि़त को प्राथमिक उपचार के बाद रोहतक पीजीआई रेफर कर दिया जाता है।
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शहर अगर स्मार्ट सिटी की सूची में सरकार की तरफ से शामिल किया जाएगा तो हर प्रकार की सुविधाओं के लिए सरकार की तरफ से बजट भी मुहैया करवाया जाएगा। उसके अनुसार शहर का विकास होगा।
-इंद्रजीत मल्हौत्रा, एमई, झज्जर।