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मानसून की देरी ने रोकी कृषि और हरियाली की राह

जागरण संवाददाता, बहादुरगढ़ : मानसून के आगमन में हो रही लगातार देरी ने कृषि कार्य ही नहीं बल्कि वन

By Edited By: Published: Sun, 05 Jul 2015 10:10 PM (IST)Updated: Sun, 05 Jul 2015 10:10 PM (IST)
मानसून की देरी ने रोकी कृषि और हरियाली की राह

जागरण संवाददाता, बहादुरगढ़ :

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मानसून के आगमन में हो रही लगातार देरी ने कृषि कार्य ही नहीं बल्कि वन विभाग के जरिये बढ़ने वाली हरियाली की राह भी रोक दी है। पर्याप्त बारिश न होने के कारण दोनों ही कार्य प्रभावित हो रहे है। एक तरफ किसान परेशान है तो दूसरी ओर वन विभाग की ओर से पौधारोपण का कार्य भी जोर नहीं पकड़ रहा।

दरअसल हर बार मानसून के आगमन से पहले ही वन विभाग की ओर से पौधारोपण का लक्ष्य तय कर लिया जाता है। नई सड़कों से लेकर नहरों के किनारों पर ये पौधे लगाए जाते है। इसी तरह धान उत्पादक किसान भी मानसून के आगमन के साथ ही धान की रोपाई का कार्य तेज कर देते है। मगर इस बार मौसम का मिजाज इन दोनो कायरें के लिए पूरी तरह अनुकूल नही है। जुलाई का पहला सप्ताह बीतने को है। मगर मानसून ने दस्तक नहीं दी है। हालाकि 6 जुलाई के बाद मौसम में बदलाव के आसार है, लेकिन मानसून की बारिश से कब धरती की प्यास बुझेगी, यह तय नही है। ऐसे में हर तरफ मायूसी है।

बारिश के बिना पूरा नहीं होगा पौधारोपण का कार्य

इस बार वन विभाग की ओर से अकेले बहादुरगढ़ में ही लगभग 90 हजार पौधे लगाए जाने है। जबकि पूरे जिले में तो यह लक्ष्य पाच लाख पौधों के आसपास है। अमूमन इस समय तक 35 से 40 प्रतिशत पौधारोपण का कार्य पूरा हो जाता, मगर इस बार ऐसा नहीं हुआ है। मानसून का आगमन समय से नही हुआ है इसलिए पौधारोपण का कार्य भी गति नहीं पकड़ रहा। अधिकारी ही मान रहे है कि अभी तक 10 फीसद कार्य भी नहीं हो पाया है। इसकी वजह भी साफ है क्योंकि जितनी संख्या में पौधे लगाए जाते है, उन्हे बारिश के बिना बचा पाना संभव नहीं। जाहिर है कि ऐसे में वन विभाग भी पौधे लगाने से बच रहा है। अधिकारियों का कहना है कि यदि पौधे लगा भी दिए जाएं तो उसका कोई फायदा तो दूर नुकसान भी दोगुना होगा। एक तो इस कार्य पर लागत आएगी और दूसरा पौधे भी नहीं बच पाएंगे।

किसानों में भी है मायूसी का आलम

बारिश में देरी से क्षेत्र के किसान वर्ग में भी मायूसी का आलम बना हुआ है। धान की रोपाई तो प्रभावित हो ही रही है, दूसरी खरीफ फसलें भी खेतों में सूख रही है। फिलहाल कृषि विशेषज्ञों की ओर से ग्वार व बाजरा की बिजाई की सलाह दी जा रही है। ये फसलें कम पानी की लागत वाली हैं, लेकिन जिन फसलों में फिलहाल पानी की जरूरत है, उसे पूरा करना मुश्किल हो रहा है। ज्वार की फसल सूख रही है। जहा धान की रोपाई हो चुकी है अब वहा दिन-रात खेतों में पानी ठहराव की दरकार है। मगर बारिश के बिना पानी की यह पूर्ति नहीं हो पा रही है। ऐसे में किसान आसमान की तरफ निहार रहे है। एक पल में तो मौसम बारिश के आसार पैदा करता है, लेकिन दूसरे ही पल बादल छट जाते हैं। इससे भूमि पुत्रों की चिंता बढ़ रही है। शुक्रवार की शाम आधी के बाद बारिश तो हुई लेकिन काफी हल्की रही। इसका फसलों को लाभ नही हुआ। गाव में तो सिर्फ फुहारे ही थी। ऐसे में खेतों की प्यास भी बढ़ती जा रही है।

बारिश पर ही निर्भर करेगा पौधारोपण कार्य: दहिया

वन विभाग के जिला अधिकारी सतबीर दहिया का कहना है कि पौधारोपण का कार्य तो पूरी तरह बारिश पर ही निर्भर करेगा। अभी मानसून का इतजार है। जुलाई और अगस्त में ही यह कार्य हो पाता है। अभी तक अच्छी बारिश नहीं हुई है इसलिए पौधारोपण कार्य भी गति नहीं पकड़ पा रहा।

मानसून की देरी का खेती पर असर स्वाभाविक: एसडीओ

कृषि विभाग के उपमंडल अधिकारी डॉ. सुनील कौशिक का कहना है कि मानसून में देरी से कृषि कार्य प्रभावित होना लाजमी है, लेकिन यह सब तो प्रकृति के हाथ है। वैसे क्षेत्र में जो रकबा नहरों के आसपास है, वहा पर धान की रोपाई का कार्य निरतर जारी है।


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