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चारों तरफ नहर, फिर भी ग्रामीण प्यासे

जागरण संवाददाता, झज्जर : दर्जा आदर्श गांव का लेकिन सुविधाएं सामान्य गांव से भी बदतर हों तो इसी से अं

By Edited By: Published: Sun, 24 May 2015 02:31 AM (IST)Updated: Sun, 24 May 2015 02:31 AM (IST)

जागरण संवाददाता, झज्जर : दर्जा आदर्श गांव का लेकिन सुविधाएं सामान्य गांव से भी बदतर हों तो इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि उस गांव के ग्रामीण किस कदर समस्याओं से परेशान होंगे। हम किसी और गांव की नहीं बल्कि सांसद ग्राम योजना के तहत रोहतक लोक सभा क्षेत्र के सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा की तरफ से गोद लिए गए ईस्लामगढ़ गांव की कर रहे हैं। गांव में किसी भी योजना के तहत बजट आने की बात तो दूर अभी तक ग्राम विकास योजना भी तैयार नहीं हो पाई है। ग्राम विकास योजना केवल कागजों व अधिकारियों की बैठकों तक ही सीमित है। जब भी अधिकारियों से इस बारे में बात की जाती है तो उनका कहना होता है कि योजना तैयार की जा रही है। इसकी डेड लाइन 31 मई निर्धारित की गई है। उससे पहले ग्राम विकास योजना को तैयार कर लिया जाएगा।

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नहरों से घिरा गांव, नहीं मिल रहा पानी

गांव चारों तरफ से नहरों से घिरा हुआ है और ग्रामीणों व पशुओं की प्यास भी नहीं बुझ रही है। ग्रामीणों को कैंपर से पानी सप्लाई करने वालों से 300 से 400 रुपये प्रतिमाह के हिसाब से या निजी पानी आपूर्ति के माध्यम से 150 से 200 रुपये प्रति माह के खर्च कर मोल के पानी से प्यास बुझानी पड़ रही है।

ग्रामीणों की प्यास बुझाने के लिए गांव में करोड़ों रुपये की लागत से जलघर तो सरकार की तरफ से बनाया गया है, लेकिन सरकार ने इस जलघर के टैंकों को पानी से भरने के लिए नहर में मोरी तक नहीं लगाई है। नहर का लेवल जलघर के लेवल से नीचे है और पाइप लाइन उंची है। जब जवाहर लाल नेहरू केनाल में पानी लेवल पाइप लाइन के उपर होता है तो साइफन के माध्यम से पानी जलघर तक पहुंचाया जाता है अन्यथा जल घर के टैंकों तक पानी पहुंचाने के लिए कोई रास्ता नहीं है। पशुओं के लिए तालाबों में पानी नहीं है। गांव का गंदा पानी भरा हुआ है।

सरकारी स्कूल में नहीं पढ़ रहे गांव के बच्चे

ईस्लामगढ़ की ढ़ाणी गांव के सरकारी प्राइमरी स्कूल में गांव के ही बच्चे शिक्षा ग्रहण करने के लिए नहीं आ रहे हैं। इस स्कूल में गांव के ही नहीं बल्कि आस पड़ोस के क्षेत्र में काम करने वाले अन्य राज्यों व क्षेत्र मात्र 10-12 बच्चे ही शिक्षा ग्रहण करने के लिए आते जबकि गांव के बच्चे यहां स्थिति निजी स्कूलों में शिक्षा ग्रहण करने के लिए जाते हैं।

कृषि व ट्राली उद्योग आमदनी का है जरिया

ईस्लामगढ़ गांव के लोगों का कृषि व ट्राली उद्योग आमदनी का जरिया है। लेकिन बिजली न मिलने से दोनों ही कार्य प्रभावित हो रहे हैं। गांव में पावर हाउस का निर्माण तो किया जा रहा है लेकिन बिजली पर्याप्त मात्रा में नहीं मिल पा रही है। ट्राली उद्योग प्रदेश के साथ-साथ अन्य राज्यों में भी ट्राली व डंपर सप्लाई करता है। लेकिन उन्हे बिजली न मिलने के कारण जनरेटरों का ही सहारा लेकर मांग की पूर्ति करनी पड़ती है।

अस्पताल तो है, इलाज नहीं

ईस्लामगढ़ गांव को सांसद आदर्श ग्राम योजना के तहत दीपेंद्र हुड्डा की ओर से गोद लिया गया है। जबकि पिछले वर्ष इस गांव में करोड़ों रुपये की लागत से प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र को तो निर्माण कर दिया गया। लेकिन ग्रामीणों की बात मानी जाए तो यहां पर चिकित्सक भी मिलते है। यदि कभी-कभार मिल भी जाते हैं तो सीधे झज्जर का रास्ता ही मरीजों को दिखा दिया जाता है।

ग्रामीण रत्नलाल का कहना है कि ईस्लामगढ़ गांव नाम का ही आदर्श गांव है लेकिन यहां पर समस्याओं के अंबर लगे हुए हैं। प्रशासन के अधिकारी बैठकों व कागजों तक ही सीमित हैं, लेकिन विकास कार्य शुरू नहीं हो पा रहे हैं।

ग्रामीण चंद्रपाल का कहना है कि जिस गांव में लोगों को पीने तक का पानी समय पर नहीं मिलता हो तो इससे ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि गांव कितना आदर्श होगा।

ओमप्रकाश का कहना है कि गांव में मांग अनुसार न बिजली है न पानी है और न ही समस्याओं का समाधान हो रहा है। गांव के चारों ओर नहर लगती है लेकिन ग्रामीणों की प्यास नहीं बुझ पा रही हैं। महिलाएं दूर दराज के क्षेत्रों से पीने का पानी सिर पर लाने के लिए मजबूर हैं।

गांव को गोद लिये हुए सात महीने बीत गए हैं। गांव में पानी की पाइप लाइन तक का काम अधूरा पड़ा है। किसी समस्या का समाधान नहीं हुआ है। अधिकारियों के सामने समस्या रखी जा चुकी है।

-सरपंच पुष्पा देवी, ग्राम पंचायत ईस्लामगढ़।

ग्राम विकास योजना तैयार की जा रही है। यह तैयार होते ही जिला स्तर से सरकार को भेजी जाएगी। जिसका बजट अलाट होने के बाद काम शुरू कर दिया जाएगा।

-अनिल हुड्डा, परियोजना अधिकारी, एडीसी ऑफिस, झज्जर।


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