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झज्जर-बहादुरगढ़ रूट पर चली रोडवेज बसें

जागरण संवाददाता, झज्जर : दैनिक जागरण में छपी खबर का जीएम रोडवेज ने संज्ञान लिया है। आज बस स्टैंड बूथ

By Edited By: Published: Sun, 24 May 2015 02:31 AM (IST)Updated: Sun, 24 May 2015 02:31 AM (IST)

जागरण संवाददाता, झज्जर : दैनिक जागरण में छपी खबर का जीएम रोडवेज ने संज्ञान लिया है। आज बस स्टैंड बूथ पर कुछ बसें रोडवेज की खड़ी दिखीं। इससे न केवल आम लोगों को राहत मिली बल्कि परिवहन समितियों की बसों के साथ अवैध वाहन चालकों की मनमानी पर रोक लगी।

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गौरतलब है कि झज्जर-बहादुरगढ़ रूट पर रोडवेज की बसें पूरी तरह से नदारद हो गई थी। परिवहन समिति की 19 नई बसों को इस रूट पर परमिट मिलने के बाद रोडवेज जाने कहां गायब हो गई। हालांकि कागजों की बात की जाए तो इस रूट पर हर आधा घंटे में रोडवेज की बसें सवारियों को ढो रही थीं। दैनिक यात्रियों का कहना था कि न तो झज्जर के डिपो पर और न ही बहादुरगढ़ के डिपो एक भी रोडवेज की बस खड़ी दिखाई देती थी। डिपो मैनेजर का कहना था कि रोडवेज हर आधे घंटे में इस रूट पर हैं लेकिन कुछ यात्रियों ने जब उन्हें बताया कि सुबह दस बजे से 12 बजे के बीच एक भी बस बूथ पर नहीं लगी तो उन्होंने केवल इतना कहा कि बसें क्यों नहीं चल रही इसकी जांच होगी। दैनिक जागरण ने समाचार प्रकाशित किया तो स्थिति में कुछ सुधार आया। गौरतलब है कि झज्जर जिले में परिवहन विभाग के पास करीब 160 बसें हैं। इन्हें विभिन्न रूटों पर चलाया जाता है लेकिन ये बसें किन रूटों पर चलती हैं ये जांच का विषय है।

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अवैध वाहन चालकों की बल्ले-बल्ले

रोडवेज की बसें न चलने से अवैध वाहन चालकों ने भी अपने रूटों पर गाड़ियों के चक्कर बढ़ा दिए हैं। जिले की कोई ऐसी सड़क नहीं है जहां पर अवैध वाहनों की भरमार न हो। सड़कों पर बिना अपने नंबर के ही सड़कों पर दौड़ते रहे। पहले जहां नंबर के हिसाब से अवैध वाहन सवारी भरते नजर आते थे। वे अब यात्रियों को अपने वाहनों के पायदानों पर लटका कर यात्रियों की जान की परवाह न करते हुए सड़कों पर दौड़ रहे हैं। अवैध वाहन चालकों की पूरी तरह से बल्ले-बल्ले हो गई। परिवहन समिति की 25 बसों को दिन में तीन चक्कर मारने के लिए अधिकृत किया गया है लेकिन कई बसें ऐसी हैं जो छह से आठ चक्कर मारती हैं। बूथ पर इनके खड़े होने का समय आठ मिनट है लेकिन ये बसें कभी कभी तो घंटा भर भी बूथ से नहीं हिलती हैं। इन्हें न तो महाप्रबंधक रोडवेज कुछ कह पाते हैं। लोगों का कहना है कि डीटीओ दफ्तर को पावर है कि इन पर अंकुश लगाए लेकिन वो तो कहीं दिखते नहीं।

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रोडवेज महाप्रबंधक का कहना है कि आम आदमी का हित महकमे के लिए सर्वोपरि है। अगर अब कोताही मिली तो चालक व परिचालक के साथ डिपो मैनेजर पर कड़ी कार्रवाई होगी।


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