अभिमन्यु को चक्रव्यूह में फंसाया
शैलेंद्र गौतम, झज्जर दस्तूर भी था और मौका भी। ऐसे में विरोधी को निबटाने का मौका छोड़ दिया जाए तो इस
शैलेंद्र गौतम, झज्जर
दस्तूर भी था और मौका भी। ऐसे में विरोधी को निबटाने का मौका छोड़ दिया जाए तो इसे राजनीतिक कौशल तो नहीं कहा जा सकता। हुआ भी कुछ ऐसा। ओपी धनखड़ ने सुर छेड़ा तो सीएम ने सुर मिलाते हुए फरमान दे डाला।
कृषि मंत्री ओपी धनखड़ जब भाषण देने आए तो उन्होंने पहले मुख्यमंत्री की शान में कसीदे पढ़े। उसके बाद उन्होंने बेमौसम हुई बारिश को कोसा और उसके बीच सरकार को सौ में से 99 नंबर दे डाले। उन्होंने बताया कि पहली दफा किसानों को इतना बड़ा मुआवजा खराब फसल की एवज में दिया गया है। इसे लेकर उनके पास पंजाब, राजस्थान तथा उत्तरप्रदेश के मंत्रियों के फोन तक आए। सभी की जिज्ञासा यह थी कि इतना भारी भरकम मुआवजा छोटी से सूबे ने कैसे दे डाला। उन्होंने इन सभी बातों का श्रेय अपने टीम लीडर यानि मुख्यमंत्री को दिया। लेकिन बात को खत्म करते करते एक ऐसी बात कह गए जो उनके राजनीतिक कौशल को इंगित करती है। उन्होंने कहा कि सब कुछ अच्छा हुआ लेकिन पटवारियों ने जिस तरह से मुआवजे को कम ज्यादा करने का खेल रचा वो दुखद भरा था। इससे न केवल सरकार की किरकिरी हुई बल्कि लोगों को नुकसान भी पहुंचा। इस बात को कहने के बाद उन्होंने कुछ और प्रसंग भी छेड़े और अपनी सीट पर जाकर बैठ गए। उसके बाद भाषण देने की बारी मुख्यमंत्री की थी।
मनोहर लाल खट्टर ने संजीदगी से अपनी बात कहनी शुरू की। मुआवजा राशि पर वो आए और अपनी पीठ भी थपथपाई लेकिन इसी बीच पटवारियों के दुखद प्रकरण का जिक्र करते हुए अभिमन्यु की तरफ इशारा किया और कहा कि मैने उन्हें गोलमाल करने वाले पटवारियों की लिस्ट भेज दी है। उनके कहा है कि वे इनके खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई करें।
खास बात है कि विकास रैली के दौरान सरकार की उपलब्धि में केवल दो बातें शुमार थी। इसमें पहली बात किसानों को बेहतरीन मुआवजा देने की थी तो दूसरी प्रदेश से भ्रष्टाचार के गायब होने की। इस मसले पर कैप्टन के साथ रामविलास तथा धनखड़ ने जमकर राबर्ट वाड्रा तथा पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा पर निशाना साधा। सभी वक्ताओं के निशाने पर हुड्डा कुछ खास अंदाज में रहे। सबने उन्हें प्रदेश का बेड़ा गर्क करने वाला करार दिया और मनोहर लाल खंट्टर को प्रदेश को संजीवनी देने वाला बताया। रोचक तथ्य है कि ओपी धनखड़ व कैप्टन अभिमन्यु के बीच छत्तीस का आंकड़ा जगजाहिर है। ऐसे में लोगों की जुबान पर यह बात आखिर तक रही कि धनखड़ ने पटवारियों की आड़ में कैप्टन पर निशाना साध ही डाला। सीएम का समर्थन मिलने से उनको संबल मिला। एक तरफ सारे मंत्री हरियाणा को करप्शन फ्री होने की बात कह रहे थे वहीं धनखड़ ने साबित कर दिया कि भ्रष्टाचार कहां है।