आग के हवाले फसल के अवशेष, सूनी हो रही धरती की कोख
जागरण संवाददाता, झज्जर : थोड़ी सी लापरवाही धरती की कोख को सुना कर रही है। किसान फसल के अवशेष को आग
जागरण संवाददाता, झज्जर :
थोड़ी सी लापरवाही धरती की कोख को सुना कर रही है। किसान फसल के अवशेष को आग के हवाले कर रहे हैं। जिससे भूमि की उपजाऊ शक्ति क्षीण होती जा रही है। कृषि योग्य भूमि बंजर होने के कगार पर पहुंच रही है। वहीं पशु चारे की कमी बढ़ने के साथ-साथ फसल के अवशेष आग के हवाले किए जाने से पर्यावरण भी दूषित हो रहा है। इन दिनों कंबाइन मशीनों से गेहूं की कटाई व कढ़ाई के बाद बाकि बचे अवशेषों को किसान आग के हवाले कर देते हैं। काफी समय पहले तक किसान रात के समय फसलों के अवशेषों को आग के हवाले करते दिखाई देते थे, लेकिन अब तो दिन के समय ही गेहूं के अवशेषों का तूड़ा बनाने की बजाए उसे आग के हवाले किया जा रहा है। पहले ओलावृष्टि व बरसात से हुए नुकसान के कारण किसानों वर्ग अनाज व पशु चारे कही किल्लत होने की बात कह रहा था। अब खेतों में फसल के अवशेषों को बचाने की बजाए आग के हवाले किया जा रहा है। जबकि सरकार की तरफ से भी इनको जलाने पर प्रतिबंध लगाया हुआ है।
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नष्ट होते हैं मित्र कीट
फसलों के अवशेष को आग के हवाले करने से किसान के मित्र कीट भी आग में जल कर नष्ट हो जाते हैं। आग से भूमि का तापमान भी बढ़ जाता है। जिससे भूमि की उपजाऊ शक्ति कमजोर हो जाती है। आने वाले समय में किसानों के सामने इसके दुष्परिणाम में आने लगते हैं। किसान के मित्र कीटों के साथ साथ आग से खेतों में उगे अन्य पौधे भी नष्ट हो जाते हैं।
घड़े की तरह पक रही भूमि
कृषि विभाग के एसडीओ जगजीत सिंह सांगवान का कहना है कि किसानों के खेतों में फसल के अवशेष जलाने से भूमि का तापमान बढ़ जाता है। जिससे भूमि कुम्हार के घड़े की तरह पक जाती है। जिससे अगली फसल की पैदावार पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है। किसान अगर अवशेष की खाद भी बनाए तो वह भी उसके लिए सोने पर सुहागे का कार्य करेगी।
जिलाधीश लगा चुके हैं प्रतिबंध
जिलाधीश डॉ.अंशज सिंह ने जिला की सीमा में गेहू की फसल की कटाई के बाद बचे हुए उसके अवशेषों को जलाने पर पाबंदी लगाई हुई है। जिलाधीश ने भारतीय दंड प्रक्रिया नियमावली 1973 की धारा 144 द्वारा प्रदत्त शक्तियों के अंतर्गत फसलों के अवशेष जलाने पर पूर्णतया प्रतिबंध लगाई है। जारी आदेशानुसार यदि कोई व्यक्ति गेहू की फसल की कटाई के बाद बचे हुए अवशेषों को जलाने का दोषी पाया जाता है, तो उसके खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 188 तथा वायु एवं प्रदूषण नियंत्रण अधिनियम 1981 के तहत सख्त कार्रवाई की जाएगी। गेहू की फसल की कटाई के बाद बचे हुए अवशेषों को जलाने से जो वायु प्रदूषण फैलता है, उससे मनुष्य के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने के साथ-साथ भूमि की उर्वरक क्षमता भी कम होती है। इसके साथ-साथ अवशेषों को नष्ट करने से पशु चारे की भी कमी पड़ती है। इन्हीं तथ्यों के मद्देनजर गेहू की कटाई के पश्चात उनके अवशेष जलाने पर यह प्रतिबंध लगाया गया है।