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फसलों के अवशेष न जलाएं किसान : एसडीएम

जागरण संवाददाता, बहादुरगढ़ : स्थानीय एसडीएम अमरदीप जैन ने किसानों से फसलों के अवशेष न जलाने का आह्वा

By Edited By: Published: Sat, 18 Apr 2015 01:03 AM (IST)Updated: Sat, 18 Apr 2015 01:03 AM (IST)
फसलों के अवशेष न जलाएं किसान : एसडीएम

जागरण संवाददाता, बहादुरगढ़ : स्थानीय एसडीएम अमरदीप जैन ने किसानों से फसलों के अवशेष न जलाने का आह्वान करते हुए कहा कि इससे खेतों में खड़ी दूसरी फसलों को आग से नुकसान होने का खतरा बना रहता है। साथ ही पर्यावरण में असंतुलन, तापमान में बढ़ोतरी और खेत की मिट्टी की उर्वरा शक्ति भी कम हो जाती है। फसलों के अवशेष खेतों में जलाना कानून का उल्लंघन है।

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एसडीएम ने बताया कि उपमंडल कृषि विभाग किसानों को जागरूक करने के लिए जनजागरण अभियान चला रहा है। अभियान के तहत किसानों को फसल के अवशेष जलाने से होने वाले खतरों के प्रति आगाह करते हुए अवशेषों के वैज्ञानिक तरीके से समाधान के तरीके बारीकी से समझाएं जा रहे हैं। फसलों के अवशेषों को ठीक तरह से उपयोग किया जाए तो ये खेत में खाद का कार्य करते है। एसडीएम ने बताया कि खेतों में फसलों के अवशेष जलाने से कार्बनडाइ आक्साइड, कार्बन डाइ मोनो आक्साइड और मिथेन जैसी जहरीली गैस धुएं से निकलती हैं जो जीव-प्राणियों के स्वास्थ्य के लिए बहुत ही खतरनाक होता है। जहरीली गैसो से मनुष्यों को दमा, बुखार, टीबी, आखों में जलन सहित अन्य कई घातक बीमारिया होने का खतरा बढ़ जाता है। गर्मी में आग की वजह से तापमान में बढ़ोतरी के कारण आस-पास के पेड़ पौधे नष्ट हो जाते है। जिससे पर्यावरण संतुलन बिगड़ने का खतरा और अधिक बढ़ जाता है। खेत में फसलों के अवशेष जलाने से किसानों की जमीन की उपजाऊ शक्ति कम हो जाती है। आग की वजह से जमीन की ऊपरी सतह सख्त हो जाती है। जहा तक आग की वजह से जमीन तपती है, वहा तक जमीन उर्वरा विहीन हो जाती है। जमीन में किसानों के मित्र कीट जो फसलों को कीटनाशकों से बचाते है वे आग की वजह से मर जाते है। अवशेषों को पशुओं का चारा बनाकर किसानों की अतिरिक्त आय का साधन बन सकता है। साथ ही इसे खाद के रूप में परिवर्तित किया जा सकता है। फसल की कटाई के बाद सिंचाई कर 15 किलो प्रति एकड़ यूरिया डाल दें और ढाचा की बिजाई कर दें। ढैंचा डेढ़ से दो फीट लंबा हो जाए तो इसकी जुताई कर दें।


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