22 हजार से ज्यादा वोटों में बचेगी जमानत
जागरण संवाददाता, बहादुरगढ़ : किसी भी चुनाव में जीत हार के बाद जमानत बचा पाना भी जनाधार का एक पैमाना
जागरण संवाददाता, बहादुरगढ़ : किसी भी चुनाव में जीत हार के बाद जमानत बचा पाना भी जनाधार का एक पैमाना माना जाता है। बल्कि यूं कहे कि किसी भी राजनेता के लिए चुनाव में जमानत बचाना प्रतिष्ठा का एक सवाल होता है। ऐसे में जहां 19 अक्टूबर को ईवीएम से निकलने वाले नतीजों पर चर्चा अब जोर पकड़ गई है तो वहीं इस बात को लेकर भी सट्टा बाजार गर्म है कि विजयी और प्रतिद्वंद्वी के बाद कौन प्रत्याशी जमानत बचा पाता है।
विधानसभा चुनाव के लिए 15 अक्टूबर को हुए मतदान में 71.33 फीसदी लोगों ने अपने मत का प्रयोग किया गया है। एक लाख 85 हजार 574 में मतदाताओं में से एक लाख 32 हजार 367 मतदाताओं ने वोट डाले है। जमानत बचाने के लिए किसी भी प्रत्याशी को कुल डाले गए मतों का छठा हिस्सा लेना जरूरी है। इसके अलावा अब यह देखना है कि सैन्य बलों में तैनात मतदाताओं में से कितनों के वोट यहां पहुंचते है। इन वोटों को जोड़ने के बाद ही डाले गये कुल वोटों का योग हो पाएगा। लेकिन यह तय है कि किसी भी प्रत्याशी को जमानत बचाने के लिए 22 हजार से ज्यादा वोटों की दरकार होगी। हालांकि जिस तरह की चर्चा है उससे यह संभावना प्रबल है कि विजयी होने वाले प्रत्याशी और उसके निकटतम प्रतिद्वंद्वी के बाद एक-दो प्रत्याशी ही ऐसे होंगे जो जमानत बचा पाएंगे। अन्यथा शेष के लिए जमानत बचा पाना मुश्किल है। चर्चा यह भी है कि यदि पिछड़ने वाले प्रत्याशी ज्यादा वोटे हासिल कर लेते है तो फिर तीसरे नंबर वाले प्रत्याशी के लिए भी यह आंकड़ा छू पाना मुश्किल हो जाएगा। उस स्थिति में उसकी जमानत भी जब्त हो जाएगी। एक तरफ 19 अक्टूबर का इंतजार है तो दूसरी तरफ सट्टा बाजार में जीत हार के बाद जमानत को लेकर भी खूब भाव बढ़े हुए है। बताया जा रहा है कि तीन प्रत्याशी ऐसे है जिनमें से सट्टा लगाने वालों द्वारा अपने-अपने पसंदीदा एक प्रत्याशी पर जमानत बचा पाने को लेकर दाम लगाये जा रहे है। उधर, निर्वाचन अधिकारी पंकज कुमार का कहना है कि कुल डाले गए वोटों का छठा हिस्सा जमानत बचाने के लिए जरूरी होगा।