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सरकारी बसों के फ‌र्स्ट एड बाक्स में एक्सपायर दवाइया

जागरण संवाददाता, बहादुरगढ़ : हरियाणा राज्य परिवहन और डीटीसी बसों में सुविधाओं का टोटा बना हुआ है। फ‌

By Edited By: Published: Sat, 18 Oct 2014 06:21 PM (IST)Updated: Sat, 18 Oct 2014 06:21 PM (IST)
सरकारी बसों के फ‌र्स्ट एड बाक्स में एक्सपायर दवाइया

जागरण संवाददाता, बहादुरगढ़ : हरियाणा राज्य परिवहन और डीटीसी बसों में सुविधाओं का टोटा बना हुआ है। फ‌र्स्ट एड बाक्स खाली रहता है, वहीं सफाई के नाम पर खानापूर्ति भी नहीं हो रही है। इन परिस्थितियों में यात्रियों को परेशानियों से दो-चार होना पड़ रहा है।

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बसों में फ‌र्स्ट एड बाक्स तो लगे हुए है मगर उनमें आवश्यक वस्तुएं नहीं रखी गई है। अधिकतर बसों में ये बाक्स खुले ही खाली पड़े रहते है। बहादुरगढ़ तक आने वाली डीटीसी बसों में फ‌र्स्ट एड बाक्स तो लगा है लेकिन शायद इसमें कभी जरूरत का सामान रखा गया हो। हालत यह है कि इस फ‌र्स्ट एड बाक्स को ही इलाज की दरकार है। निगमों की बसों में साफ-सफाई को लेकर भी यात्रियों को काफी शिकायतें है। दिल्ली परिवहन बस की बहादुरगढ़ तक सैकड़ों बसें चलती है। हरियाणा व राजधानी के अनेकों हिस्सों में यात्रियों को पहुंचाने वाली इन बसों में आवश्यक सुविधाएं न के बराबर ही है। अधिकतर बसें ऐसी है जिनमें फ‌र्स्ट एड बाक्स तो लगा है लेकिन उसमें जरूरत का सामान नहीं होता। इन फ‌र्स्ट एड बाक्स पर धूल की परत जमी रहती है। ऐसे में यदि बस के अंदर किसी भी यात्री को फ‌र्स्ट एड की जरूरत पड़े तो बस में इसके लिए कोई इंतजाम नहीं मिलेगा। जबकि सरकार के आदेशानुसार प्रत्येक बस में आग पर काबू पाने के लिए एक अग्निशमन यंत्र लगाना होता है। साथ ही प्रत्येक बस में फ‌र्स्ट एड बाक्स होना चाहिए। मगर इन हिदायतों पर कोई भी गौर नहीं करता और इन बसों में जहां अधिकारी भी सफर करते है उनको भी इससे कोई लेना देना नही है। वहीं हरियाणा राज्य परिवहन निगम की बसों में सवार होते ही यह अपील पढ़ने को मिलती है कि 'सफाई का विशेष ध्यान रखे' लेकिन निगम खुद बसों में सफाई के प्रति कितना गंभीर है इसका अंदाजा बसों की हालत देखकर ही लगाया जा सकता है। बसों में धूल की परत जमी रहती है। यात्रियों को निगम से काफी शिकायतें है। दैनिक यात्री रमेश, अश्वनी, अशोक, शिव कुमार, मुकेश, मोनू व कुलदीप का कहना है कि बसों में साफ-सफाई न होने पर चलते वक्त बस के अंदर पड़ी गंदगी व कागज परेशानी पैदा करते है। बसों के चालकों व परिचालकों का इस बारे में अलग ही तर्क है। उनका कहना है कि यदि निगम की ओर से इसमें सामान रखा जाता है तो ठीक अन्यथा वे अपनी जेब से पैसे खर्च कर फ‌र्स्ट एड बाक्स में जरूरत की वस्तुएं कैसे रखें।


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