जमीं से लेकर नभ तक छाई बेटिया
अमित पोपली, झज्जार :
बात करीब 12 वर्ष पहले की है। खेड़ी आसरा गाव स्थित शहीद रविंद्र छिक्कारा राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में नियुक्ति पाकर आए एक पीटीआइ ने विद्यार्थियों को एक नए खेल से रुबरु कराया। गाव में खेले जाने वाले परपरागत खेलों से हटकर मिले इस मौके को यहा के छात्रों ने तो नहीं लपका। लेकिन छात्राओं के क्या कहने। मानो उन्हे तो बस ऐसे ही किसी मौके की दिल से तलाश थी। चूंकि प्राय: देखने में आता है कि ग्रामीण आचल की बेटियों के लिए कुछ कर गुजरने के लिए खेलों में मौके सीमित ही होते है। परतु यहा के मामले में स्थिति अन्य स्थानों से जुदा रही। विद्यालय के शिक्षक, डीपीई, कोच, छात्राओं के अभिभावक सहित ग्रामीण आज जिलाभर ही नहीं प्रदेश सहित देशभर के समक्ष एक मिसाल है। जिन्होंने न केवल अपनी बेटियों पर विश्वास जताया है, बल्कि उन्हे आगे बढ़ने के लिए प्रेरित भी किया, जो कि एक सिलसिले के रुप में आज भी निरतर जारी है।
झज्जर जिला ऐसा जिला है जहा कई बेटियो ने अनेक कीर्तिमान स्थापित किए है। पर किसी एक गाव की एक साथ 80 बेटिया एक क्षेत्र विशेष में जिले व राज्य का नाम राष्ट्र में रोशन कर रही हों, इसका श्रेय खेड़ी आसरा गाव को जाता है। गाव कोई बहुत बड़ा नहीं है। करीब 1500 की आबादी वाले इस छोटे से गाव में छात्राओं वॉलीवाल खेलने की ओर कदम बढ़ाए। करीब 12 वर्ष पूर्व सींचा गया यह बीच अब वट वृक्ष की भाति प्रतीत होने लगा है। वर्ष 2009 में इन बेटियों ने राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता में एक बार जीत का स्वाद चखा तो आज तक पीछे मुड़कर नहीं देखा है।
हरियाणा की शूटिग बाल की टीम में सभी इसी स्कूल से
शूटिग बाल चैंपियनशिप वर्ष 2009 में झज्जर में शुरू हुई थी। उस दौरान इन बेटियों ने हरियाणा की ओर से खेलते हुए पहली बार तीसरा स्थान पाया था। उसके बाद देश में जिस राज्य में भी प्रतियोगिता हुई उसी राज्य में ये बेटिया ट्राफी लेकर ही लौटीं। जूनियर वर्ग, सब जूनियर हो या फिर सीनीयर वर्ग इन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा है। हरियाणा की ओर से खेलने वाली शूटिग बाल की टीम में इसी गाव की टीम हर प्रतियोगिता में भाग लेती है। कहा जाता है कि हर अच्छे काम की प्रेरणा मिलने के बाद उसके परिणाम भी सकारात्मक आते है। वालीबॉल की बात हो तो शूटिग और समेशिग दोनों श्रेणियों की प्रतियोगिता इस स्पर्धा में होती है। गजब की बात यह है कि दोनों ही श्रेणियो में इन बेटियों को महारत हासिल है। प्राचार्य रणबीर सिंह, कोच रमेश हुड्डा, डीपीई बलवान सिंह और पीटीआइ संदीप सागवान ने ग्रामीणों एवं शिक्षकों के सहयोग से इस सफर को एक सफल मुकाम तक पहुचाने का काम किया है।
हौंसलो को खूब मिली उड़ान
खेड़ी आसरा गाव में जो बात सबसे बढि़या रही वह यह थी कि अभिभावकों ने इनका खूब साथ दिया। आज भी गाव के रिटायर सुबेदार स्कूल में उस दौरान तक मौजूद रहते है, जब तक यह वहा प्रेक्टिस करती है। हालाकि इस दौरान शूटिगबॉल फैडरेशन के पदाधिकारी जेपी कादयान से भी इनका संपर्क हुआ तो इनके लिए नई राह निकली। बेटिया शूटिगबॉल में चैंपियन होती चली गई। स्कूल में आज करीब 80 लड़किया विभिन्न आयु वर्ग के मुकाबलों में भाग लेती है। जूनियर, सब जूनियर और सीनीयर वर्ग की टीमें खेलती है। इनकी उपलब्धियों को देखते हुए सरकार की ओर से भी ग्राट देकर यहा अच्छा मैदान व नेट आदि की सुविधा प्रदान की गई है। डीपीई बलवान सिंह का कहना है कि स्कूल से पास आउट करने के बाद विश्वविद्यालयस्तर पर भी करीब दो दर्जन छात्राएं अंर्तराष्ट्रीय स्तर पर यहा का नाम रोशन कर रही है। जबकि स्कूल में छात्रों की संख्या मात्र 108 है।
पढ़ाई में भी अव्वल
खास बात यह है कि इन बेटियों को खेलने के लिए समय ज्यादा लगता है। रोजाना सुबह-शाम का अभ्यास जरूरी है। इसके बाद पढ़ाई व स्कूल की कक्षा का काम भी रहता है। मगर बेटिया यहा भी पीछे नहीं है। छठवीं कक्षा से दस जमा दो की छात्राएं यहा खेलने और पढ़ने में भी आगे है। प्राचार्य रणबीर सिंह का कहना है कि प्राय: यह बेटिया मेरिट में रही है।
टॉप में भी टॉप होती है ये छात्राएं
पाच साल के रिकॉर्ड की बात करे तो शूटिगबाल की लड़कियों टीम सभी वर्गो में पहला स्थान पाती चली आ रही है। कुछ समय पूर्व कोल्हापुर में आयोजित हुई राष्ट्रीय प्रतियोगिता में तो वहा के आयोजकों ने परपरागत सम्मान दिया। हजारों दर्शकों ने रात को खेल का आनंद लिया। इस सबके बीच हरियाणा के लिए खेलने वाली इन बेटियो ने ही जीत का परचम लहराया। इसी टीम से खेलने वाली कभी हितैषी तो कभी कोमल और कभी सुकदा, सुधा, नेहा, सीमा, हेमा या फिर कोई अन्य टॉप प्लेयर का खिताब भी जीत चुकी है। स्कूलों की राष्ट्रीय प्रतियोगिता में खेलने वाली टीम में भी तीन बेटिया अंडर-17 में खेड़ी आसरा की है। हिमाशी, सविता व मनीषा प्रदेश की टीम में शामिल है और गोल्ड जीतकर आ चुकी है। अंडर-19 वर्ग में भी हरियाणा ने गोल्ड जीता और इस टीम भी खेड़ी आसरा की सुधा शामिल रही। हाल समय में सुधा और हिमाशी तो थाईलैंड में हुई प्रतियोगिता में शामिल होकर उम्दा प्रदर्शन कर चुकी है। जबकि स्कूल से ही एक खिलाड़ी वर्ष 2013 में हुई यूथ एशिया स्पर्धा में हिस्सा ले चुकी है।
इंडोर स्टेडियम की खलती है कमी
हिमाशी, मनीषा व मधू का कहना है कि देशभर में होने वाली प्रतियोगिताओं में तो उन्हे कोई परेशानी नहीं होती। लेकिन अंर्तराष्ट्रीय स्तर पर होने वाली प्रतियोगिता में इंडोर स्टेडियम की कमी खूब खलती है। चूंकि वहा के खिलाड़ी की गेम और प्रेक्टिस सभी इंडोर में ही होती है। जबकि हमारे यहा ऐसा नहीं है। अगर ऐसे में यहा इस पहलू पर ध्यान दिया जाए तो यह बड़ी बात नहीं कि आने वाले समय में खेड़ी आसरा से देश को एक नई पहचान मिले।
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गाव खेड़ी आसरा की बेटियो पर यह बात खूब सटीक बैठती है कि देवी का रुप देवो का मान है बेटिया। जमीं से लेकर नभ तक छाई है बेटिया, नवरात्रि के नव व्रत हर जगह है बेटिया, मत करो अभिमान बेटों पर, बेटा गर भाग्य है तो सौभाग्य होती है यह बेटियां।