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सेम ग्रस्त भूमि हरियाली की राह में गतिरोध

By Edited By: Published: Thu, 28 Aug 2014 05:52 PM (IST)Updated: Thu, 28 Aug 2014 05:52 PM (IST)

जागरण संवाददाता, झज्जर : हरियाली को लेकर झज्जर की स्थिति बेहद खतरनाक है। कुल वन क्षेत्र सवा तीन फीसद के आसपास ही सिमटा है। सरकार की जो स्कीमें वन क्षेत्र को बढ़ाने के लिए बनाई गई वे सारी बीच में दम तोड़ गई। इस दफा बरसात से पहले हजारों पौध नेशनल व स्टेट हाईवे के किनारे लगाई गई थीं। उम्मीद थी कि बरसात के बाद ये पौध हरियाली बिखेरेंगी लेकिन बरसात इतनी ज्यादा कमजोर रही कि ज्यादातर पौध फल फूल ही नहीं सकी और मुरझा गई।

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वन क्षेत्र न बढ़ पाने के लिए कई कारक जिम्मेदार हैं। मानसून के सीजन में वर्षा की कमी व झज्जर जिले में सेम ग्रस्त भूमि हरियाली की राह में गतिरोध बनकर खड़ी है। इनका कोई स्थाई समाधान भी नहीं है। इतना ही नहीं हरियाली बढ़ाने के लिए हर वर्ष लगाए जाने वाले पौधों में से करीब 30 से 40 प्रतिशत पौधे खत्म हो जाते हैं। जबकि हर वर्ष वन विभाग पौधरोपण पर करीब तीन करोड़ रुपये की राशि खर्च किया जा रहा है। पर्यावरण को हरा-भरा बनाने के लिए वन विभाग तैयारियां तो की, लेकिन अभी पौधरोपण के लिए मानसून की वर्षा का इंतजार किया जा रहा है। अगर मानसून की वर्षा अच्छी हो जाए तो वन विभाग अपने लक्ष्य पर पहुंच जाता है और वर्षा कम होती है तो विभाग अपने लक्ष्य से पिछड़ जाता है। इतना ही नहीं जिले में काफी क्षेत्र में सेम का पानी भर जाता है। जिससे काफी संख्या में पौध नष्ट हो जाते हैं या फिर इस भूमि में पानी भरा होने के कारण पौधरोपण नहीं हो पाता है जो वन क्षेत्र को बढ़ावा देने में बाधक है। वन विभाग ने जिले में स्थापित की गई 11 नर्सरियों में करीब सात लाख पौधे तैयार किए है। वन विभाग ने एफडीए स्कीम के तहत 93 हजार, स्टेट स्कीम के तहत 3 लाख 23, कैम्पा स्कीम के तहत 91 हजार, बिक्री व फ्री वितरण के लिए के लिए दो लाख पौधे अलग से तैयार किए गए है। गत वर्ष की बात की जाए तो जिले में करीब छह लाख पौधे लगाए गए थे।

झज्जर जिले में 3902 .38 हेक्टेयर कुल वन क्षेत्र है। इससे 491 हेक्टेयर सीमित क्षेत्र, 76.04 हेक्टेयर अन्य क्षेत्र, रेल की पटरियों के किनारे झज्जर जिले में 146.57 हेक्टेयर, सड़कें किनारे 1294.26 हेक्टेयर, नहरों व ड्रेनों के किनारे 1852.19 हेक्टेयर, बांधों के किनारे 42.42 हेक्टेयर भूमि वन क्षेत्र में आती है।

वन विभाग ने गांव बाकरा, एम.पी माजरा, झज्जर हैड क्वार्टर, हर्बल पार्क, नेहरू कालेज, साल्हावास, मातनहेल, लगरपुर, सांखौल, जसौर खेड़ी व झज्जर जेल में नर्सरियां बनाई हुई हैं। वन विभाग वर्षा के मौसम में पंचायती भूमि, सड़कों व नहरों के साथ पौधे लगाता है। इस वर्ष विभाग ने अपने स्तर पर करीब 5 लाख पौधे लगाने का लक्ष्य रखा हुआ है।जबकि दो लाख पौधे विभिन्न संस्थाओं व लोगों को मुफ्त वितरण व बिक्री के लिए तैयार किए हैं। इस बार जिले की नर्सरियों में करीब सात लाख पौधे तैयार किए जा रहे हैं, जिनमें से आधे से अधिक इन सड़कों के किनारे लगाए लाने हैं।

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पानी की कमी से मर जाते हैं पौधे

वन विभाग हर वर्ष लाखों की संख्या में पौधे लगाता है, लेकिन देखने की बात तो ये है कि ये पौधे जिंदा कितने रहते हैं। हर वर्ष देखरेख के अभाव में लाखों रुपये की लागत से तैयार किए गए पौधे मर जाते हैं। कहीं पानी की कमी से तो कहीं सर्दी की चपेट में आने से पौधे मर जाते हैं, लेकिन इनकी तरफ अधिकारी व कर्मचारी ध्यान कम ही देते हैं। डीएफओ का कहना है कि बरसात की कमी से पौध नष्ट हो रही हैं।


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