Move to Jagran APP

कोयला बन सकता है परेशानी

By Edited By: Published: Fri, 25 Jul 2014 03:36 AM (IST)Updated: Fri, 25 Jul 2014 03:36 AM (IST)
कोयला बन सकता है परेशानी

जागरण संवाददाता, झज्जर : देशभर में चल रहा कोयले का संकट बिजली उत्पादन की राह में बड़ी परेशानी खड़ी कर सकता है। आलम यह है कि झाड़ली के थर्मल पावर प्लांटों में बिजली उत्पादन आधा होकर रह गया है। हालांकि प्रबंधन इस बात से इनकार कर रहा है कि यूनिटों को कोयले की कमी के चलते बंद किया गया है लेकिन सूत्रों का कहना है कि हालात कोयले की वजह से भी खराब हैं।

loksabha election banner

गौरतलब है कि जून से लेकर अगस्त तक का महीना बिजली खपत के मामले में सबसे ज्यादा अहम माना जाता है। तापमान काफी ऊंचा रहता है तो खेत में खड़ी धान की फसल रह रहकर पानी मांगती है। हरियाणा में बिजली की अधिकतम खपत का आंकड़ा सात से आठ हजार मैगावाट के बीच रहता है। हरियाणा के पास अपनी बिजली बनाने के लिए प्लांट हैं पर वहां उत्पादन पूरे जोर से नहीं किया जा रहा है। इसकी बड़ी वजह यह है कि कोयले की कमी आड़े आ रही है। राज्य में सबसे ज्यादा बिजली उत्पादन झज्जर से होता है। यहां दो प्लांटों से 2820 मैगावाट बिजली बनाई जा सकती है। इंदिरा गांधी सुपर थर्मल पावर प्लांट से पंद्रह सौ मैगावाट तो महात्मा गांधी से 1320 मैगावाट बिजली बनाई जा सकती है। हिसार के खेदड़ में 12 सौ मैगावाट की क्षमता है तो पानीपत में 2 सौ मैगावाट की दो, 250 की दो तथा 110 मैगावाट की चार यूनिट हैं। यमुनानगर में 3-3 सौ मैगावाट की दो यूनिट हैं। फिलहाल झज्जर के इंदिरा गांधी की एक यूनिट पूरी तरह से ठप है तो एक अन्य आधे लोड पर है। जबकि महात्मा गांधी की एक यूनिट पूरी तरह से बंद कर दी गई है। इंदिरा गांधी प्लांट का प्रबंधन कहता है कि उनके पास अभी बीस दिनों का कोयला है और इस दिशा में कोई परेशानी नहीं है। प्लांट की कोयले की आवक ज्यादातर महानदी कोल इंडिया लि. से होती है। जबकि महात्मा गांधी पावर प्लांट के प्रबंधन के हिसाब से अभी 25 दिनों का कोयला वहां बाकी है। यह प्लांट एनसीएल तथा पीसीएल से कोयला लेने के साथ इंपोर्टेड कोयला भी खरीदता है। प्लांट में अत्याधुनिक मशीनरी लगी है इस वजह से आयातित कोयला मंगवाना आवश्यक है। उसे देसी कोयले के साथ मिलाकर इस्तेमाल करने से प्लांट की मशीनरी पर ज्यादा जोर नहीं पड़ता।

उत्तर हरियाणा बिजली निगम के प्रवक्ता देवव्रत शर्मा का कहना है कि अपने प्लांटों में बिजली बनाना महंगा सौदा है। इस वजह से 60 कंपनियों से बिजली खरीद के करार पहले से कर लिए गए हैं। उनका कहना है कि प्लांट बेशक बंद हो पर राज्य में बिजली की संकट नहीं है। उधर, सीएलपी प्लांट के महाप्रबंधक सुपुर्द घोष का कहना है कि महात्मा गांधी प्लांट की एक यूनिट खराबी के चलते बंद है। उनका कहना है कि कोयले का संकट अभी उतना बड़ा नहीं है लेकिन आने वाले समय में आपूर्ति निर्बाध नहीं रही तो परेशानी होगी।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.