सरेआम में बन रहे अवैध हथियार
जागरण संवाददाता, झज्जर : गोलियां दागने का काम एक तरह से फैशन सा बनता जा रहा है। लेकिन यह भी एक बड़ा सवाल है कि आखिर बदमाशों को ये हथियार कहां से मिल रहे हैं। हालांकि झज्जर में हथियारों का जुगाड़ करना आसान नहीं। बेरी का बहराणा गांव इस मामले में उनके लिए काफी मुफीद है। पुलिस कई दफा रेड करके यहां पर धावा बोल चुकी है। हथियार बनाने का तामझाम भी मिला है लेकिन इस काम पर रोक आज तक नहीं लग सकी है। पुलिस गांव में जाने से भी घबराती है। जुलाई के पहले हफ्ते में दिल्ली पुलिस की टीम के साथ जो बीती उसके बाद तो हालात और ज्यादा बदतर हो चले हैं। खाकी पर सरेआम हमला हुआ और कुछ भी हाथ नहीं लगा।
अभी तक की वारदातों में केवल एक में ही लाइसेंसी हथियार का इस्तेमाल किया गया है। बाकी में अवैध हथियारों से धावा बोलकर सामने वाले को निपटाया गया। श्रीकिशन की हत्या के मामले में पुलिस ने उसके दो भतीजों को गिरफ्तार कर उनके पास से दो पिस्तौल बरामद किए गए हैं। दोनों ही अवैध हैं। एक .32 का रिवाल्वर बताया गया है तो दूसरा देशी हथियार। सिलानी गेट के नजदीक गजराज नाम के युवक को गोलियां मारने के मामले में शार्प शूटरों ने अवैध हथियार का इस्तेमाल किया था। दिल्ली पुलिस के जवान विजय को गोलियों से छलनी करने के लिए अवैध हथियार का इस्तेमाल हुई तो सिपाही राकेश को 9 एमएम की गोली लगी थी। धौड़ चौक पर सिपाही राकेश की हत्या को कौन भूल सकता है। रात में नाके के दौरान उसे कौन गोली मार गया यह पता अभी तक नहीं चला। पोस्टमार्टम रिपोर्ट से पता लगा कि राकेश को स्टायलिश 9 एमएम को गोली मारी गई। कोपरेटिव बैक के पूर्व चेयरमैन देवेंद्र छिकारा पर दागी गई गोलियां भी देशी हथियार की थी तो हो या फिर खानपुर गांव में दामाद के हाथों शिकार बने जय सिंह को अवैध हथियार सो गोली मारी गई थी। केवल एक मामला ऐसा है जहां लाइसेंसी हथियार से किसी की जान गई। नेहरू कॉलेज के पास महिला की मौत के मामले में लाइसेंसी हथियार से गोली चली थी। चाहे बेरी में सुनार को गोली मारी गई या शहर के बस स्टैंड पर युवक शिकार बना, सभी में अवैध हथियार ही जिम्मेदार थे। रेलवे स्टेशन के पास हुई गोलीबारी भी देशी हथियार से हुई थी। हालांकि यह नहीं कहा जा सकता कि सभी वारदातों में जो हथियार इस्तेमाल हुए वो बहराणा में बने थे लेकिन कुछ तो इनमें जरूर वहां के होंगे।
लेकिन बहराणा में पुलिस का कितना जोर है इसका पता इसी बात से लगाया जा सकता है कि 3 जुलाई को दिल्ली पुलिस के सब इंस्पेक्टर रंजीव कुमार स्पेशल स्टाफ साउथ वेस्ट की टीम दिल्ली में दर्ज एक मामले में वाछित मुलजिम कर्मबीर वासी बहराना को पकड़ने के लिए उसके घर पहंुंची थी। जब पुलिस टीम वहां पहुंची तो आरोपी की पत्नी ने केस फाइल को झपट कर फाड़ने की कोशिश की और फोन कर अन्य लोगों को बुलाकर पुलिस पार्टी के साथ मारपीट की। इतना ही नहीं जान से मारने की धमकी भी देने के साथ-साथ सरकारी कार्य में बाधा भी पहुंचाई। सब इंस्पेक्टर रंजीव कुमार स्पेशल स्टाफ साउथ वेस्ट की शिकायत पर थाना बेरी में केस दर्ज कराया गया था। उसके बाद इलाके की पुलिस ने आरोपी जयदीप, कृष्ण, मोहित को गिरफ्तार तो कर लिया लेकिन खाकी पर हाथ डालने की जुर्रत करना कोई छोटी बात तो नहीं है।
हालांकि पुलिस प्रवक्ता चमन लाल कहते हैं कि बहराणा में अब हालात काफी हद तक नियंत्रण में हैं लेकिन सूत्र कहते हैं कि अवैध हथियार बनाने के मामले में यह गांव हरियाणा ही नहीं बल्कि यूपी, दिल्ली और राजस्थान तक बदनाम हो चुका है। पुलिस टीम जब भी तामझाम के साथ वहां पर रेड करती है कारखाना व हथियार मिल ही जाते हैं लेकिन पुलिस अक्सर या तो वहां का रुख नहीं करती या फिर वहां पर यूं ही रेड करने की हिम्मत नहीं पड़ती। दिल्ली पुलिस के साथ हुई बदसलूकी के मामले से यह बात पुख्ता हो जाती है।