Covaxine third phase trial: PGI रोहतक पहुंची डोज, किडनी, लीवर के रोगियों पर भी होगा ट्रायल
Covaxine third phase trial थर्ड फेज के ट्रायल के लिए कोवैक्सीन की डोज पीजीआइ रोहतक पहुंच गई है। इसका परीक्षण किडनी लीवर व अन्य बीमारियों से ग्रस्त मरीजों पर भी किया जाएगा। हरियाणा में इसका ट्रायल कल यानी 20 नवंबर से शुरू होना है।
जेएनएन, रोहतक। Covaxine third phase trial: पंडित भगवत दयाल शर्मा स्वास्थ्य विश्वविद्यालय के पीजीआइएमएस (Pandit Bhagwat Dayal Sharma Post Graduate Institute of Medical Sciences) में को-वैक्सीन (Covaxine) की डोज पहुंच गई हैं। भारत बायोटेक व इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आइसीएमआर) के संयुक्त तत्वावधान में तैयार की जा रही को-वैक्सीन का के तीसरे चरण के ट्रायल किडनी, लीवर व हार्ट के रोगों से ग्रस्त लोगों पर भी किया जाएगा। कुल एक हजार वॉलंटियर्स पर पीजीआइएमएस में ट्रायल होगा। इसमें से 200 हेल्दी वॉलंटियर्स पर तेजी से ट्रायल किया जाएगा। इनको 28 दिन बाद दूसरी डोज दी जाएगी। 18 वर्ष से ज्यादा उम्र वाले वॉलंटियर्स को कंधे के जरिए को-वैक्सीन क छह एमजी की डोज दी जाएगी।
कुलपति डा. ओपी कालरा ने कहा कि पीजीआइएमएस उन तीन सेंटर में शामिल है जिसमें 200-200 वॉलंटियर्स पर फास्ट ट्रायल होना है। कुल 21 सेंटर पर 25800 वॉलंटियर्स पर ट्रायल होगा। इसके 42 दिन बाद शरीर में एंटीबॉडी की स्थिति मापी जाएगी। इस समयसीमा के बाद भी एंटीबॉडी बनती हैं तो ट्रायल को सफल माना जाएगा। डा. कालरा ने कहा कि यदि ट्रायल सफल रहता है तो अप्रैल-मई तक वैक्सीन तैयार हो सकती है। ट्रायल के लिए अगले एक सप्ताह में 200 वॉलंटियर्स को शामिल करने की बात कही।
पहले और दूसरे फेज का ट्रायल रहा सफल
कुलपति डा. कालरा ने बताया कि पीजीआइ में फेज एक और दो के ट्रायल सफल रहे। दूसरे ट्रायल में कुछ वॉलंटियर्स को हल्की-फुल्की एलर्जिक शिकायत आई। जोकि, आम वैक्सीन से भी हो जाती हैं। पहले फेज में 375 और दूसरे फेज में 350 वॉलंटियर्स पर वैक्सीन का ट्रायल हुआ। तीसरे फेज के ट्रायल सफल होने पर 90 फीसद तक वैक्सीन का परिणाम आने की उम्मीद पीजीआइ के चिकित्सकों ने जताई है।
वयस्क व बुजुर्ग पर परीक्षण लेकिन बच्चों पर भी प्रभावी रहेगी वैक्सीन
पीजीआइ में को-वैक्सीन की प्रिंसिपल इन्वेस्टीगेटर डा. सविता वर्मा ने बताया कि बेशक वयस्क और बुजुर्ग पर वैक्सीन का ट्रायल चल रहा है, लेकिन यह बच्चों व किशोरों पर भी प्रभावी रहेगी। पहले और दूसरे फेज के ट्रायल में छह और नौ एमजी की डोज दी गई थी। ट्रायल में पता चला कि दोनों ही डोज एक जैसा काम करती हैं, इसलिए तीसरे ट्रायल में छह एमजी की ही डोज दी जाएगी।
भारत में बन रही कोरोना की वैक्सीन अन्य देशों से सुरक्षित
पीजीआइ चिकित्सकों का दावा है कि भारत में बन रही को-वैक्सीन दुनियाभर में बन रही अन्य कोरोना वैक्सीन कैंडीडेट से ज्यादा सुरक्षित है। डा. सविता वर्मा बताती हैं कि यह किल्ड वैक्सीन का प्रकार है। वायरस के न्यूक्लियस को हीट या फोमेलडिहाइड से एक तरह से मार दिया जाता है। इस तरह यह शरीर में जाकर बढ़ता नहीं है बल्कि, प्रतिरोध जताता है।
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